और वह बड़ी ही ख़ुशी से निखिल के पास जाती है, और लेकिन वह चाहती है की यह बात उसे पहले निखिल खुद बताये,
लेकिन की निखिल ने ऐसा कुछ भी नहीँ किया, बल्कि वह तो सिमरन को एक झूटी कहानी बनाकर अपनी बातो मे फसाते, कई महीनो तक खेल खेलता रहा,
शायद उसे खेल खेलना पसंद आ रहा था, लेकिन सिमरन तो पहले ही हकीकत से वकीफ थी,
इसलिए वह भी भोली बनकर इंतज़ार मे थी की कब वह असलियत बताये, लेकिन ऐसा नहीँ हुआ
,
और आखिर तक उसने सिमरन को बताना जरुरी नहीँ समझा,
इधर सिमरन मन ही मन निखिल को समझ चुकी थी,
फ़िरभी उसके सामने उसीके द्वारा बताये गये झूठी कहानी पर यकीन करते हुए हामी भर्ती रही.... पर निखिल इस बात से अंजान था की उसके हर कदम की खबर सिमरन को किसी न् किसी तरह से मिल ही जाती,
सिमरन सिर्फ वजह जानना चाहती थी की आखिर ऐसीक्या इजहार रही होंगी... जिसके कारण निखिल ने मुझे बताना जरुरी नहीँ समझा....
फिर एक दिन सिमरन की मुलाक़ात निखिल के पुराने शरद दोस्त से हुई... उसने बताया की निखिल ने एक बहुत बड़ा प्लॉट खरीदा है, जिसपर कंस्ट्रक्शन भी चालू है,
सिमरन ने कहाँ है मुजगे मालूम है पर उसने मुझे नहीँ बताया... पता नहीँ क्यूँ?
इसपर शरद ने बताया की एकबार ज़ब तुम दोनों की बात हो रही थी.... और तुमने एक प्रॉपर्टी को लेकर बातें की थी, और अचानक से तुमने पूछ लिया की तुम लोगे क्या?
यही बात उसे चुभ गयी, जिसके बाद वह तुम्हे लेकर कई सारी बातें कर रहा था,
इसपर सिमरन जोर से हसने लगी... और कहाँ क्या? वो बात वो तो मैंने उसे बताया ही था, उसके काम के लिए लेकिन बस पूछ लिए की लोगे क्या? तो क्या गलती कर दी....?
वो है ही ऐसा जहाँ बातें लगाना चाहिए, वहा नहीँ लगाता, और जहाँ नहीँ लगाना चाहिए, वहा लगाकर बैठ जाता है,
चल कोई बात नहीँ ज़ब निखिल का मन होगा तब बताएगा, या नहीँ भी बताये तो भी कोई बात नहीँ, ये उसकी लाइफ है एन्जॉय करे,
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