छल
*****
ललिता शिवम् की पत्नी थी, जो 2 बच्चे और अपने सास-ससुर के साथ पुणे शहर मे रहती थी, ललिता का ज्यादातर समय घर के कामों में बितता था, दुनियादारी से उसे कोई लेना देना नहीं था,
घर संसार मैं उलझी पड़ी ललिता भौतिक सुखो से दूर रहती थी, बस बच्चो और परिवार मे ही उसका सारा समय बीत जाता, ललिता एक सीधी-सादी और सुलझी महिला थी, ललिता का पति शिवम अपने परिवार की बहुत परवाह करता था,
आज ललिता अपनी बहन सुषमा की शादी के लिए अपने मायके जा रही है?
उसके बच्चे बहुत खुश हैं, क्योंकि उन्हें स्कूल से1 महीने की छुट्टी मिली है,
अपने मायके पहुंच कर ललिता और बच्चे बहुत खुश होते हैं, 2 दिन बाद ललिता की बहन सुषमा की सगाई होने को है,
सगाई की तैयारी जोरों पर है, सुषमा अपनी साज सज्जा आज परिधान के लिए पास के बाजार गई रहती है, सुषमा के होने वाले पति का नाम रितेश है,
आज सगाई का दिन है और, सभी सगाई से जुड़े कार्यों में व्यस्त है, सगाई से पहले ही लड़के वालों की तरफ से बड़ी दहेज की मांग सामने आती है, थोड़ी सोच विचार के बाद सुषमा के पिता दहेज के लिए तैयार हो जाते हैं, क्योंकि बेटी की शादी और सगाई की पूरी तैयारी हो चुकी होती थी, और कार्ड भी बाते जा चुके थे,
सगाई के दिन जब ललित सुषमा के होने वाले पति को देखती है, तो उसे चेहरा जाना पहचाना सा लगता है, वह बहुत याद करने की कोशिश करती है लेकिन उसे कुछ याद नहीं आता,
शाम को जब सगाई खत्म हो जाती है और सभी लड़के वालों का परिवार अपने घर को लौट जाता है, तब ललिता बताती है कि रितेश को पहले देख चुकी है लेकिन याद नहीं आ रहा है कि उसमें कहां देखा है,
ललिता हर दिन याद करने की कोशिश करती है कि उसने आंखें रितेश को कहां देखा था, लेकिन वह याद नहीं कर पाती है,
शादी से कुछ दिन पहले लड़के वालों का भांडॉ फूट जाता है, सगाई के दिन चढ़ाई गई जेवरात की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिसके कारण ललिता को शक होता है कि जेवरात कहीं नकली तो नहीं, और सुनार के पास जाने के बाद ललिता का अंदाजा सही निकलता है सारे जेवरात सोने के ना होकर पीतल के थे, जिसके बाद लड़के वालों पर ललिता का संदेह पक्का हो जाता है,
कुछ दिनों मे ललिता को भी याद आ जाता है कि उसने रितेश को कहां देखा था, दरअसल रितेश एक नंबर का छटा हुआ बदमाश था, उसने कई लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसा कर रखा हुआ था, ललिता जी सब 8 मिनट मे रहती थी उसी के नीचे हर रोज
प्रीति नाम की एक लड़की से वह हर रोज मिलने आता था, ललिता को सारी बात याद आती है उसने फौरन अपने परिवार को सारी बातें बता दी,
जिसके बाद सुषमा के पिता ने सुषमा की शादी रितेश से ना करने का फैसला लिया और इस तरह सुषमा की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई, रितेश का परिवार लालची लोग थे, सुषमा के परिवार को धोखा देकर सुषमा से शादी करना चाहता था, और भारी दहेज की भी मांग कर रखी थी,
इस तरह से एक लड़की की जिंदगी बर्बाद होने से बच गयी,
0 टिप्पणियाँ