सम्मान



ज़ब जमाना 120 कि रफ्तार मे आगे बढ़ रहा था, तब भी आकाश कि मंजिल सिर्फ एक थी, जाने क्या पाना चाहता था,

साभी से अलग अपनी एक अलग दुनिया बनाकर सबको अपने बस मे करने कि जिद्द थी,
पतंग, ऐरोप्लेन, पक्षी, तितली ये सभी उसे बहुत पसंद थी, क्युकि ये सब आसमान मे उड़ते है,

आसमान कि हर बारीकी समझने कि कोशिश मे लगा आकाश की चाह दुनिया दारी से अलग थी,

कभी कभी पक्षीयो कि तरह आकाश मे उड़ना चाहता, तो कभी तितली बनकर हल्के धूप मे जीना,

हर कोई एक समान नहीँ होता, ईश्वर सबको भिन्न बनाते है, अलग होकर खुले आकाश मे बिना रोक टोक उड़ना, और अपनी पहचान बनाना आकाश का सपना था,

लेकिन बगैर पैसे, नाम, शोहरत के इंसान कि अपनी कोई पहचान नहीँ होती, शायद इसलिए क्युकि छोटी से बड़ी हर जरूरत सिर्फ पैसे से पुरी होती है

उसके माँ पिताजी दोनों नौकरी करते थे, और आकाश को भी अच्छे से पढ़ने कि हिदायत देते रहते, लेकिन आकाश अपनी धुन मे रहता, उसे किसी कि पड़ी नहीँ थी,

आकाश के मन मे कई सारे सवाल थे, जैसे दादाजी मरने के बाद कहाँ गये होंगे, क्या वहा कोई महल है, लोगो के रहने के लिए, या फिर लोग खडे रहते होंगे हमेशा?

सारी बातें सोचते सोचते एक दिन आकाश अचेत हो गया, उसकी सरुक चुकी थी, धड़कन बंद हो गये,

उसके माता पिता घबराहट मे तुरंत डॉक्टर्स के पास लेकर गये, डॉक्टर ने 20 मिनट तक चैक करने के बाद आकाश को मृत बताया,

पुरे घर मे चीख पुकार सुरु हो गयी, अच्छा खाशा बच्चा था, ऐसे कैसे हो सकता है.....

सभी सदमे मे थे, हैरानी कि बात थी कि आकाश के शरीर पर किसी भी प्रकार के चोट के निशान नहीँ थे, माता पिता व अन्य सभी सदस्य बाकी के रस्मो के लिए आकाश को तैयार कर रहे थे.....

जिसके लिए उसके ऊपर किसी ने एक बाल्टी पानी ढाल दी, पानी से गिला हुआ आकाश अचानक आंखे खोल बैठ गया और कहने लगा..... अरे ये सब क्या है, सब रो क्यूँ रहे है, और लोग मुझे क्यूँ घेरे बैठे हैं, हटो सब,

थोड़ी देर के लिए सभी डरर गये फिर आकाश लौट आया, आकाश लौट आया कहते हुये खुश हो गये...
फिर अक्श के पिताजी ने पूछा... आखिर बेटा तुझे हुआ क्या था, तु अचानक बेहोश कैसे हो गया?

तब आकाश ने बताया कि अचानक कुछ नहीँ हुआ था... एकदिन मै अकेले बैठा पक्षीयो क देख रहा था, तो मेरे सामने एक आदमी आ खड़ा हुआ, मुझे लगा, कोई हमारा पडोशी होगा, लेकिन उसे सिर्फ मुझमे दिलचस्बी थी, वह सिर्फ मेरे बारे मे जानना चाहता था, मुझे अकेला देखकर वह अक्सर आ जाया करता, लेकिन मै कभी समझ नहीँ पाता वह आता कहाँ से था

उसे मैंने अपने मोहल्ले मे पहले कभी नहीँ देखा, एकदिन मैंने उससे पूछा तुम कहाँ से आते हो, तो उसने कहा....  "आकाश से"

