ये कहानी डरावनी जरूर है लेकिन इस कहानी का समाज मे चल रहीं वास्तविक घटनाओ से गहरा नाता है,
कई वर्ष बीत गये, इस घटना को लेकिन याद करती हु तो लगता है कितना ख़ौफ़नाक मंजर था,
मै गर्मी की छुट्टियों मे अक्सर अपने ननिहाल जाया करती थी, वहां और भी बच्चे थे जिनके साथ दिन भर खेलना, और मनोरंजन की चीजों के साथ मस्ती करना हमारा तय था,
मेरे नन्हीहाल मे उस समय गैस नहीँ थी, और ज्यादातर घरों मे चूल्हे थे, जो शाम होटल हीं जल उठते और उसका धुंवा ढूंढ़ की तरह दिन और रात तक बादल बनकर ठहरे हूए यहाँ से वह…
भूतिया महुआ का पेड़
एक गाँव मे बेहद गरीब परिवार रहता था, जिनके पास ना तो पैसा था, ना ही एक वक्त का खाना, दुसरो के दिए हुए कपडे पहनकर गुजारा होता था, पति सतीश और पत्नी सीता का परिवार अपने पांच छोटे छोटे बच्चों के साथ गाँव के बीचोबीच रहते थे, गाँव मे कोई काम ना मील पाने के कारण सतीश शहर चला गया,
और बच्चों की सारी जिम्मेदारी पत्नी सीता के हाथ मे आ गयी थी, वाह तो भूख बर्दास्त कर लेती , पर बच्चों से नही हो पाता, इसलिए आस पड़ोस से बच्चों के लिए माँ खाना जुटा कर लाती, और उन्हें खिलात…
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