रणविजय बचपन से ही होनहार और काबिल छात्र था, घर मे वो उसका भाई और माँ, पापा को लेकर घर मे बस चार ही लोग थे, रणविजय बचपन समझदार और ब्यवहार कुशल था, समय का पाबंद होने के साथ घर के छोटे बड़े काम से लेकर माँ का हाथ बटाना भी उसे अच्छे से आता,
कभी काबर जब माँ किसी काम से दो चार दिन के लिए बाहर जाती तो, माँ की अनुपस्थिती मे रणविजय ही घर का ख्याल रखता,
रणविजय का सपना एक आर्मी अफसर बनने का था, जिसके लिए वाह खूब मेहनत करता, हर दिन सब से पहले उठकर घर के पास वाली मैदान मे ढेरो चक्कर लगता, और कसरत करता, जिससे उसकी कद काठी आर्मी के लिए बिल्कुल उचित बैठ सके,
आखिरकार रणविजय ने अपने लग्न और मेहनत से आर्मी की वर्दी हासिल कर ही ली, आर्मी ज्वाइन किये हुई उसे करीब तीन साल बीत चुके थे, उसके परिवार उसकी शादी के लिए चिंतित थे, उन्होंने कई लड़कियां भी पसंद कर रखी थी, ज़ब रणविजय लौटा तो उन लड़कियो की तस्वीरें उसे दिखाई गयी, लेकिन रणविजय अभी शादी नही करना चाहता,
बहुत पूछने पर रणविजय अपने बड़े भाई को बताता है की, इन तीन सालो मे उसने दो बार भारत और पाकिस्तान की सीमा मे युद्ध जैसी स्थिति को संभाला, पहली बार तो सब ठीक रहा, लेकिन दूसरी बार की गोलीबारी मे वह सीमा पर घायल पड़ा था, तभी सीमा से सटे गाँव का परिवार उसे अपने घर ले गया, दवा दारू कराई,
उस दौरान रणविजय गंभीर रूप से घायल था, और उसे गोली भी लगी हुई थी, लेकिन गाँव वाले की उपचार से वाह स्वस्थ हो गया, उस परिवार मे 18 वर्षीय नीलिमा भी थी, जिसकी सेवा से रणविजय जल्द स्वस्थ हुई थे, पहली नजर मे ही रणविजय नीलिमा पर आकर्षित हो गया था, धीरे धीरे नीलिमा भी रणविजय को चाहने लगी,
रणविजय कहीं भी रहता, छुट्टी होते ही सबसे पहले नीलिमा के पास ही जाता, उसके बाद कही और,
रणविजय की बाते सुनकर उसका भाई थोड़ी देर के लिए खामोश हो गया, फिर बोला, मै तेरी बाते समझता हूँ लेकिन माँ पिताजी को कौन समझायेगा ये सारी बात,
जैसे तैसे रणविजय और उसके भाई ने मिलकर अपने माता पिता को नीलिमा से शादी के लिए राजी कर लिया,
रणविजय जब इस बार नीलिमा के घर पहुंचा तो देखा, उसकी शादी हो चुकी है,
रणविजय को धक्का लगा, जानकर, फिर भी खुद को सँभालते हुए वाह अपने पिता की पसंद की गयी लड़कियो से शादी करने के लिए राजी हो गया,
उसके पिता ने पहले से पसंद की हुई लड़की से रणविजय की शादी कर दी, जिसके बाद उसने एक अच्चे बेटे और अच्छे पति की तरह सारे कर्तब्य निभाए, रणविजय के कारण परिवार कभी कसी मुसीबत मे ना फसा, देश की स्वके साथ परिवारसेवा भी उसने बखूबी की, और आज वाह एक हस्ते खेलते परिवार का कर्ता धर्ता है,
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है, की हालात चाहे जैसी भी हो, हमें अपने कर्तब्यो से पीछे नही हटना चाहिए, और साफ नियत से अपने से जुड़े हर रिश्ते को निभाना चाहिए,
0 टिप्पणियाँ