आखिर ऐसी क्या खाश बात है उन मनुष्य मे जो इतने विख्यात है, यहाँ आया हु तो उनसे जरा मिलकर हि जाऊंगा.....यह सोच
अगली सुबह मै और मेरी पत्नी उनके निवास पर पहुंच गये,
बड़ी अजीब बात थी.... मिर्त्यु सैया पर लेटे हुए भी भक्तो को उपदेश दे रहे थे, क्या किसी संत मे इतनी भी शक्ति नहीँ कि वह अपने शरीर से उत्पन्न हो रही कष्ट को दूर कर सके, या फिर परमेश्वर को खुद को सौप सके,
वहा के लोगो से पूछने पर कुछ अलग हि बात पता चली...... कई तरह कि बातें सामने आई, किसी ने कहा कि बाबाजी को अभी और कार्य करने है, तो किसी ने कहा कि अभी उनके जाने का समय नहीँ आया है, लेकिन उनकी अवस्था तो बेहद चिंताजनक थी 102 वर्ष कि उम्र होने के बाद भी उनके लिए भगवान के द्वार नहीँ खुल रहे,
और भी के हालात ऐसे है, कि कब किसको क्या हो? कोई नहीँ बता सकता, क्या युवा, क्या बुजुर्ग !!!!
फिर बातो हि बातो मे उनके निवास पर रह रहे एक युवक ने बताया कि उनके जन्म लेने मे अभी देर है, इसलिए उनकी मिर्त्यु मे भी देर होंगी,
मैंने पूछा.... ऐसा कैसे हो सकता है, इन्हे कैसे पता कि इनके मरने के बाद इन्हे तुरंत जन्म लेना है,
फिर उस युवक ने कहा कि ये बहुत हि पहुँचे हुई बाबाजी है, इन्होने अग्निदेव को अपने वश मे कर रखा है, और अग्निदेव ने इन्हे यह आशीर्वाद दिया है कि तुम संसार मे बड़े कार्य करोगे, और भी बहुत सारी बातें है पर मुझे इतना हि पता है,
मै और मेरी पत्नी उन बाबाजी के दर्शन पाकर धन्य हो गया, और अगली सुबह हम अपने घर के लिए रवाना हो गये,
इस बात को कई वर्ष बीत गये, एक दिन हमारे निवास पर फिर उन्ही बाबाजी कि अचानक चर्चा होने लगी, बातो हि बातो मे चला,
उन्होंने अपना देह त्याग दिया, मान हि मन मै सोच हि रहा था कि ना जाने किसके भाग्य खुलेंगे.....
तभी मेरी पास वाली भाभीजी ने बताया कि पिछले साल मै भी उनके आश्रम गयी थी..... सभी बहुत खुश थे, क्युकि वे जन्म ले चुके है....
उनके आखिरी दिनों मे उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी, उसमे अपने भविष्य के बारे मे पहले हि कई सारो चर्चाये वे कर चुके थे,
उन्होंने कहा उसी पुस्तक कि प्रतिलिपि मै एक ले आई हु, मैंने बिना संकोच उनसे वह पुस्तक पढ़ने के लिए उनसे ले लि,
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चुकी मै एक पंडित और ज्योतिष शास्त्री हु, इसलिए बच्चो कि कुंडली बनाने हेतु मुझे कई सारे आवेदन आते रहते थे,
मैं पुस्तक पढ़ चूका था, इसलिए मेरी नजर उस बच्चे के जन्म दिवस और काल नक्षत्र चक्र पर पड़ी, जो बिल्कुल मिलता जुलता था, मुझे बस यह संयोग मालूम पड़ा,
कुंडली बनाते हुये मुझे कई सारे अनुभव हूए, ऐसा लग रहा था, जैसे मै इस बच्चे से मिला चूका हु, पर ये कैसे हो सकता था, मै तो इसे जनता हि नहीँ,
गणना के दौरान मै गहरी नींद मे सो गया..... अचानक एक बच्चे के जोर जोर से हसने कि आवाजे आने लग गयी, आंखे खोली तो सामने एक 4 साल का बच्चा, आँखों मे आग सि चमक, रंग गेहूंआ, मैंने उसे अपने पास पाया,
फिर पलक झपकते हि ना जाने कहा चला गया...
