पर क्या इंसान संसार छोड़ देने के बाद वह अपने परिवार को भूल जाता है,?
हमारी आज की कहानी इसी पर आधारित है?
कई दिनों से बिस्तर पर लेटा अरविंद अपने सगे सम्बन्धीयो से मिलने की इच्छा जाहिर कर रहा होता है,औऱ अपनी पत्नी से कहता है,
मीरा....क्या किसी ने फोन कर मेरी तबयत की जानकारी ली थी,
मीरा बोली किसीने से क्या मतलब है आपका....परिवार मे तों ऐसा कोई नहीँ है जिसे आपके ख़राब तबियत के बारे मे जानकारी ना हो,
मगर आपको किससे बात करनी है वह बताइए,
अरविंद ने लेटे-लेटे कहां.... ना जाने मन में लोगों से मिलने की इच्छा क्यों हो रही है, सोच रहा हूं अगर किसी से मिल आता तो अच्छा लगता,
यह सुनकर मीरा बोली इसमें सोचने वाली क्या बात है चलिए मिल आते हैं
इतना कहकर मीरा और अरविंद दोनों अपनी गाड़ी में बैठकर परिवार से मिलने निकल पड़े, 4 घंटे समय बिताने के बाद अरविंद अपनी पत्नी मेरा के साथ वापस घर आया,
रास्ते में गाड़ी में बैठकर अरविंद मेरा से बता रहा था जाने क्यों सब से मिलने के बाद भी उसकी मन की शांति वापस नहीं लगती, अरविंद भी नहीं जानता था कि आखिर उसे चाहिए क्या था,
कहीं ना कहीं उसके अंदर एक कमी मौजूद थी जो उसके किसी खास शख्स के छोड़कर जाने से हुई थी, और वह खास शख्स कौन था अरविंद अच्छे से जानता था,
घर वापस लौटते ही अरविंद अपने पिता की तस्वीर के सामने खड़ा हो गया और उनसे अपनी मन की सारी बातें करने लग गया, जैसे उसकी पिता उसकी बातें सुन रहे हो,
लेकिन उसके पिता कैसे भला के लिए बात भी सुन सकते थे, उनके गुजरे तो 25 वर्ष पूरे होने को थे,
मन में कई सारे विचारों को लिए अरविंद लगातार अपने पिता की ओर देखता रहा, इस हालात मे उसके स्वास्थ्य एवं आर्थिक हालत दोनों खस्ता थी ,
अरवा निरंतर आंखों में आंसुओं की धारा लिए अपने पिता से जाने किस बात की गुहार लगाए जा रहा था, भौतिक संसार की जिम्मेदारियां और उसके मन की उथल-पुथल ने उसे पिता की ओर आशा भरी निगाहों से देखने को मजबूर कर दिया था,
बगैर किसी एहसास और मदद लिए अरविंद वापस अपने बिस्तर पर आकर लेट गया, उसे लगा कि जब संसार में उसकी सुनने वाला कोई नहीं है तो भला दुनिया से विदा ले लेने वाले उसके पिता क्या सुनेंगे उसकी पुकार,
आंखें बंद करते हुए एक गहरी नींद में चला गया,,,, घर और मन की एकांत शांति ने उसे उस दूसरी दुनिया की ओर धकेल दिया,,,, जहाँ ना तो किसी की पुकार जाती है और ना ही जहां से किसी की आवाज वापस लौट कर आती है,
हर बात की सलाह अपने पिता से लेने वाला अरविंद , पिता के जाने के बाद 25 सालों से अपने अंदर खालीपन लिए अरविंद अपने पिता के गैरमौजूदगी में 10 -12 बून्द आंसुओं की धार ही तो गिराई थी,
परंतु जो 10 बंदे उसके पिता को अपनी संतान की याद दिलाने के लिए काफी थे,,,,, और उसी रात स्वप्न में उसके पिता ने अरविंद को दर्शन दिए,,,, का मैं तो यही हूं तुम्हारे आसपास तुम क्यों रोते हो, मैं कहीं गया थोड़ी ना हूं, मैं तुम्हारे हालात से वाकिफ हूं, चिंता मत करो तुम्हारी समस्या का समाधान जल्द हो जाएगा, बस तुम खुद पर विश्वास रखना,
सुबह उठकर अपने शॉपिंग में पिता के दर्शन कर अरविंद बहुत खुश हुआ, उसके अंदर दबी खालीपन को इस सपने में भर दिया था, वह पूरी तरह से प्रसन्न और नई उमंग के साथ नए दिन की शुरुआत कर रहा था,
इस दौरान कई सारे हाथ उसके मदद के लिए सामने आए,,,,,, बिना किसी से मदद मांगी अरविंद के लिए यह उठते हाथ देख कर उसे अपने पिता के कहे गए शब्द याद आ रहे थे,,,,घबराओ मत सब ठीक हो जाएगा मैं तुम्हारे साथ हूं,
शिक्षा :-
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, हमारे अंदर के भावनाओं से बाहरी दुनिया वाले कभी ओतप्रोत नहीं हो सकते, सिर्फ वही समझ सकते हैं जो सच में हमारे अपने होते हैं |
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