Sahara : सहारा

Sahara : सहारा 
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हमारे  समाज  मे सभी बच्चों के माँ बाप ना जाने कैसे कैसे सपने बसाये रखते है मन मे "की हमारे बच्चे बड़े होंगे तो, डॉक्टर और इंजीनयर बनाएंगे, भले दो रोटी कम खानी पड़े,  लेकिन उनके सपने जरुर पूरा करेंगे, 
एक पिता अपने परिवार के लिए पूरा जीवन समर्पित कर देता है, पर बदले मे उन्हें क्या मिलता है , जिल्लत, और उम्र ढलने के बाद बृद्धा आश्रम |

वो  माँ बाप को जो बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए दिन रात बाहर काम करते रहते है, ताकि मेरे बच्चों को किसी चीज की तकलीफ ना हों, और इधर बच्चे अलग ही लाइफस्टाइल अपना लिए होते है, गलत चीजों की संगत लगती उन्ह्र देर नहीँ लगती, जिन्हे सुधरते सुधरते माँ बाप की उम्र ढल जाती है, !!

नये दौर की पीढ़ी को कलयुगी पीढ़ी कह ही सकते हों, जिन्हे किसी की परवाह नहीँ, ये तो अपने लिए जीते है, ना उन्हें माँ बाप की पड़ी है ना उनसे जुडी जिम्मेदारियों की |

ये मोबाइल, टेबलेट्स, और लैपटॉप का युग है जहा इंसान घर बैठे कुछ भी कर सकता है, चाहे वो कुछ पारसल मंगवानी हों, खाना मँगवाना हों, ब्यंजन की रेसेपी देखनी हों या और कुछ, यहाँ आपकी पसंद की चीजे हर वक्त उपलब्ध है साथ साथ जिसपर आपकी अच्छी टाइम कट जाती है  |


 होड़ मची पड़ी है, संसार मे सबको आगे बढ़ने की, पहले की तुलना मे गलत काम, गलत धंधे ज्यादा ज्यादा ही अग्रसर है, सोशल मिडिया तो  लोगो के दिलो दिमाग़ मे बसा हुआ है, फेसबुक, वाट्सप, इंस्टाग्राम, ट्विटर और ना जाने क्या क्या, यह लोग बस बड़े बेफिक्री से अपना टाइम यहाँ बिताते है, आधुनिकता इतनी बस चुकी है की मोबाइल के बिना लोग रह ही नहीँ सकते, जबकि वही लोग परिवार के  बिना रह लेंगे |

कुछ ऐसे भी लोग है जो गलत चीजे, गलत आदतों के कारण कइयों की जिंदगी बरबाद कर  चुके होते है, सही शब्दों मे कहा जायेगा तो सोशल मिडिया अच्छे के लिए अच्छा और बुरे के लिये बुरा है |

जिन बच्चों को हम अपना भविष्य मान कर चलते है, वो खुद की ही जिंदगी मे इतने उलझें मिलते है की दुसरो के लिए उनके पास समय ही नहीँ होता,  युवा पीढ़ी अपने माँ बाप के प्यार के साये मे इसकदर डूबे रहते है की माँ बाप के दुखो का एहसास नहीँ होता, उनकी आँखों मे आने वाले  पानी को पहचान नहीँ पाते,  क्यू वो उतना प्यार और वही सहारा उन्हें नहीँ दे पाते जो उनके माँ बाप ने उन्हें दिया है |

युवा पीढ़ी अपने प्यार के नाम पूरी जिंदगी लिखने के लिए तैयार हों जाते है, लेकिन बूढ़े हों चुके माँ बाप की जिम्मेदारी उनसे नहीँ ली जाती, जिन हाथो ने उन्हें बड़ा किया है, खाना खिलाया है एकदिन उसे ही ठुकराने लग जाते है, नहीँ  दिखती उन्हें बूढ़े माँ बाप की मायूशी, उनके चेहरे की झुर्रिया उनके आँखों का पानी | 
जब एक माँ बच्चे को जन्म देती है तो उस माँ के तकलीफो का एक कोना प्यार भी बच्चे लौटा नहीँ पाते, और छोड़ आते है बृद्धा आश्रम, या किसी कोने मे मरने के लिए छोड़ देते है, कितनी निर्लज्जता आ चुकी है इस पीढ़ी मे, 

युवाये अपनी मनमौजी स्वभाव मे कोई कमी नहीँ रखते, बस कमि है तो उनकी सोच मे, जो खतरे की और बढ़ रही है, जिस प्रकार एक पेड़ को खड़े होने के लिए जड़ो  की जरूरत होती है उसी प्रकार जड़ो को भी सहारे की अवस्य्क्ता होती है, दोनों एक दूसरे के बिना आधार हिन् है |

आज वो अपने माँ बाप के साथ ऐसा करेंगे कल होकर उनके बच्चे भी ठीक ऐसा ही करेंगे इसलिय मेरा अनुरोध है सभी पाठको से जिसप्रकार आप अपने बच्चों से अपनत्वता और सहारे की उम्मीद रखते है उसी प्रकार आपके बूढ़े माँ बाप भी उसी प्यार, दुलार और सहारे की उम्मीद करते है, और उनकी उम्मीद कभी ना टूटने देना आपकी पुरुषार्थ को सिद्ध करता है |


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