क़ल किसने देखा

क़ल किसने देखा

यह कहानी पुरी तरह से काल्पनिक है,

सतीश नाम का एक लड़का जो प्राइवेट नौकरी करता था, लेकिन ठीक ठाक शक्ल सूरत के कारण कभी कबार अपने किसी रिश्तेदार अनिल के कहने पर नाट्य मंच पर छोटे मोटे रोल किया करता था,

एक दिन अनिल ने फोन किया!!!
( एक बेहतरीन रोल के लिए उसे भी आमंत्रित किया जा रहा था )
अनिल ने बताया की यह मेरी एक बड़ी प्रोजेक्ट है, इसमें बाहर से भी कई सारे लोग अपनी अपनी भूमिका निभाएंगे,

अनिल के कहने पर सतीश वहा पहुंचा, सभी पहले से आ चुके थे,

थोड़ी देर मे शूट भी सुरु हो गयी, और कुछ दिनों मे यह कम्पलीट भी हो गयी थी,

अनिल और सतीश दोनों इसी सिलसिले मे बातें कर रहे थे, की वहा पर एक शक्श आया, जिसका नाम मिक्की था, उसके रंग रूप से वह बेहद अजीब लगा रहा था, जैसे वह किसी और देश का रहने वाला हो,

सतीश ने हस्ते हुए पूछा ये कौन है, अनिल ने बताया की उसदिन शूट मे इसने भी छोटा रोल किया था, बत तुमने सायद ध्यान नहीँ दिया होगा,अपने काम होते हीं मिक्की वहा से चला गया,

थोड़ी देर बाद सतीश ने अनिल से अपने घर जाने की इजाजत मांगी, और वह अपने घर जाने के लिए निकल गया,

अनिल के घर से बस थोड़ी हीं दूर पर मिकी फोन पर किसी से बात करता हुआ पैदल जा रहा था, तभी सतीश ने एक अजीब किस्सा देखा.........................

पैदल चलता हुए मिक्की ने एक अंजान सफ़ेद गाड़ी पर अपने हल्के से हाथ को रखता हुआ आगे बढ़ गया,

सतीश ने देखा की मिक्की ने गाड़ी के जिस हिस्से पर अपने हाथ रखे थे वह हिस्सा जल चूका था, बाकि पुरी गाड़ी चमचमा रही थी,

गाड़ी के अंदर की जंग लगी लोहे की परत दिख रही थी, वहा आस पास सतीश के शिवा और किसी ने यह दृश्य नहीँ देखा, इसलिए सबको सामान्य हीं लग रहा था,

सतीश बिना कुछ समझे मिक्की के पीछे पीछे चलने लगा, वह यह तय नहीँ कर पा रहा था की यह मनुष्य सा दिखने वाला कोई भूत प्रेत है या अन्य दूसरा जीव ?

काफी दूर पीछा करते हुए सतीश मिक्की पर अपनी पुरी नजर बनाये हुए था,

मिक्की एक सुनसान रास्ते पर निकल आया जहाँ से थोड़ी दूर पर एक पुरानी कोठी बनी हुई थी, मिक्की उसके अंदर चला गया, सतीश आधे घंटे तक यह सोचता रहा की वह अंदर जाये या ना जाये फिर उसने हिम्मत की और पीछे के तरफ बनी खिड़की से अंदर झाँकने की कोशिश करने लगा,

उसे कुछ भी नहीँ दिखा, ऐसा लगा रहा था, जैसे यहां कोई रहता हीं नहीँ हो, कुछ देर बाद उसे धरती की ओर से सेंसशन सा महसूस हुआ जैसे निचे किसी तरह की मशीन चल रही हो,

सतीश को ज्यादा देर नहीं लगा, ये समझने मे की ये मशीन अंडरग्राउंड लिफ्ट थी,

उसके बाद वह वहा से बचके निकल आया, लेकिन अपनी जांच पड़ताल जारी रखते हुए, उस सुनसान इलाके से अक्सर गुजरता,

मन की शंका मिटाने के लिए उसने कई गुप्तचर भी रखे, लेकिन कोई ऐसी जानकारी अबतक सामने नहीँ आयी थी जिससे वह मिक्की का रहस्य जान सके,

एक गुप्तचर ने सतीश को बताया की मिक्की एक बार उस कोठी के अंदर जाता है तो महीनो लग जाते है, बाहर आने मे, उसके जैसे हीं दो तीन ओर लोग है, जो वहा आते जाते है,

सतीश कोठी के अंदर जाकर देखना चाहता था की आखिर वहां चल क्या रहा है ?

एक दिन वह सेल्समैन का रूप लेकर वहां पहुंच गया, दरवाजे पर आधे घंटे तक बेल बजाने के बावजूद किसी ने दरवाजा नहीँ खोला,

वह वापस आने हीं वाला था की एक लाल बड़ी गाड़ी वहा आकर रुकी,

सतीश दूसरी ओर से सब देख रहा था, उस गाड़ी से एक अधेड उम्र का ब्यक्ति ओर एक फैंसी कपड़ो मे सजी धजी एक महिला निकली,

दोनों के हाव भाव थोड़े अलग थे, काफी रईस लग रहे थे, और बाहरी देश के थे

सतीश के मन के अंदर कई बातें चल रही थी, जो असमान्य हीं थे,

उन्दोनो ने अपने जेब से चाभी निकली और अंदर चले गये, सतीश को लगा यही मालिक है घर के, लेकिन सवा दो घंटो के बाद दोनों वप्स आये और गाड़ी मे बैठकर चले गये,

बात बेहद अजीब हो चली थी, सतीश समझ नहीँ पा रहा था आखिर ये सब चल क्या रहा है?

