समय और जंगली प्राणी

समय और जंगली प्राणी
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 समय नाम के एक शख्स को हिमालय की बर्फीली सतह पर घूमना और रहना बेहद पसंद था, वह पेशे से एक गाइड था, उसने कई बार एक दैत्य रूप वाले वन्य जीव के पदचिन्ह  को पाया था, जिसके बारे में टीवी चैनलों से अपनी जानकारी भी शेयर की थी,  टूरिस्ट अक्सर हिमालय के पर्वत ऊपर चढ़ाई करते हैं, हिमालय की पर्वत काफी ऊंचा है, बर्फ की चादरों से ढका हुआ हिमालय, अपने साथ कई अनसुलझे रहस्य को समेटे हैं, कई टूरिस्ट और गाइडों ने उस विशाल जंगली प्राणी पैरो की छाप को देखा था,  वह प्राणी लगभग 20 22 फुट के आसपास है, 

 हिमालय पर पहुंचकर उसे पैरो के निशान से वन्यजीव विभाग के जांचकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि यह किसी दैत्य रूपी जंगली प्राणी के पद चिन्ह है, जो दो ऐरोली पर मनुष्यों की तरह चलता है, 

 समय उस जंगली प्राणी के बारे में और भी जानकारियां इकट्ठा करना चाहता था इसलिए वह इस समय पर हर रोज उस जंगली प्राणी की तलाश में निकलता था, कई महीनों तक निरंतर प्रयास करने के बावजूद वह वन्य प्राणी समय के हाथ नहीं लगा था, 

 एक दिन समय फिर अपनी कोशिश जारी रखते हुए पर्वतों के उस भाग में पहुंचा जहां वन्य प्राणी के पद चिन्ह कई महीनों पहले देखे थे, समय कुछ देर वहीं रुकने की तैयारी करके पहुंचा था, शाम के 4:00 बज चुके थे और अपने कैंप में जाना था, 

 जैसे ही समय वापस जाने के लिए मुड़ा, उसे सामने से वही विशाल का वन्य प्राणी आता दिखा, वाह जी इतना विशाल और बड़ा था जिसे देखकर समय हक्का बक्का रह गया, समय ने इससे पहले उस दिल को कभी नहीं देखा था सिर्फ पैरों की लंबाई से किस शरीर का अंदाजा लगाया था, समय के सामने एक छोटा सा पर्वत नुमा चट्टान था जिसके पीछे समय छुप गया, वही सेवा उस वन्यजीव की हरकतों पर नजर रखे हुए था, वाह वन्य प्राणी थोड़ी दूर आगे चलते हुए सामने एक बर्फ की चादर से ढका, गुफा के अंदर चला गया, इससे पहले कि समय कुछ समझ पाता अंधेरा हो चला था, लेकिन समय को अपनी जान की परवाह नहीं थी वह उस वन्यजीव के बारे में पूरी तरह से जानकारी इकट्ठा करना चाहता था, इसलिए उसने रात वहीं गुजारने की सोची और चट्टान के पीछे वह चुप कर उस बड़े विशालकाय जीव के निकलने का इंतजार करता रहा, पूरी रात वहीं गुजारने के बाद सुबह के 5:00 बजे थे, जोर की गड़गड़ाहट भरी आवाज के साथ वाह वन्य जीव गुफा से निकलता दिखाई दिया, समय बेहद चौकन्ना था, 

 वह वन्यजीव पर बड़ी दूर से ही नजर रखे हुए था, समय ने उस वन्यजीव की कई तस्वीरें भी ली, समय को एहसास हुआ कि वह विशाल का दिखने वाला जीव बेहद संवेदनशील है वह घास फूस फल फूल के अलावा कुछ भी नहीं खाता है, उस पर्वत पर बाकी सभी अन्य जानवरों के साथ उसकी अच्छी मित्रता है, वह प्राणी गोरिल्ला का ही दूसरा रूप है, समय मन ही मन सोच रहा था कि जिस वन्य प्राणी के बारे में सोच सोच कर उसके अंदर इतनी भयानक और डरावनी चीजें घर कर गई थी वह वन्य प्राणी तो बेहद ही मिलनसार निकला, 

 समय कई मीडिया चैनलों से जुड़ा हुआ था और उस वन्य प्राणी के पल-पल की जानकारी देता रहता था, उसे एहसास हुआ कि अगर मीडिया चैनल वालों को उसके बारे में भनक लग गई, तो वह उसे चैन से जीने नहीं देंगे,

 और हो सकता है उसे चिड़ियाघर में कैद कर लिया जाए, यह सारी बातें सोच कर समय ने उन फोटोग्राफ्स को किसी को ना देने की सोची, और उस वन्यजीव की आजादी बरकरार रखने में समय ने मदद की, 

 सिख : इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि अपने फायदे के लिए दूसरों को इस्तेमाल करना गलत होता है, इंसानियत का मतलब है कि दूसरे लोगों और जंगली प्राणियों को उनके अपने ढंग से जीने दे जैसा समय ने किया |



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