अपमान की कहानी (story of insult )

अपमान की कहानी (story of insult )




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प्यार की नाव मे सवार होने वाला हर सक्स या तो ड़ूब जाता है, या फिर पार हो जाता है, लेकिन इस कहानी मे शिला के प्यार का नाव हमेशा बिच मझधार मे ही रहा  

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ये कहानी शिला की है, जिसका नसीब सबसे अलग था, 

शिला अच्छे परिवार की लड़की थीं,  उसका रंग सांवला था, लेकिन मन का बचपना कभी गया ही नहीं, कोई भी चीज हो, उसकी माँ ने उसे कभी सिखाया नहीं, बस उसपे थोप दिया, लो करो, अच्छा या बुरा किसीको पड़ी नहीं थीं, जरुरी से जरुरी चीजे भी उसने अपने अनुभव से ही सीखे थे, 

बचपने के साथ ढेर सारी नादानी भरी पड़ी थीं उसमे, हर दिन गलतियां करती रहती, ऐसा नहीं था के वो जानबूझकर ये सब करती थीं, उसे तो सही गलत की समझ ही नहीं थीं, शारीरिक तौर पर भले ही बड़ी हो गयी हो, लेकिन मन से  एक बची ही थीं, 

शीला बचपन से एक बड़े शहर मे रहती थीं, जहा पर उसके पिता सरकारी नौकरी पर कार्यरत थे, एकदिन अचानक से शिला सहित सारा परिवार अपने पुस्तैनी गाँव आ गया, उस समय शीला काफी नादान थीं, इसलिए ये सब क्यू हुआ, इसका कारण जानने मे उसे कोई दिलचस्पी नहीं थीं, वो अपने गाँव आकर खुश थीं, 

शीला का पहनावा उस समय थोड़ा शहरी था, जिसे गाँव वाले घुरघुर कर देखते, और कुछ भी कह कर निकल जाते, पर शीला इनसब गाँव के तौर तरीकों से अनजान थीं,  गाँव मे सयकिल चलना, कबड्डी खेलना, बच्चो के साथ नये नये चीजे खेलना पसंद आने लगे उसे, हलाकि वो बिना संकोच हर किसी को अपना लेती थीं, लेकिन बाकि बच्चे उसके कपडे, उसके अंदर का बचपना देखकर उसका हमेशा उपहास किया करते, 

अब शीला कई वर्षो के लिए गाँव मे रहनेवाली थीं, इसलिए उसका भी दाखिला उसी स्कुल मे कराया गया जहा उसके चाचा की बेटियां पढ़ा करती थीं, 

स्कुल का पहला दिन, शिला टाइट सि जींस मे थीं जिसकारण हर किसी के नजरे उसपर थीं, बाकि के छात्र छात्राओ मे उसकी अलग तरह की पहचान बन रही थीं, दो महीने शहरी वस्त्र पहनकर जाने के बाद उसके कपड़ो मे परिवर्तन करने को कहा गया, शिला दिमाग़ से बच्ची थीं वो ये सब समझ नहीं पायी, फिर धीरे धीरे वाह सलवार कमीज पहन स्कुल जाया करती थीं, 

कुछ सालो के बाद शीला लड़कपन की उम्र मे थीं, उसके घर से थोड़ी दूर पर ही उसकी सहेली सरिता का घर था, जहा वो अक्सर पढ़ने के लिए जाया करती, सरिता बच्चो को टूशन पढ़ाती थीं, इसलिए शीला भी वही जाकर अपनी पढ़ाई करती, सरिता के घर मे उसके रिस्तेदारो का अनजाना लगा रहता जिनमे से ज्यादातर उसे परेशान करते,  उसके रंग को लेकर ताने कस्ते, फिर भी शीला वही अपना ज्यादातर समय बिताती, उसकी सहेली सरिता से उसका खाश लगाव था.. 
सरिता के रिस्तेदारो मे एक खड़ूस भाई भी था, जो सकल सूरत का अच्छा था , जो काफी परेशान किया करता था शीला को, हमेशा उसके सकल सूरत के पीछे पड़ा रहता,  उसे शीला अच्छी नहीं लगती थीं, और शीला को भी वो एक आंख नहीं भाता था, जब तक वो खामोश रहता तभी तक सरीफ लगता था, जैसे ही बोलना स्टार्ट करता, मानो एक साथ ढेर सारे लफ्जो के बान से शीला को घायल कर देता, कितनी बार शीला के आँखों मे उस बदमाश ने आंसू लाये थे, 

जब भी वाह बदमाश आता, शीला को अपमान के अलावा उसने कभी कुछ दिया ही नहीं, शीला को भी आदत हो गयी थीं इन सबकी, धारे धीरे उस बदमाश के दिमाग़ मे तरह तरह की खिचड़ी भी पका करती थीं, जिसकारण वो हर किसी के साथ सिला का नाम जोड़ दिया करता था, शीला फिर भी उसे इज्जत देती, 