मैंने पूछा वहा लोग रहते है, तो उसने बताया..." हाँ
 "

तुम्हारे दादाजी भी बाकियो के तरह वहा रहते है, तुम्हे वो जगह देखना है, उसने पूछा? मैंने कुछ दिनों तक मैंने टाला,

फिर मुझे भी मन होने लगा वहा जाने का, इसके लिए मै आपसे इजाजत लेने हि वाला था कि आज सुबह सुबह और चार लोग सफ़ेद कपड़ो मे निचे आते दिखे,

और मुझे अपने साथ ऊपर ले जा रहे थे, मुझे अपना भार हवा कि तरह लग रहा था, जैसे थोड़ी तेज हवा बहती तो मै उड़ जाता,

जाते हुये काफी समय लगा, रास्ते मे अन्य लोग भी थे, जो काफी दुखी लग रहे थे,

जहाँ मुझे ले जाया गया वह जगह दुध से भी सफ़ेद थी, जिसका ना अंत दिख रहा था और ना हि कोई मल्लिनता,

वहा पहुंचकर मुझे पूछा गया, तुम किस्से मिलना चाहोगे, मैंने कहा मेरे " दादाजी से "

तो मुझे वापस धरती के तरफ लेकर आये और एम हरियाली से भरी जगह मे दिखाया कि वहा तुम्हारे दादाजी है,
तो मैंने पूछा दादाजी उस सफ़ेद जगह मे क्यूँ नहीँ रहते, तो उनलोगो ने बताया कि धरती से आने वाले लोग अपने मोह को इतनी जल्दी नहीँ छोड़ पाते, उन्हें समय लगता है,

जिनलोगो का मोह छुट जाता है, उन्हें ऊपर जगह दी जाती है, वहा सिर्फ वही लोग रहते है जो पुरी तरह से पवित्र और पावन हो जाते है, जिनका मोह नहीँ छुट पाता वे धरती मे आना जाना करते रहते है, किसी को तो आते हि वापस धरती मे जन्म लेने कि चाह रहती है,

और हमारे लिए उनकी चाहत बड़ी बात होती है,

फिर मैंने देखा कि दादाजी जंगल कि तरह बने ऊपवन मे अपने कई अन्य सदस्यों के साथ घूम रहे है, उनके साथियो मे एक हीरो भी था.. माँ जिसकी फिल्मे देखती हो ना तुम,

अच्छा, फिर क्या हुआ? आकाश कि माँ ने पूछा?
फिर मुझे एक खाश जगह लेकर गये, जहाँ सगमंरमर से बनी फर्श थी, सामने एक बड़ी झील!
मै बाकी देख हि रहा था कि सामने एक सफ़ेद दाढ़ी मे सिर पर आधी पगड़ी कि तरह कुछ पहने हुये एक संत आये, उनका पहनावा सफ़ेद था, माथे पर पीली पग थी और उनके पीछे से हल्के पीली रंग कि रौशनी आ रही थी,

वे धीरे धीरे मेरे पास आये, काफी देर तक मुस्कुराते रहे, मै तो उनसे निकलती रौशनी को देखने मे ब्यस्त था, उन्होंने मुझसे बहुत बातें कि......
पर मुझे याद नहीँ, अंत मे जाते हुये अपनी पगड़ी मुझे पहनाया, और कहा तुम ज़ब आकाश कि तरफ देखते हो तब हम भी तुम्हे देखते है,,,,,

मै उनसे और बातें करता कि किसी ने मुझे पानी से भीगा दिया और मै जाग गया,

ओह माँ क्या वे थोड़ी देर और नहीँ रुक शकते थे, आकाश कि बातें सुनकर सभी हसने लगे, और फिर सभी अपने घर चले गये,

आकाश को ये सफर जीवनभर याद रहा |








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