Ek thi anuradha : एक थी अनामिका

एक थी अनामिका 

हैल्लो, आज मै आपको एक प्यारी सी कहानी बताने जा रही हु जिसमे अहम् भूमिका है अनामिका  की, थी तो बड़ी चंचल लेकिन उससे व ज्यादा काफ़ी बेबाक, बातो से तो उसकी सहद टपकती थी, कभी कभी सोचती थी के कहा से सीखी इसने ऐसे जादूभरी बाते करना, लेकिन जीवन ने उसके हिस्से संघर्ष अधिक लिखा था फ़िरभी सभी को पार करके अपने आत्मबल से वो ऊपर उठी, सबको पार कर आज एक अच्छी टीचर है तो आइये जानते है के आखिर उसने अपने रास्ते आने वाले सभी रुकावटों को पार कैसे किया और आगे कैसे बढ़ी ये कहानी हमें प्रेरणा से भर देगी, साथ हमारा हौसला व बढ़ाएगी |


अपने बचपन मे हर किसी को खिलोने, गुड्डे गुड़िया और ना जाने कितने खिलौने से खेलने का शौक होता है, लेकिन उसकी जिन्दगी मे इनका शौक नहीं था वो तो तरस गयी अपने माता पिता का प्यार पाने के लिए, और जी  बच्चों के जिंदगी मे मा बाप की छाया ना हो हम और आप उसकी जिंदगी की कल्पना व नही कर सकते 

वाह अपने मामा के यहा रहती थी, सुरुवात मे तो कुछ दिन अच्छी बीती लेकिन उसके बाद धीरे धीरे उसे सारे सुख सुविधा से वंचित रखा जाने लगा,  साथ खेलने वाले भाई बहनो से एक सा ब्यावहर तो मिलता लेकिन बडो से  ही बड़े लोहो के लिए तो वो एक काम करने वाली बाई थी, जिससे जितना काम करवालो काम ही लगता उन्हें, उस छोटी बच्व्ही के लिए घर बाहर सिर्फ काम ही करने को दिया जाता, काफ़ी बार उसने मना किया फिर धीरे फ्हिरे उसे व आदत सी होने लगी वो समझ चुकी थी के यहाँ रहना है यों ये सब सहना ही होगा, कई बार तो उसे खाना व नहीं दिया जाता था क्युकी सबको लगता था के वो ज्यादा खाती है और मोटी भी यों ना व दे तो चलेगा, इन सब के चककर मे उस अबोध लड़की पर क्या बिती होंगी वही जानती h, फिर भी कभी उसने अपने मामा मामीजी के बारे मे बुरे शब्दो का प्रयोग नहीं किया, वो तो उन्हें अपने मा पापा की तरह समझती रही 

अब वो बड़ी हो चुकी थी, और दिखने मे व काफ़ी सुन्दर लगती थी, पढ़ने मे व काफ़ी अच्छी है और आज की युवा की तरह प्यार इश्क़ के पीछे नहीं भगति नहीं फिरती, अपनी भविष्य को स्वआरने  मे और अपने सपने सच करने मे लगी रहती दिन रात, उसे देख लगता ही नहीं की वो आज के युग की लड़की है, हर बुरी आदत से कोशो दूर रहती,अपनी पढ़ाई मे अच्व्ही होने के कारण उसने काफ़ी सारे पुरस्कार व जीते थे, चाहती थी के वो भी एकदिन टीचर बन सके, और बिल्कुल वैसा ही हुआ कॉलेज मी पढ़ाई पूरी कर उसने आगे भी पढ़ाई जारी रखी, और कई सारे एग्जाम देने के बाद एक दिन उसे अपने जॉब की कॉल लेटर मिल ही गयी, वो तो खुश थी ही उसके भाई बहन और घरवालों ने व उसका हौसला बढ़ाया, काफ़ी मुश्किलों के बाद उसने अपने सपने को पाया था इसलिए खुश होना ही था, लेकिन ये तो बस एक पड़ाव है आगे उसके जीवन की मुश्किल रहे उसका इंतजार कर रही थी 


जब वो पहले दिन अपने काम पर गयी, उसके साथ और व सहायक टीचर उसे देख डंग रह गए, काफ़ी काम उम्र थी उसकी इसलिए कोई यकीन ना कर पा रहा था के पढ़ने की उम्र मे उसने पाधाना स्वीकार किया, 


उसकी जान पहचान बहुत से सहायक टीचर एओम साथी टीचर से हुई, पर वो अपने काम मे लगी रहती ना किसी को ज्यादा जानना और ना किसी से ज्यादा मेल जोल रखना उसकी आदत ही नहीं थी धीरे धीरे बाकि महिला टीचर को उससे जलन होने लगी, उसके रास्ते मे दिन प्रतिदिन काफ़ी रुकावट आने लगी जिसका कारण बाकि महिला टीचर थी, लेकिन उसने तो हारना सीखा ही नहीं, वो हर रुकावट पार करती रही, आगे बढ़ती रही, फिर उसने अच्छी जगह आपली की वहा उसने नौकरी कर ली, यहाँ उसका अंनूभव कुछ नये लोगो से होने को था, कुछ अच्छे कुछ बुरे, अच्छे लोग जो उनकी कद्र करते, हौसला बढ़ाते और बुरे जो निंदा करते हमेशा निचा दिखाते, आजके लोगो की मानसिकता ही ऐसी होती है के या तो उनसे बराबरी करलो या फिर उन्हें निचे गिरादो, ऐसा ही कुछ अनुराधा के साथ होता आए रहा था इसी बिच उसकी मुलाकात अमर से हुई, काफ़ी अछे और शालीन स्वाभाव का था जिसे पक्ली नजर मे ही अनामिका से प्यार हो गया, लेकिन अनुराधा की मंजिल तो कुछ और ही थी जिदके पीछे वो लगातार भागे जा रही थी बगैर ये जाने के सामने से आए रहे लोगो मे उसका जीवन साथी छुपा है 
अमर चाहत अनामिका  के लिए हर दिन बढ़ रही थी लेकि वो अनामिका  से कुछ कह नहीं पता, उधर अनुराधा की रिसबते की बात चल रही थी, ज़ब अमर को इस बात की खबर हुई तो बिलकुल देर ना करते हुए अपने मा बाप से बात की, वे राजी हो गए, उधर अनुराधा के घरवाले व राजी हो गए, कुकी वोसब  जानते  थे की सामने से रिस्ता चल के आया है तो हमें इससे अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा, 


इसतरह दोनों की शादी बड़े धूम धाम से हुई,  और अनुराधा को जिस तरह का प्यार चाहिए था वो कमी उसके सास ससुर और पति ने पूरी कर दी, लेकिन फुर भी अनामिका नहीं रुकी वो लगातार अपने सपनो को सीधी बनाकर आगे बढ़ती  रही और आज वो उस मुकाम पर है जहा लोग सोच के ही नहीं पाते, सपने पुरे करना दूर की बात है 

अनामिका  के हौसले से हमें ये प्रेरणा मिलती है की चाही हालात कैसे भी हो हिम्मत कभी नहीं हारनी वहहिये और अपने लगन से वो कर दिखाना चाहिए जिसमे आपको तस्सली हो, और सपने देखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए उसे साकार करना आपका दायित्व है |



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