क्या ऐसा हो सकता है

दिल्ली के करोल बाग मे रह रही सृष्टि अपना डिनर खत्म कर के बस सोने हि जा रही होती है, की तभी उसके लैंड लाइन की घंटी बजती है...........ट्रिंग ट्रिंग
और यह कॉल पुणे मे रह रही उसकी छोटी बहन हनी की होती है, दोनों आधे घंटे बात करते है, उसके बाद सृष्टि सोने चली जाती है, उसने सपने मे भी सोचा नहीँ होगा.......आगे जो होने वाला था,


दरअसल वह सोते सोते भविष्य मे जा चुकी थी, उसे इसके बारे मे कुछ भी पता नहीँ था, वह भविष्य मे अपने सफर के दौरान.................
बाकियो के लिए अदृश्य थी, लेकिन इस बात का पता उसे बहोत देर से लगा,

भविष्य मे अपनी यात्रा के दौरान वह सबसे पहले अपने बालकनी पर अति है, जो पहले की अपेक्षा कई मंजिला अधिक ऊँचा लग रहा था,

अपनी पुरानी दिनचर्या के अनुसार सृष्टि के दिन की शुरुआत वही स होती थी, इसलिए काफी देर तक वह सिर्फ यही सोचती रही के मेरे घर के सामने से इतनी बड़ी बिल्डिंग कैसे हट गयी, और ये रोड तो पहले इतना चौड़ा नहीँ था,

दरअसल अब उसका फ्लैट एक 20 फ्लोर के बिल्डिंग मे 12 फ्लोर पर था, जो ठीक मैं रोड से सटा हुआ था, जिसकारण सारी बड़ी छोटी गाड़िया बहोत छोटी नजर आ रही थी,

फिर इसके बाद घर वालो के सदस्यों मे उसने कई सारे बदलाव देखे, उसे कुछ समझ नहीँ आ रहा था, तभी किसी ने आवाज लगाई, और सृष्टि उसके साथ शॉपिंग के लिए चल पड़ी.....

शॉपिंग के तरिके मे भी बदलाव था, पहले की तरह पर्स मे ढेर सारे कार्ड, मोबाइल्स, पैसे, और छुट्टे लेने की जरूरत नहीँ पड़ती थी,

सृष्टि जिस महिला के साथ गयी थी, पहले तो एह अंजान लग रही थी फिर धीरे धीरे गौर से देखने पर एहसास हुआ की अरे ये क्या ये तो रीना है,( रीना सृष्टि के पति की दोस्त थी ), सृष्टि सोचते सोचते आईने के पास आ ख़डी हुई, जहाँ वह अदृश्य थी,
उस लगने लगा की वह मर चुकी है और उसके पई ने दूसरी शादी कर लि,

वही खडे खडे वह रीना पर नजर रखे हुए थी, रीना मॉल के अंदर के एक बूटीक मे गयी, जहाँ रंग बिरंगे कपड़े टंगे थे, खरीदारी और रख रखाव के पैटर्न मे काफी बदलाव लगा, भीड़ न् के बराबर थी, रीना सिर्फ एक कार्ड नुमा चीज लिये ख़डी थी,

घर आते ही  सृष्टि आने सदस्यों को ढूंढने लगी, पर उसके पहचान का कोई नहीँ मिला,  फिर वह बालकनी मे जाकर ख़डी हो गयी,

उसकी नजर अचानक से राकेट की तरह उड़ते हुए लोगो पर पड़ी जो आकाश मे फुटबॉल मैच खेल रहे थे, वह घर के सदस्यों को आवाज दे रही थी,

लेकिन उसकी आवाज कुसी तक नहीँ पहुंच रही थी, आसमान मे हेलमेट लगाए उन लोगो को देख सृस्टि को आँखों का धोखा लग रहा था, थी भी यह अचरज वाली बात , 6-7 लोगो एक खाश तरह के गोले के पीछे पड़े थे, जिससे आग निकल रही थी,

देखते ही देखते वह गोला रोड पर जा गिरा, और आग के साथ कई मीटर तक बढ़ता रहा, आगे से आ रही एक बड़ी दी गाड़ी उसके चपेट मे आकर दुर्घटना का शिकार हो गया,

यह मंजर देख कर सृष्टि डर से काँप रही थी, तभी पीछे से किसी ने आवाज दी संध्या.....

तो सृष्टि जिसे रीना समझ रही थी वह संध्या थी, इसके बाद दिवाल पर टंगी एक फोटो मे पुरे परिवार की तस्वीर थी, जिसमे सृष्टि और उसका पति काफी उमरदार दिख रहे थे,

तभी सृष्टि पर किसी ने पानी ढाल दिया, और सृष्टि वापस अपनी दुनिया मे लौट आई, दरअसल वह 2060 मे जा चुकी थी, जहाँ वह जिसे रीना समझ रही थी वह उसकी बहु संध्या थी,

और भविष्य मे रहन सहन, से लेकर बाहर की दुनिया मे भी बहोत सारे बदलाव सरष्टि ने देखे थे,

सड़क पर उसे एक भी ब्यक्ति चलता हुआ नहीँ मिला, साभी अपनी व्हीकल मे थे,

सडके तो जैसे विदेश की सडके हो, और अब आसमान मे भी खेल खेले जा रहे थे, 


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