अरे ये क्या हो रहा है मुझे.... मुझे इस कुंडली वाले बच्चे से मिलना हि होगा,
मैंने कुंडली को पूरा किया, और बगैर देरी किये उनके घर कि तरफ निकल पड़ा,
वहा पहुंचा तो पाया... वह बच्चा तो मात्र 6महीने का है, मै भ्रमित होने लगा, ये क्या चक्क्ऱ है, लेकिन वही आंखे, वैसा हि गेहूआ रंग,
मैंने घर मे किसी और को ना देख उनकी मा से पूछा,,,, क्या आप अकेली रहती है,
उन्होंने बताया नहीँ मै और मेरे पति रहते है, वे रात को लौटेंगे,
अच्छा कोई बत नहीँ, मुझे कुछ जरुरी बातें पूछनी थी, जी पूछिए.......
ज़ब ये आपके गर्भ मे थे, तब आपको किसी प्रकार कि समस्या तो नहीँ थी, उस महिला ने बताया कि जी होती थी, बहुत अधिक हुई थी, बहुत पसीने आते रहते, शीतऋतू मे भी मुझे गर्मी का भाव रहता,
मैंने पूछा इसके अलावा.... उन्होंने बताया कि इससे पहले मेरा गर्भ नष्ट हो गया था, हम बहुत परेशान थे, और हर दिन भय लगा रहता,
अच्छा, और कोई बात तो नहीँ थी,
.... जी नहीँ
ऐसा कैसे हो सकता है, मै मन हि मन सोच रहा था, जिस बच्चे कि सिर्फ कुंडली मेरे पास आई है, मै इतना ब्याकुल हो गया, वह पूरा बच्चा इनके पास है उन्होंने कैसे कुछ महसूस नहीँ किया होगा, या फिर ये हो सकता है कि बच्चे कि बराबर शक्ति वाली मा होंगी, तभी उन्हें कोई फर्क नहीँ पड़ा,
फिर मैंने उन महिला से कहा जी मुझे कुछ जरूरी बात करनी है, क्या मै आपके पति से बात कर सकता हु,
उन्होंने कहा..... जी जरूर
फिर मै एक दिन समय निकाल कर उस बच्चे के पिता के पास गया...
वे थोड़े असमंजस मे थे कि ना जाने मै उनसे कस बिषय मे बात करने वाला हु......
फिर मैंने अपनी बात आरम्भ कि...
मैंने उन्हें बताया कि आपका पुत्र असमान्य है, यह राजा तुल्य होगा, साथ हि अपने पराक्रम से ऐसे ऐसे कार्य करेगा, जिसकी कीर्ति अमर रहेगी,
लेकिन इसे बहुत हि एहतियात के साथ रखना होगा, यह बहुत हि हठी और क्रूर स्वभाव का होगा, बालपन मे भी किसी का रक्त बहाने से पीछे नहीँ हटेगा,
ऐसा भी हो सकता है, यह बेहद कम उम्र मे पिता बन जायेगा , और यह सब सिर्फ इसके अंदर प्रज्वलित अग्नि के कारन होगा,
अंदर की ज्वाला के कारण विरोधाभास करने की क्षमता अधिक होंगी, स्वाभाव से उदंड होने के बावजूद अपने पिता का सहारा बनेगा,
ज़ब यह 15-20 की आयु मे होगा, तब आपको (पिता) किसी प्रकार की क्षति हो सकती है, तब इसके अंदर की प्रतिभा को आप महसूस करेंगे,
और भी बहुत सारी बातें है जो आप स्वम् महसूस करेंगे, क्युकि इसने जन्म हि किसी ख़ास उद्देश्य से लिया है,
इतना केह कर वे चले गये
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