माँ बगैर बचपन
एक फला फुला सुखी परिवार था, परिवार मे दो बेटे, दो बेटियां थी, जल्द ही पिता ने बेटियों की शादी अच्छे घराने मे कर दी, अब घर मे दो बेटे थे, चुकी शादी की उम्र उनकी भी हो चली थी परन्तु उन बेटों को पिता ना पहले रोजगार सिखाने के लिए अपने साथ शहर ले गये, क्युकि उनका उद्योग धंधा वही था,
बड़ा बेटा बिल्कुल मुर्ख था, उसे बार बार सब सिखांए जाने के बाद भी वाह गलतियां कर देता था, जबकि छोटा बेटा काफी समझदार और मेहनती था, देखते ही देखते छोटे बेटे ने सारे उद्योग धंधे की बागडोर अपने हाथो मे ले लिया, और बड़ा बेटा सिर्फ देखता रहा,
पिता भी समझ चुके थे की बड़े बेटे मे वाह काबिलियत नही है जो उद्योग धंधे को चला सके, उसे अपने साथ घर ले गए और उसे घर पर ही रहने को कहा,
जबकि वे खुद शहर से आना जाना किया करते थे, एक दिन उन्हें एक सुन्दर लड़की अपने बेटे के लिए भा गयी, वाह लड़की रंग रूप से बहुत ही सुन्दर थी, जिससे अपने बड़े लडके की शादी करवा दी, फिर अगले साल छोटे बेटे की शादी कर अस्वस्थ हो पड़े, और कुछ ही दिनों मे स्वर्ग सिधार गये,
पिता के जाने के बाद हर चीज का भार छोटे बेटे पर आ गया, छोटे बेटे की पत्नी कुटिल बुधि की थी, इसलिए उसने बड़े बेटे की जिम्मेदार ना लेने की बात छोटे बेटे के दिमाग़ मे भर दी,
ठीक वही हुआ जिसका डर था, शहर से दो महीने राशन का खर्च आने के बाद अगले महीने से बड़े भाई का दाना पानी छोटे भाई ने बंद कर दिया, बड़े भाई का परिवार अब बड़ा हो चूका था, उसे एक लड़की और दो लड़के थे, पति मंदबुद्धि होने के कारण किसी काम को कर पाने मे असमर्थ था, इसलिये पत्नी जैसे तैसे घर खर्च चलाने लगी, कभी मजदूरी करती, तो कभी जंगल से लकड़िया लाकर बेचती, और जो पैसे आते उससे राशन खरीदकर अपने परिवार को पालती, जैसे तैसे गुजारा चलता था, बच्चे भी अब पढ़ने के लिए सरकारी स्कुल जाने लगे,
एक दिन की बात है, किसी बात पर बहस करते करते मंदबुद्धि पति ने पत्नी को पत्थर के एक टुकड़े से वॉर कर दिया, जिससे पत्नी का हालत काफी गंभीर हो गयी, और रक्त अधिक बेह जाने के कारण पत्नी अचेत होकर गिर पड़ी, आस पास के लोग सिर्फ तमाशबीन बने हुए थे, ज़ब तक उनलोगो ने उसे अस्पताल पहुंचाया, तबतक वाह प्राण छोड़ चुकी थी,
अब उस मंदबुद्धि के पास तीन मासूम जान की जिम्मेदारी आ चुकी थी, टोले मोहल्ले वालो की मदद से उसने अपनी पत्नी की क्रिया क्रम तो कर दिया, पर हर दिन बच्चों का पेट कैसे भरे,
कुछ दिन तक आस पास के लोगो ने बच्चों पर तरस खाकर खाना दे दिया, फ़िर बच्चे भूखे रहने लगे, बड़ी बेटी माँ के साथ जंगल जाया करती थी इसलिए मात्र 5 वर्ष की उम्र की लड़की अपने छोटे दो भाइयो को खाना खिलाने के लिये जंगल से लकड़ी लाने लगी, बेटी की ऐसी दशा देख पिता को धीरे धीरे एहसास हुआ, और बेटी को घर पर रख कर वाह मजदूरी करने जाता, शाम को लौटता, उसके बाद ही बच्चे खाना खा पाते,
सुबह से शाम तक बच्चे इधर उधर गिरते पड़ते रहते, किसी को दया आ जाती तो दो रोटीया दे दिया करते, उन बच्चों मे एक बच्चा मात्र 8 महीने का था, जिसे पानी मे अरारोट घोल घोल कर वाह बच्ची पिलाया करती, इतने से उम्र मे हालात ने उसे दो बच्चों की माँ का जिम्मा दे दिया था, बच्चे अपनी बड़ी बहन मे ही अपनी माँ को तलाशते, काफी समय बीत गया,
एकबार भूख से बेहाल बच्ची पेड़ से फल तोड़ने ऊपर चढ़ी, अचानक पैर फिसलने के कारण उसके दाहिने हाथ मे काफी चोट आयी, सही से इलाज ना होने के कारण बच्ची के हाथ ढंग से काम नही कर पाते, फिर भी अपने छोटे भाई को अपनी बांहो से चिपकाये शाम का इंतजार करती, जबतक उसके पिता राशन लेकर ना आ जाते,
छोटे भाई को जब बड़े भाई की दुर्दशा की खबर हुई तो वाह गाँव पहुंचकर सभी को अपने पास शहर ले आया, और अपने काम काज की देखभाल के लिए बड़े भाई को तैनात कर दिया, और बच्चों की परवरिश भी की, बच्चे गाँव मे जैसे पल रहे थे, उस हालात मे उनका बचना मुश्किल था, वो तो शुक्र है छोटे भाई को आखिरकार अपनी गलती का एहसास हो ही गया,
उनकी बेटी अब बड़ी हो चुकी थी, इसलिए दोनों भाइयो ने बड़ी बेटी की शादी अच्छे और भले परिवार के लडके से की है, जिससे वाह सदा खुश रहेगी, और बचपन मे उठाये सारे दुख तकलीफ भूल जाएगी, कही ना कही से उसकी माँ भी अपनी बेटी को आशीष दे रही होंगी |
0 टिप्पणियाँ