उसने इस बात को पुलिस से कहने की सोची, क्युकि अब और कोई रास्ता नहीँ था,

पुलिस उस कोठी की छान बिन के लिए आ गये, उनके साथ सतीश का दोस्त अनिल भी था,

बहुत देर तक बेल बजाए के बाद किसी ने दरवाजा नहीँ खोला, तब पुलिस ने दरवाजा तोड़ने का फैसला लिया,
दरवाजे को तोड़ा गया.... सभी अंदर दाखिल हुए, पर कोठी के अंदर ऐसा लगा रहा था, जैसे सालो से यहां कोई आया ना हो,

हर जगह देखने के बाद सतीश को एक खुफीया दरवाजा मिला, जो कोठी से बिल्कुल मेल नहीँ कहा रहा था, दरवाजे को देखकर लगा रहा था, जैसे साल दो साल पहले हीं बनाया गया हो,

दरवाजे को खोलने पर एक निचे की तरफ जाती हुई लिफ्ट का रास्ता मिला जो साधारण लिफ्ट से थोड़ा अलग, इस लिफ्ट की लम्बाई चौड़ायी काफी ज्यादा थी,

उस लिफ्ट मे चढ़ने और निचे जाने के लिए लोग घबरा रहे थे, बात थी हीं कुछ डराने वाली,

फ़िरभी सेफ्टी के लिए पहले चार हवालदारों को कपडे मे कैमरे के साथ निचे भेजा गया,

सतीश और पुलिस ऊपर से हीं मोबाइल पर सब देख रहे थे,

वे ज़ब निचे पहुँचे तो उन्हें काफी अधिक समय लगा, क्युकि निचे अंडरग्राउंड एक बड़े से प्लाट मे एक खाश तहखाना बनाया गया था,

निचे काफी अंधेरा था, और flashlight की मदद से वे हवलदार आगे जा रहे थे,

उन्हें सामने एक स्विच बोर्ड दिखा, तो बगैर सोचे उन्होंने उसे ऑनलाइन कर दिया,
वहा के सारे लाइट जल गये,
सामने का नजारा अंजान रहस्य लिए हुए थे,

वहा इंसानि शक्ल के पुतले खडे थे, जो देखने से आम इंसान हीं लगा रहे थे, लेकिन वह मास्क जैसे खोखले थे,

सभी असमंजस मे थे ये सब क्या है?

एक बड़े से हॉल मे चारो और पुतले खड़े थे, जैसे कोई आर्मी तैयार की जा रही हो,ऊपर से हीं सतीश और पुलिस वाले सबकुछ देख रहे थे 

थोड़ा और आगे छोटे छोटे कमरे थे, जिससे हरी रंग की रौशनी आ रही थी, इतने मे अजीब सी आवाज करते हुए,
एलियन जैसे दिखने वाले सामने आये और, उन्होंने चारो ह्वलदारों को मार दिया |

ऊपर से सबकुछ देख रहे सतीश अनिल और पुलिस सदमे मे थे, ध्यान से देखने पर उन्होंने महसूस किया की ये सब एलियन हीं है,

वे वहा से बाहर आ गये, और इसकी जानकारी बड़े अधिकारियो को दी,

अनिल और सतीश आपस मे बातें कर रहे थे.......इंसान की शक्ल मे एलियन हर जगह थे, ये सिर्फ एक शहर का वाक्या था, जबकि सायद एलियन धीरे धीरे धरती पर अपना अधिकार करने की तैयारी मे है,

एलियंस जमीन के निचे रहना पसंद करते है क्युकि वे सूरज की गर्मी अधिक देर तक सहन नहीँ कर सकते,

ज़ब वे सूरज की गर्मी से साझा होते तो वे धातु के पोशाक के साथ इंसानी मास्क पहन कर निकलते,

कई बड़े साइंटिस्टो ने अपने खोज के दौरान एलियन्स का धरती पर आने का रास्ता बना गये,


धीरे धीरे वे अपने जरूरत के हिसाब से ऐसे ऐसे कीड़े मोकोड़े लाएंगे, जो जन जीवन को नुकसान पहुंचा सकते है,
 ऐसा नाशत्रे दमस की भविष्य वनियों मे उल्लेखित है,

सतीश की मिक्की पर सन्देह सी था, वह कोई साधारण इंसान नहीँ था, वह भी इंसानी मास्क के भीतर छीपा एक एलियन हीं था,

लाल गाड़ी से आये वो दो लोग कौन थे, जो सायद इनकी मदद कर रहे है,

सतीश बैठे बैठे सोच रहा था ना जाने ऐसी क्या चीज है, जिसके लालच मे उन्होंने धरती का सौदा एलियन्स से कर दिया |














एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