अंतिम दर्शन

रामानंद नामक एक साधारण ब्यक्ति था, वैसे तो वह बिल्कुल सामान्य था, परन्तु किसी अवचेतना के कारण रामानंद को अभूतपूर्व आभाष होते थे, जो या तो भविष्य दर्शन कराते या, बीते हुए क़ल की झलक दिखलाते,

एक बार रामानंद किसी काम मे रत था, तभी अचानक पलकें बंद होते हि उसके सामने एक अनदेखा दृश्य आया,
यह दृश्य कुछ ऐसा था.............जैसे संगमरमर से बने एक सुंदर महल के बीचोबीच एक गढ्ढा खुदा हुआ है, और वृद्ध पुरुष जिसके तन पर गेरूवा वस्त्र है, उसे उस खोधे हुए गढ़हे मे डालने की तैयारी हो रही हो, वह पुरुष देखने से कोई पुजारी अथवा कोई संत दिख रहा था, और वह उसका शरीर जैसे सिर्फ हाड़ से बना एक ढाँचा मात्र हो,
फर्श पर सतरंज की तरह सफेद और काले निशान दिख रहे थे, और आस पास अंधेरा फैला नजर आया |



मन विचलित कर देना वाला यह दृश्य इससे पहले रामानंद ने कभी नहीँ देखा था, इसलिए पहली बारिसे बस एक वहम समझ कर भूलने की कोशिश करने लगा,

पंरतु यही दृश्य उसे दोबारा दिखा, फिर उसने इस अनदेखे दृश्य की तहकीकात करने की सोची, क्या ये सच हो सकता है ?

या सिर्फ एक वहम, क्युकि किसी महल मे किसी पुजारी को दफनाना कोई मामूली बात नहीँ लग रही थी, परन्तु वह अपने पहले के पूर्वाभाष और बाकि घटनाओ से सीख लेकर इस दृश्य की सच्चाई जानने और सबूत जुटाने मे लग गया,

उसने कई सारी ऐसी जगहों पर पता किया जो उसके द्वारा देखे गये दृश्यों से मेल खाते थे, परन्तु कुछ भी हाथ नहीँ लगा,

एक समय ऐसा भी आया, ज़ब रामानंद ने हार मान लि , और अपनी तलाश को बंद करने का फैशला कर लिया, क्युकि उसे अब तक कोई भी ऐसा सुराग नहीँ मिला था, की उसके इस दृश्य को सच्चा माना जाये,

फिर उसे किसी ने राजा भोज के महल पाण्डु मे स्थित किले की जानकारी दी, रामानंद को लगा की शायद यहां मेरी तलाश खत्म हो जाएगी, क्युकि पाण्डु मे एक स्थान जैन धर्म को समर्पित था, कुछ पल के लिए रामानंद ने मान लिया की शायद यही वो स्थान हो, और उस बिषय मे किसी को जानकारी ना दी गयी हो,

परन्तु बार बार रामानंद एक हि बात पर आकर रुक जाता, की जैन धर्म वाले धर्मगुरुवो की पोशाक या तो होती हि नहीँ है, और होती भी है तो सफ़ेद !! जबकि उसने दृश्य मे गेरूवा वस्त्र धारण किये संत को देखा था |

फिर भी जैसे तैसे उसने अपने मन को इसके लिए समझा लिया था

उसके बाद इस घटना को कई महीने बीत गये, रामानंद वे सारी बातें भूल चूका था, और अपने मोबाइल मे माधवा पेज के सारे स्टेटस देख रहा था, तभी उसके एक स्टेटस मे श्रृंला प्रभुपद को देखा, जिसकी रुपरेखा उस संत से मेल खा रही थी, जिसे रामानंद ने अपने पूर्वांभाष मे देखा,

उससे रहा नहीँ गया, और बिना किसी देरी के उसने श्री कृष्ण भक्त श्रीला प्रभु पद के बारे मे सारी जानकारी एकठा की, जिसके बाद रामानंद हक्का बक्का रह गया, जैसा उसने अपने दृश्य मे देखा था, ठीक वैसा हि दृश्य यूट्यूब पर अपलोड हुए पड़े थे, परन्तु अंतर बस इतना था की महल (मन्दिर ) उनके समाधी लिए जाने के बाद बनाया गया था, अर्थात जहाँ उन्हें स्थान दिया गया, उसी पर एक मन्दिर का निर्माण करवाया गया,

कोई माने या ना माने पर वह बिल्कुल उस संगमरमर महल से मेल खा रहा था, जो रामानंद ने अपने पूर्वां भास मे देखा था |




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