डायन (एक आत्मा की आपबीती )
करीब पांच साल पहले की घटना है, ज़ब मै अपने काम के सिलसिले मे हरिद्वार आया हुआ था, हरिद्वार से थोड़ी ही दूर पर मेरे मामाजी का घर था, सोचा यहाँ तक आया हूँ तो उनसे भी मिल लेता हूँ,
कच्ची सडक थी, वहा तक पहुंचने मे मुझे काफी दिक्क़त हुई लेकिन मै आखिरकार पहुंच ही गया, लगभग 10 साल बाद मै अपने नाना जी के घर आया था, मेरे मामाजी तीन भाई थे, लेकिन अब दो ही है,
सबसे छोटे मामाजी जो केवल 18 साल के थे, तभी अचानक चल बसें, काफी कोमल दिल के थे सकल सूरत से राजकुमार लगत…
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