कहानी डॉ सर्वपल्ली राधकृष्णन की (Story of Dr. Sarvepalli Radha Krishnan)

डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन की कहानी (Story of Dr. Sarvepalli Radha Krishnan)




जन्म 


इनका जन्म 5सितम्बर 1888 को तिरुतनी नमक ग्राम मे हुआ था, जो की तमिलनाडु मे स्थित है, इनकी माता का नाम सीतम्मा था, बचपन से ही उन्हें किताबों ख़ास दिलचस्पी थीं, साधारण परिवार से होने के बाद भी उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई को महत्व दिया |


शिक्षा 


उन्होंने जीवन की प्राम्भिक शिक्षा क्रिस्चन मिशनरी संस्था लुरथान मिशन से हुई थीं, उसके बाद मद्रास के क्रिश्चन कॉलेज से आगे की पढ़ाई की, क्रिस्चन कॉलेज से पढ़ने के कारण उन्होंने बइबिल का मुख्य भाग मुखस्त कर लिया था, जिसकारण उन्हें ख़ास सम्मान दिया गया |

स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर जैसे महान हस्तियों को डॉ कृष्णन ने अपना आदर्श बनाया था, 

कहते है अपनी इच्छा से वे नहीं गए थे, नये पुस्तकों के पैसे ना होने के कारण उन्होंने इसी साल पास किये अपने भाई से लेकर उन पुस्तकों से पढ़ाई की, और दर्शन शस्त्र का विषय चुना, क्युकी उनके पास दर्शन शस्त्र की किताबें पहले से मौजूद थीं इसलिए उन्होंने वही विषय चुना,  

1916 मे दर्शन शास्त्र मे ऍम ए किया, और इसी बिषय मे सहायक प्राध्यापक का पड़ संभाला, 


विवाह 


1903 मे 16 वर्ष की आयु मे उनका विवाह हो गया, उनकी पत्नी 10 वर्ष की थीं, इसके बाद 1908मे उनके घर एक पुत्री ने जन्म लिया, जिसके बाद उनकी पत्नी ने स्नातक की परीक्षा दी, और उसमे पहला स्थान प्राप्त कीया |

डॉ राधाकृष्णन 1949 -1952 तक देश का प्रतिनिधित्व करते हुए सेवियत संघ मे राजदूत रहे, इसके बाद 1962 मे वे देश के दूसरे राष्ट्रपति चुने गए,


शिक्षक दिवस की स्थापना 

इसी दौरान कुछ सहपाठीयो ने उनका जन्मदिन मानना चाहा तो राधाकृष्णन जी ने कहा की अगर मनाना ही है तो इस दिन को शिक्षक दिवस के रूपये मे मनाओ, जिसके बाद 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, शिक्षा और राजनीती मे शानदार योगदान के कारण उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया |

निधन 


1967 को गणतंत्र दिवस मे जब वे भाषण दे रहे थे तो उन्होंने कहा की ये मेरा देश को आखिरी भाषण है, इश्के बाद कोई और राष्ट्पति का पद संभालेगा, और 17 अप्रैल 1975 को उनका निधन हो गया |

मरणोपरांत 1975 मे अमेरिका सरकार द्वारा उन्हें टेम्पलटन पुरस्कार दिया गया |


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English translation 

Story of Dr. Sarvepalli Radha Krishnan



 He was born on 5 September 1888 in Tirutani Salt Village, which is located in Tamil Nadu, his mother's name was Sitamma, since childhood he was particularly interested in books, despite being from an ordinary family, he always gave importance to his studies.


 He did his primary education in life from the missionary institution of the Luthan Mission, then studied further than the Christian College in Madras, after studying at Christian College, he had completed the main part of the Bible, due to which he was given a special honor.


 Great personalities like Swami Vivekananda and Veer Savarkar were idealized by Dr. Krishnan,


 It is said that he did not go on his own wish, due to lack of money for new books, he studied it from his brother who passed it this year, and chose the subject of Darshan Arms, because he already had books of Darshan Arms.  So she chose the same topic,


 I did M.A. in Philosophy in 1916, and took the position of Assistant Professor in the same subject,


 He was married at the age of 16 in 1903, his wife was 10 years old, then in 1908 a daughter was born in his house, after which his wife took the graduation examination, and got the first place in it.


 Dr. Radhakrishnan represented the country from 1949 -1952 and was an ambassador in the Sevite Union, after which he was elected the second President of the country in 1962,


 In the meantime, some classmates wanted to celebrate his birthday, Radhakrishnan said that if it is to be celebrated then celebrate this day in the form of Teacher's Day, after which Teacher's Day is celebrated on 5 September, due to the excellent contribution in education and politics.  Was awarded the Bharat Ratna.


 When he was giving a speech on Republic Day in 1967, he said that this is my last speech to the country, after this, someone else will take over as the President, and he died on 17 April 1975.


 He was posthumously awarded the Templeton Award by the US Government in 1975.

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