सिला की उम्र लड़कपन की थीं, उसे सही गलत कुछ समझ नहीं आते थे, जिसकारण लड़ते झगड़ते उस बदमाश ने शिला के दिलोदिमाग पर घर कर लिया, और वो अपने अंदर इस बात को दबा नहीं सकी, समझ कम होने के कारण उसने एक दिन उस बदमाश से अपने मन की बात कह डाली, 

ऐसा हुआ जैसे उसे शिला को अपमानित करने का नया रास्ता मिल गया हो, उसने इतनी जली कटी, काटो से भारी बाते शिला को सुनाई, के शिला के मन मे प्यार शब्द से नफरत हो गयी, यहाँ तक की फ़िल्मी जोड़े देखकर उसमे  घृणा का भाव उत्पन्न होता, उस बदमाश के प्रति उसका नजरिया एकदम से बदल गया, 

जीवन के सफऱ मे वाह शख्स इकलौता था, जिसे शिला ना तो याद रखना चाहती थीं, और ना ही भूलना चाहती थीं, उसने जाने अनजाने इतने सारे घाव शिला को दिए थे जिसकारण वो शख्स उसे भला समझें या बुरा शिला को कभी उससे फर्क नहीं पड़ा, 

बस भगवान से एक बात पूछनी थीं, कुछ लोगो को इतना परफेक्ट क्यू बना देते हो की सारा जीवन उसे दुसरो मे नुस्ख के शिवा कुछ मिलता ही नहीं है, 

और किसी ऐसा बना देते हो की उसे अपनी सख्सियत पर भी शंका होने लगती है |

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English translation 

Story of Insult


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 Every success in the boat of love either drowns, or crosses, but in this story, the boat of love of Shila always remained in the middle.


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 This story is from Shila, whose fate was different,


 Shila was a girl from a good family, her complexion was dark, but never mind childishness, no matter what, her mother never taught her, just impose on her, lo, good or bad, no one was lying,  He also learned important things from his own experience,


 There was a lot of ignorance with the child, in it, she would keep making mistakes every day, it was not that she used to do all this intentionally, she did not understand the right wrong, even though she has grown physically, but the mind  There was only one left from


 Sheila had lived in a big city since childhood, where her father was working on a government job, one day suddenly the whole family including Shila came to their village of Poochini, at that time Sheila was very innocent, so why did all this happen, to find out the reason why  She was not interested, she was happy to come to her village,


 Sheila's dress was a little urban at that time, which the villagers would see by grunting, and would go on to say anything, but Sheela Insub was unaware of the ways of the village, cycling in the village, playing kabaddi, playing new things with the children  She started liking him, though she would hesitate everyone, but the other children would always ridicule her by looking at her clothes, her childishness,


 Now Sheela was residing in the village for many years, so she was also admitted in the same school where her uncle's daughters used to study,


 On the first day of the school, Shila was in tight jeans, due to which everyone's eyes were on her, the rest of the students were becoming her different identities, after two months wearing urban clothes, she was asked to change her clothes,  Shila was a child with a mind, she could not understand all this, then slowly she used to go to school wearing a salwar kameez.


 After a few years, Sheela was in her childhood, her friend Sarita's house was a little away from her house, where she would often go to study, she used to teach tuition to the children, so Sheela would go to the same place and do her studies,  Sarita's house used to be unknown to her relatives, most of whom used to harass her, taunt her about her complexion, yet Sheela used to spend most of her time, she had a special affection for her friend Sarita ..

 Sarita's relatives also had a Khadus brother,  Which was good overall, who used to bother Sheela, always lying behind her gross appearance, she did not like Sheela, and Sheela did not like an eye until she kept quiet.  It used to be just then, as soon as he started speaking, as if he would have injured Sheela with a lot of bananas, how many times did that miscreant bring tears to Sheela's eyes,


 Whenever the WoW rogue came, she never gave anything except insult to Sheela, Sheela also got used to all this, Dhara used to cook a kind of khichdi in the mind of that crook, due to which she would be with everyone  Used to add Silla's name, Sheela would still respect her,


 Silla was of age as a boy, she did not understand anything right or wrong, due to which the crook fighting at home fought at the heart of Shila, and she could not suppress it inside her, due to lack of understanding she one day  Say your mind to the crook,


 It is as if he has found a new way to humiliate Shila, he has heard so much burns, heavy talk with Kato, that Shila hates the word love, even seeing the film couple, she hates  Would arise, his attitude towards that crook changed completely,


 In life, Wah was the only person, whom Shila neither wanted to remember, nor did she want to forget, she had unknowingly given so many wounds to Shila, so that the person could understand her well or bad Shila never made any difference to her.  ,


 There was only one thing to question to God, why do some people make such a perfect cue that the whole life does not get anything other than the prescription,


 And make someone so that he starts to doubt his personality too.


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