सुधा हर दिन की तरह सुबह-सुबह अपनी दिनचर्या का काम निपटा रही थी, मोबाइल की घंटी बजी, और बिना तनिक भी देर लगाएं सुधा ने का फोन रिसीव कर लिया,
फोन पर किसी लड़की की की आवाज़ आ रही थी, वह बार बार एक ही स्वर मे बोले जा रही थी प्लीज मुझे बचा लो, प्लीज मुझे बचा लो,
सुधा को वह कोई अननोन कॉल लगा, क्युकि उसने अपना नाम खुसबू बताया...और खुसबू नाम की लड़की हमारे परिवार मे कोई नहीँ थी, 2 मिनट की बात चित मे इतना तों समझ आ ही गया था सुधार को की कोई लड़की है,जिसे मदद चाहिए ,और वह पुणे की रहने वाली …
कुछ अच्छा और बड़ा करने निकलो तो बधाएं भी बड़ी बड़ी हीं आती है,
ना जाने ऐसी क्या दुश्मनी थी, हमारी उस वीरान जगह से जिसके कारण हमारा परिवार निशाने पर था,
ख़ुशी से ज्यादा गम का बसेरा हो चला था, और इसके पीछे का कारण जानने की ना तो किसी को पड़ी थी, और ना कोई इन सब मे पड़ना चाहता था,
इस बिच एक खाश मकसद्द से काम कर रही दीप्ती, जिसके अंदर स्परिचुअल शक्ति थी, जो किसी भी अच्छे और बुरे चीज का पहले हीं आभास कर सकती थी, उसे ऐसा आभाष हुआ जैसे उसका परिवार किसी काली शक्ति से पीड़ित है,
बार बार यह एहसा…
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