Do kinare : दो किनारे ~~~~~~~~~~~~~~~~
रास्ते चाहे जैसे भी हों पर मंजिल की उम्मींद सब रखते है, राह कैसी भी हों लेकिन उन्ही रास्तो पर चल कर ही मंजिल मिलती है, और मंजिल मिलने की ख़ुशी भी तो लाजवाब होंगी |
रुकावट तो जीवन का आधार है, ये आएंगी नहीँ तो मंजिल की अहमियत समझ ही नहीँ आएगी किसी को |
इन सब मे एक बात और है जो ये है की जिसकी कोशिश जैसी होती है, उसकी मंजिल भी वैसी ही मिलती है, चाहे रुकावट कितनी ही बड़ी क्यू ना हों, |
जीवन कभी समस्याओ से पीछे नहीँ मुड़ता, ना रुकता है, ना थमता…
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