जलमग्न मेरा गाँव

लॉकडाउन के दौरान बाहर पढ़ने गये ज्यादातर छात्र व छात्राये जो की बिहार के मूल निवासी है, सभी अपने गाँव (बिहार ) से हीं ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे है,
जैसा की सभी जानते है हर साल बिहार मे बाढ़ दस्तक देती है, इस साल भी बाढ़ की सुचना कई दिनों से हर जगह दी जारी है और सभी बाढ़ पीड़ित इलाकों को सतर्क किया जा रहा है 

खबर के माध्यम से कई दिनों से यह बताया जा रहा है, की भारी बारिश व बाढ़ की आशंका है, जिसके बाद लोग पलायन कर रहे है, सभी अपने घर बार छोड़कर दूसरे जगह जाने को मजबूर है,

सरकार भी अपने तरफ से सभी तरह के इंतजाम मे जुटी है,
बिहार के ज्यादातर गाँव अनजाने भय मे है,

कुछ लोगो का केहना है की यह तो हर साल हीं यहाँ बाढ़ की स्तिथि होती है, पर सरकार पर इसका कोई प्रभाव नहीँ पड़ता

बिहार के जिन जिन गाँव मे खतरे की आशंका थी वहा से सभी लोग अपने नाते रिश्तेवालो के पास जा रहे है, 
सतरकी और एहतियात बरत रही सरकार की तरफ से लगातार घोषणा कराई जा रही  है की इसबार पानी का लेबल पिछली बार से अधिक होगा,

परन्तु कितना अधिक वे भी नहीँ जानते , और धीरे धीरे वह समय भी आ गया, बारिश के कई दिनों से बरसने के कारण हर जगह पानी पानी है, जल जमाव हो चूका है, और यह जल निकलने की जगह कई दिनों से वैसे हीं जमा है, लोग तो यही सोच रहे थे, बस ऐसा हीं हो थोड़े बारिश के बाद पानी तो जम हीं जाते है, इसके बाद बाढ़ की स्थिति ना बने बस,

लेकिन फिर से कई दिनों की लगातार बारिश के बाद न्दी पर बनी बाँध टूट चुकी थी, जिसवजह से कई गाँव मे बाढ़ आ चुका था , यह बाढ़ पहले से ज्यादा भयावह थी , क्युकि इसबार पानी करीब दो मंजिला ईमारत के लगभग मे थी,

कई लोग अपनी छतो पर कई दिनों से अटके थे, वहां से जो दृश्य दिख रहा था जैसे सामने समुन्द्र हो,

अचानक अपने गाँव की ऐसी हालत देख कर लोगो की सांसे रुकी पड़ी थी, कई दिनों से बगैर खाये लोग डर के साये मे थे ,

फिर धीरे धीरे बाढ़ का पानी उतरता दिख रहा था, फ़िरभी यह अभी 1 मंजिला ईमारत तक था, कुछ साप्ताह में यह पानी धीरे धीरे निचे तो उत्तर आया ,लेकिन तबाही का जो मंजर दिखा वह लोग कभी भूल नहीं सकते ,

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