करीब 200 साल पहले भूतकाल मे स्कूल गुरुकुल कहे जाते थे, जहाँ ब्यक्तित्व विकास से लेकर अनंत तरह कि शिक्षाएं बच्चो को दी जाती थी, आज कि तरह तब भी बच्चो कि रूचि को ध्यान मे रखा जाता,
जो बच्चे प्रतिभा शाली होने के साथ साथ आंतरिक शक्ति से भी भरपूर होते, उन्हें गुरुदेव लोक कल्याण कि शिक्षा देते, जिससे आनेवाला जगत सुखी हो सके,
ऐसा हि एक गुरुकुल पिथौरागढ़ मे था, जहाँ शिष्यों को अनेक तरह कि विधाएं दी जाती, और जो शिष्य सारी विधाएं पूर्ण निपुणता से प्राप्त कर लेते, उन्हें उच्च कोटि कि विद्…
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