ek-paheli : एक लड़की की जीवन की पहेली

   पहेली 
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अपराजिता एक अच्छे कुल की पहली संतान थी, परिवार मे किसी चीज का अभाव नही था, सभी अपराजिता पर जान छिड़क़ते थे, 

एक दिन अपराजिता के पिता अनिल किसी ख़ास काम से दूसरे शहर गये , जहा से पास मे ही एक बड़े ऋषि मुनि का आश्रम पड़ता था, अनिल के साथ उनके एक अन्य सहभागी मित्र उन बाबाजी के दर्शन के इच्छुक थे, अनिल से साथ चलने को कहा, तो वे इकठा बाबाजी के दर्शन के लिए निकल पड़े, 
वहा पहुंचकर बाबाजी के आशीर्वाद लिए, वापस लौटते वक्त बाबाजी ने अनिल की प्रशंसा करते हुई बताया की, आपकी बेटी ओरो से भिन्न है, जिसकी शादी अच्छे कुल मे होंगी, आप निश्चिन्त रहे, सब ठीक होगा, 

अपराजिता धीरे धीरे बड़ी हो गयी, अच्छी शिक्षा प्राप्त होने  के बाद पिता अपराजिता की शादी के लिए चिंतित रहने लगे, 

और देखते देखते अपराजिता की शादी भी समय से अच्चे परिवार मे हो गयी, 

शादी के बाद अपराजिता के नये जीवन का आरम्भ हुआ, सब कुछ सही चल रहा था, 

अपराजिता के पति यश को अचानक से अपराजिता के अंदर बदलाव देखने को मिल रहा था, 

वो रात को डरती थी, सोने की कोशिश करती, तो तरह तरह की डरावनी तस्वीरें उसके सामने आ जाती, जिनलोगो को उसने कभी देखा भी नहीं, वे लोग सपने मे आते,  इन्ही सब डर्र से वो रात रात भर बगैर सोये निकाल देती, 

यश ये सब नही देख पा रहा था, उसे लगा सायद शादी हुई अधिक दिन नही हुई है, इसलिए उसने अपराजिता को मायके छोड़ आया, इस उम्मींद से की हो सकता है यहाँ रहने के बाद उसकी तबयत मे सुधार आ जाये, 

लेकिन यहाँ भी वैसा ही हो रहा था, अपराजिता की नींद गायब रहती, या यु कहे तो नींद मे अनजाने चेहरे नजर आने के डर्र से वो सोना नही चाहती थी, घर के बाकि सदस्य परेशान रहने लगे, उन्हें लगा अपराजिता किसी भूत प्रेत के चुंगल मे फंस गयी है, इसलिए आय दीन उसे भूत प्रेत भागने वाले तांत्रिको के पास ले जाया करते, 

दर्जन भर तांत्रिक के पास जाकर भी उसकी समस्या हल नही हुई, बस परिवार वालो की  ख़ुशी के लिए सब ठीक होने का दिखावा कर देती, 

सभी तांत्रिको का मत अलग अलग होता, कोई कहता इस बच्ची पर जिन्न का साया है, तो कोई कहता बच्ची आधा दर्जन भूत के वश मे है, कोई एक भी ऐसा नही मिला जो अपराजिता की असली परेशानी को समझ सके, इन सब के बाद अपराजिता के पिता ने उसे डॉक्टर के पास भी ले जाने की सोची, 

डॉक्टर के पास जाने का एक फायदा ये हुआ के, उसने अपराजिता को नींद की दवाई दी, जिससे वह कम से कम सो सक रही थी, 

धीरे धीरे उसे नींद मे आने वाले अजीबो गरीब चल चित्रों को देखने की आदत हो गयी, अब वाह सपने मे आने वाले अनजाने चेहरो से नही भागती, बस अपराजिता के मन मे कई सवाल थे, मेरे साथ ही क्यूँ? 

हर किसी के जीवन मे कोई ना कोई पहेली होती है, जो कभी समझ नही आती, अपराजिता के जीवन की पहेली भी ऐसी ही थी,  समझ से परे, 

फिलहाल उसे आदत हो चुकी है, भयभीत करने वाले सपनो की, फिर भी अब सब ठीक है |


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