शक्ल सूरत से सामान्य ही दिखती थी, भले घर से थी, माता पिता बेहद साधारण ब्यक्ति थे,
ज़ब वह 10 वर्ष की थी, तो सामान्य थी, लेकिन धीरे धीरे उसके अंदर परिवर्तन आने लगे,
उसके चाचा ने बताया की वह कभी कभी नींद मे बडबडती रहती, यह तो सभी करते है, पर वह कई दिनों तक लगातार ऐसा ही किए जाती,
कभी कभी अचानक अपने कान बंद कर लेती जैसे उसके कानो के पास भारी भीड़ कुछ ना कुछ बोल रहे हो,
वैसे तो वह बिल्कुल ठीक थी, लेकिन उसकी कोई कोई हरकत सबको सोचने पर मजबूरी कर देते की आखिर यह बात वह कैसे जानी,
कुछ लोगो का केहना था, इसके ऊपर तो भूत है, जाओ किसी फ़क़ीर को दिखाओ, और उनकी बातो मे आकर उसके पिता ने वह भी कराया, पर कोई सटीक इलाज ढूंढना मुश्किल हो रहा था,
फिर वह एक लड़के के चक्कर मे पड़ गयी, कई साल उसके लिए बर्बाद कर दिए, फिर वह लड़का उसे धोखा देकर भाग गया,
इसी दौरान उसके पिता ने उसकी शादी करने का फैसला किया,
शादी से कुछ महीने पहले उसकी कानो मे घंटे की आवाज सुनाई पड़ने लगी, और धीरे धीरे यह काफी तेज हो गयी, शादी के कुछ ही महीने बचे थे, और और उसके घर के ठीक पास रहने वाली एक सहेली अचानक नहीँ रही,
जिसका उसे काफी दुख हुआ, अचानक हुये इस हादसे के कारण कुछ भी सामान्य और पहले जैसा नहीँ रहा,
थोड़े महीनो बाद पूनम की शादी हो गयी, शादी के कुछ ही महीनो के भीतर पूनम मे ठहराव आ गया, अब वह पहले वाली पूनम नहीँ रही, और ये बदलाव वह खुद भी महसूस कर रही थी, यह सब उसके ससुराल के परिवेश के कारण हुआ था,
शादी के कुछ महीने अच्छे से बीते ही थे की अचानक वजी घंटे की स्वर पूनम को दोबारा कानो मे सुनाई देने लगे, पहले यह धीमी थी, फिर यह स्वर तेज होने लगी,
पूनम को इस स्वर नाद के कारण सिर मे काफी दर्द महसूस होता, कई दिनों तक बिना किसी से बात किये एकांत मे ही रहती,
वह कुछ समझ पाती, इससे पहले ही खबर आई के उसके पिता का अचानक स्वास्थ्य बिगड गया है, जिनसे मिलने वह पहुंची, जहाँ दूसरे दिन उसके पिता नहीँ रहे,
पूनम की सारी खुशियों को जैसे नजर लग गयी हो, उसकी उदासी उसके चेहरे पर भी दिखने लगे,
अचानक घर के काम करते हुई, पूनम को मन्दिर के घंटे की आवाज सुनाई दी, उसने झट से अपने कान बंद कर लिए, उसे लगा फिर से वह सिरदर्द लौट आया,
लेकीन यह बस मन्दिर के घंटे की ध्वनि थी, उसने महसूस किया, की दो बार उस ध्वनि के सुनाई देने के बाद उसने अपने दो खाश लोगो को खो दिया,
अब से वह सतर्क रहने लगी,
इसी दौरान पूनम और उसका परिवार बाहर (शिमला ) घूमने गये,
वहा से लौटकर करीब एक महीना हुआ था, के फिर से वही घंटे की ध्वनि ट्न.... ट्न..... ट्न...
फिर से धीमी स्वर मे बजने लगी,
पूनम डर से कांप रही थी, अब क्या होने वाला है,
वह ये बात किसी से केह भी नहीँ पा रही थी, क्युकि घर के सदस्यों को पूनम की सारी सच्चाई नहीँ मालूम थी,
फिर भी उसने अपने पति से इसबारे मे बात करने की सोची, कहीं हसीं का पात्र ना बन जाये, इसलिए उसे कई दिन लग गये,
इधर उसकी दादी सास ने अचानक अपना खान पान बंद कर दिया,
और वह भी कुछ दिनों मे चल बसी,पूनम अपने सिरदर्द से परेशान थी तभी घर मे किसी ने आकर बताया की दादी नहीँ रही,
यह सुनते ही उसके पैरो से ज़मीन खिशक गयी, और पूनम ने महसूस किया की उसके सिर का दर्द भी अब समाप्त हो चूका है,
पूनम अब समझ चुकी थी की यह कोई सामान्य ध्वनिनाद नहीँ थी, इस घंटे की स्वर से उसे आने वाले खतरे के बारे मे सचेत किया जाता रहा था, पर वह समझ ना सकी, और अनहोनी होती रही....
इन्सारी घटनाओ से सीख लेकर पूनम अब हर वक्त सचेत रहती है, चाहे जो हो जाये रिश्ते टूटे तो टूटे पर उसके अंदर जो शक्ति है, उसकी मदद से वह लोगो की रक्षा करती रहेगी, घंटे की एक ध्वनि भी सुनना पूनम को अब गवारा नहीँ |
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