किसान और दुर्गा
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एक गाँव था, जहा एक बड़ा जमींदार रहता था, जमींदार अपने गाँव के लोगो को मुर्ख बना बना कर काफी पूँजीपति हो चूका था,
गाँव के गरीब किसान छोटी मोटि मदद के लिए जमींदार के पास आते तो वाह जमींदार गलत कागजो पर हस्ताकक्षर करवा लेता, और उनकी ज़मीन किसी ना किसी तरीके से हड़प लेता, ये सिलसिला कई दसको से चला आ रहा था,
पर अब गाँव वालो की लाज रखने दुर्गा जन्म लेने वाली थी,
दुर्गा बचपन से थोड़ी अलग थी, भविष्य मे होनेवाली घटनाओ का आभास पहले हो जाता, कई बार उसने गाँव मे आने वाली आपदाओं से लोगो को पहले ही सूचित करवा दिया था, राह चलते चलते मृत ब्यक्ति को खुली आँखों से देख लेना, वो किस वजह से भटक रहे है, इस बात से अवगत होकर उनके लिए समाधान ढूंढना आम बात थी,
उसके घर से थोड़ी दूर एक गली मे माँ दुर्गा का मंदिर था, जब भी वाह उस गली मे जाती, उसे कुछ आभाष होता उसकी आँखों मे सारे दृश्य पुरानी शक्ल मे जिन्दा हो जाते,
हर दिन दुर्गा के जीवन मे कुछ नया होता, कभी लाभ ये सारी बाते उसे परेशान करती पर धीरे धीरे उसे आदत पड चुकी थी, अब कोई भूत उसके करीब से गुजर जाये तो उसे यह एक सामान्य घटना लगती, लेकिन एक बात थी, दुर्गा को भूतो ने कभी परेशान नही किया, उसकी हर वक्त रक्षा की, और जहा तक हो पाता उसे बुरी चीज मे फसने से रोकते,
गाँव के बाकि सभी लोग दुर्गा के बारे मे जानते थे,
एक दिन एक खेत से गुजरते समय एक किसान की आत्मा ने दुर्गा का रास्ता रोका, और दुर्गा से मदद मांगने लगा, दुर्गा ने पूछा क्या बात है, बताओ, तो किसान कहने लगा, की मेरा ज़मीन धोखे से उस जमींदार से हड़प लिया था, कुछ दिनों के बाद मैंने उस पेड़ के निचे खुदखुशी कर ली थी, लेकिन अब मेरे परिवार को देखने वाला कोई नही है, फिलहाल मेरे परिवार के पास खाने के पैसे भी नही है,
उन्हें बस इतना बता देना की जमींदार ने धोखे से मेरा ज़मीन ले लिया था, मैंने उसे ज़मीन बेचीं नही थी, बस गिरवी रखी थी, लेकिन उसने मेरी ज़मीन हड़प ली, इसलिए एकदिन मौका पाकर मै उसके घर चोरी करने गया, जैसे तैसे उसकी तिजोरी को खोल पाया वहा कौन से कागजात मेरे है मै तय नही कर सका, इसलिए सारे के सारे उठा लाया, सब कागजातों को मैंने अपने ज़मीन मे दबा दिए थे, और मुझे पता था की जमींदार मुझे छोड़ेगा नही, और किसी ना किसी तरह से उन दस्तावेज तक पहुंच ही जायेगा, इसलिए मैंने खुद आत्महत्या कर ली,
मेरी तुमसे बिनती है की गांववालों तक सारे कागजात पहुँचवा देना , तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी, इतना कहकर वह किसान गायब हो गया,
दुर्गा सभी किसानो को रातोरात उस खेत मे ले गयी, जहा उनके गिरवी पड़ी ज़मीन के कागजात थे, ताकि जमींदार को भनक ना लगे,
कागजात पाकर गाँव वाले खुश थे, उनकी ज़मीन उनके पास आ चुकी थी,
उस किसान ने जाते जाते दुर्गा को दो बाते और बताई थी, पहली ये की उसी खेत मे जिस पेड़ के सामने उसने आत्महत्या की थी, वही जमींदार के घर से चुराये पैसे और जेवरात उसने अलग छुपाये थे जो उसके परिवार को दे देने के लिए ताकि उसका परिवार अपना पेट भर सके,
और दूसरी बात ये थी की गाँव मे जल्द ही भयंकर बाढ़ आने वाली थी, जिसमे भारी तबाही का अंदेशा था, इसलिए गाँव वालो को दुर्गा ने पहले ही सूचित कर दिया, और ठीक हप्ते भर बाद ही नदी का जल स्तर बढ़ता देखा गया, जिससे बचने की तैयारी गाँव वाले पहले ही कर चुके थे,
दुर्गा के कारण लोग कई बार मुश्किलो से बच निकले, इसलिए सबने दुर्गा का आभार जताया |
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