हमारा गांव : hmara gaanw

 हमारा गांव : Our village 


हमारे गाँव की बात ही कुछ निराली थी, बड़ा ही खूबसूरत 
नजारा था वहा का, सामने बड़ा सा पहाड़, पीछे व एक 
पहाड़ |

पहाड़ी छेत्र तो नहीँ था लेकिन पहाड़ो से घिरा है, चारो तरफ 
हरियाली, छोटी छोटी बकरियों क बच्चे की चिल्लाने की 
आवाजे, उसके कुछ दूर आगे ही एक बड़ी सि झील, नहर 
और ना जाने क्या क्या, वहा का नजारा देख कर आत्मा 
भी तृप्त हों जाती हों, असीम शांति मिलती थी वहा जाकर|
और शाम को जो पहाड़ो से होकर हवा अति थी, उससे शुद्ध 
हवा आपको कहीं मिलेगी ही नहीँ |


कड़ी धुप  के बाद जब बरसात की पहली बून्द जब गरम हों 
चुकी धरती पर गिरती थी तो उसकी मिट्टी से आने वाली 
खुसबू मे गजब की मिठास थी |

गर्मियों के दिनों मे धूप के  बाद जब शाम आती थी, तो 
उसका भी अपना सुकून होता था |

वहा जाकर हर कोई अपनी सारी परेशानिया, tension सब 
भूल जाते थे, वो जगह ही कुछ ऐसी है, वहा ना wifi है ना 
बिजली परमानेंट होती है, लेकिन वहा से ज्यादा सुकून मुझे  
कहीं और मिला ही नहीँ |
शहर की गलियों मे तो सिर्फ हॉर्न्स, लोगो की चिल्लाने की 
आवाजे सुनाई पडती है, लेकिन वहा ऐसा शोर न के 
बराबर थी |

उस समय मैं काफ़ी छोटी हुआ करती थी, जब मेरे पैरंट्स 

मुझे छुट्टियों मे ले जाया करते थे, वहा जाने के बाद वही 

के रंग मे रंग जाना आम बात थी, वहा की हर चीज की 
आदत सि हों जाती और, फिर शहर आकर बिलकुल मन 
नहीँ लगता बहुत मुश्किल से उन यादो से पीछा छूट पाता था l

फिर हम अपने शहर वाले टाइम टेबल मे ब्यस्त हों जाते, |
और फिर अगले साल गांव जाने के सपने देखते रहते |

ज्यादा अलग नहीँ था, मेरा गाँव वहा भी वही सब कुछ था, 
जो normally सभी गांवो मे होती है, वही धुप, वही छांव, 

वही दिन, वही रात, सब वैसा ही तो था बस कुछ अलग थी 
तो हमारा उससे जुडा" लगाव "|

शहर से तो बड़ी ख़ुशी से जाते थे, और बेचैनी इतनी की 
सफर मे नींद भी नहीँ अति थी, जैसे सारे रास्तो की पहचान 

करनी जरुरी हों, और आते वक्त आँखों

मे ढेर सारी यांदे और ढेर सारी आंसू लेकर आते थे |

वहा का हर पल (पुराने दोस्त, पुराने लोग, पुरानी sycle 
पुराने घर, पुराने बाग  बगीचे, पुराने मैदान, पुराने खेत 
खलिहाँन , पुरानी झोपडी ), और वो सारी चीजे जो सिर्फ वहा 
की थी, मुझे तो उन सब से उतना ही लगाव जीतना मेरे गांव के नाम से |

बिता तो वहा सारा बचपन है, लेकिन ऐसा लगता है की 

आज भी वही हु, वही आंगन मे, वही गलियारे मे, उसी छत पे खड़ी बरसात मे भीग रही हु... 


यादें तो यादें ही होते है, जो कभी नहीँ मिटते, चाहे हालत कैसे भी हों | 

ऐसा सिर्फ मेरे साथ होता है , ये बिलकुल भी सच नहीँ है हर वो शक्स जो अपनी मिट्टी, अपने गाँव से जुडा है, ये उस इंसान की यादें है |

जहा ना पैसे कमाने की जल्दी, ना और कुछ, जो भी कहो पर गांव तो गाँव है ll


~~~~~~~~~~धन्यवाद ~~~~~~~~~~~~~

English translation

Hamara gaanw: Our village


 Our village was unique, very beautiful

 The view was there, a big mountain in front, behind and one

 Mountain |


 There was not a mountainous area, but surrounded by mountains, all around.

 Greenery, baby goats screaming

 Voices, a large lake, canal just a little ahead of it

 And do not know what, the soul seeing the scene there

 You would also be satisfied, you would get unlimited peace there.

 And in the evening, the air was very strong through the mountains,

 You will not find air anywhere.

 When the first raindrops after hot sun are hot

 If it had fallen on the earth, it would have come from its soil

 The fragrance had wonderful sweetness.


 When the evening came after sunshine on summer days,

 He also used to be relaxed.


 Everyone goes there all their troubles, tension all

 We used to forget, that place is like this, there is no wifi

 Electricity is permanent, but I am more relaxed than there

 Not found anywhere else.


 In the streets of the city, only horns, people shout

 Voices are heard, but there is no such noise

 Was equal.


 I used to be quite young at that time, when my parents


 Used to take me on holidays, the same after being there


 It was common to paint in the color of everything there

 Used to be a habit

 Do not think that it was very difficult to follow those memories.


 Then we would get settled in our city time table.

 And then he kept dreaming of going to the village next year.


 It was not much different, my village was there all the same,

 Which normally happens in all villages, same sun, same shade,


 Same day, same night, everything was the same

 So our "attachment" to him.


 Used to go to the city very happily, and the restlessness was so

 There was no sleep even in the journey, like the identity of all the paths


 Must do, and the eyes while coming

 I used to bring lots of yams and lots of tears.


 Every moment of there (old friends, old people, old sycle

 Old houses, old gardens orchards, old grounds, old fields

 Khalihan, old slum), and all the things that are only there

 I had to win the same attachment to them all in the name of my village.


 The whole childhood is spent there, but it seems that


 Even today, I am wet in the same courtyard, in the same corridor, on the same roof, standing in the rain…


 Memories are memories, which never fade, no matter the condition.


 This only happens to me, it is not true at all, every person who is associated with his soil, his village, this is the memories of that person.


 Where there is no hurry to earn money, nor anything else, whatever the village says, the village is a village.


~~~~~~~~~~~Thankyou ~~~~~~~~~~~

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