यह कहानी इतिहास काल से जुडी है, और बिल्कुल काल्पनिक है,
पहनी उर्मिला अपनी झोपडी मे जैसे हीं कदम रखे, दरवाजे पर एक अजनबी ने दस्तक दिए,
देखने से साफ सुथरे पोशाक मे एक शालीन युवक था, जो 30-35 वर्ष का रहा होगा, रंग रूप से गोरा था, और चेहरे पर धारदार मुछे काफी फब रही थी
उर्मिला ने जैसे हीं उससे पूछा जी कहिये क्या बात है, वह बोला मै उस लड़की से मिलना चाहता हु जो, सबके रोग ठीक करती है,
उर्मिला एक जाने माने वैध की बेटी थी, जिसकारण कमी उम्र मे हीं उसने अपने पिता से अधिक तजुर्बे हासिल कर लिए थे,
उर्मिला ने कहा, हा मै हीं हु, वह युवक बोला की क्या मै आज रात यही रुक सकता हु, जी मै बड़ी दूर से आया हु, और मेरे पास खकही रुकने और खाने का ठिकाना नहीँ है,
अगर आप थोड़ी दया करती तो, वैसे कला मुझे राजस्थान के लिए निकलना है, जहाँ राजस्थान साहब ने वहा की जनता जो की एक खाश माहमारी से पीड़ित है, उनके लिए आपसे जड़ी बूटीया व सटीक इलाज लाने को भेजा है मुझे,
इतना सुनते हीं उर्मिला ने जवाब दिया हा क्यूँ नहीँ हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीँ है, परन्तु आप यहाँ रुक सकते है, माँ पिताजी से कहकर आपके लिए जल पान की ब्यवस्था करवा दूँगी,
और वह युवक सामने पड़ी चारपाई पर बैठकर उर्मिला को भाँपता रहा,
उर्मिला भी अचानक आये बिन बुलाये मेहमान से थोड़ी चिंतित थी परन्तु बात जनता की थी इसलिए, वह चुपचाप रातभर उनके लिए जदी बूटीया तैयार करती रही,
उस युवक की बातो से ऐसा लगा रहा था, जैसे वह युवक कोई साधरण पुरुष ना होकर, अच्छा दार्शनिक, ज्योतिष, अर्थशास्त्री, एवं एक योग्यवान पुरुष है, उर्मिला भी मन हीं मन सोच रही थी भला इसे मेरे घर का पता किसने बताया,
यह ब्यक्ति कोई आम ब्यक्ति नहीँ हो सकता, इतने मे हीं युवक जदी बूटीया लेकर अपने नगर जाने को तैयार हो चूका था,
सभी से आज्ञा लेकर वह निकल पड़ा,
उर्मिला कई दिनों तक उस बिन बुलाये मेहमान के बारे मे सोचती रही, फिर वह अपने कार्य मे मशगुल हो गयी,
उधरजीस माहमारी ने राजस्थान की जनता को अपने चपेट मे लिया था, वह अब अन्य राज्यों मे भी अपना पैर पसारने लगी, जिससे बैध जी के घर हर दिन जड़ी बुतिया लेने वाले की तादात मे इजाफा हो रहा था,
सभी चिंतित थे, की आखिर यह माहमारी इतनी तेजी से क्यूँ बधाई रही है, और यह समाप्त होने का नाम भी नहीँ ले रही,
तब उर्मिला और उसके पिता जदी बूटीया लेने जंगल गये, थोड़ी दूर और चलने पर एक महान दिव्यपुरुष रहते थे, जो हर संकट मे सभी को सटीक उपाय बताते थे, एवं उन्होंने अपनी तपस्या से कई सिद्धिया भी प्राप्त कर रखी थी,
बैध जी इस कठिन समय मे वहा जाकर गुरूजी से कुछ राय लेना चाहते थे,
वहा जाते हीं उन्होंने गुरुदेव को प्रणाम कर आने का कारण बताया, गुरूजी सभी बातो से अवगत थे, और इस सिलसिले मे उनसे कई दिव्य पुरुष भी मिलने आ रहे थे, हरकोई उनसे उस माहमारी से निजात पाने के उपाय की चर्चा मे लगे थे,
तभी उर्मिला की नजर राजसी वस्त्र पहने एक दिव्य पुरुष पर पड़ी जो किसी राज्य का राजा जान पड़ रहा था, उसकी शक्ल उस युवक से मेल कहा रही थी, जो उर्मिला के घर जडी बूटीया लेने पहुंचा था,
उर्मिला को देखकर वे हल्के से मुस्कुराते हुए उन दोनों का अभिनन्दन किया, दरअसल वे राजस्थान के राजा थे, जो सटीक उपचार ढूंढने अपने राज्य से भेष बदल कर निकले थे,
तभी उन्हें किसी ने बैध जी और उर्मिला के बारे मे बताया था, उन्होंने उर्मिला को उस दिन आश्रय देने के लिए धन्यवाद किया और अपनी माहमारी के खिलाफ अपनी तैयार रणनीति बताई, जिसके बाद उर्मिला भी एक बैध के तौर पर राजा एवं अन्य राजसी दल मे शामिल होकर माहमारी को खत्म करने के लिए तैयार हो चुके थे,
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