उद्देस्य

यह कहानी किसी अन्य से सुनी सुनाई है जो बिल्कुल वास्तविक है, एवं यह लगभग 50-70 वर्ष पहले की बीती घटना है, इस कहानी का मुख्यमंत्री पात्र एक लड़का है, जिसके अंदर की शक्तियों को देख लोग अचम्भित थे,

एक साधारण परिवार मे जन्मे असमान्य बच्चे की है,
यह बालक रंग रूप और भेष भूशा से आम लगता था, परन्तु कई बार वह किए ऐसी घटना मे सम्मिलित रहता जो, बिल्कुल अनहोनी सा होता,



उद्देस्य जीवन का



कुछ लोगो को यह बच्चा मानसिक तौर पर अस्वस्थ लगता तो किसी को देवदूत, कुछ लोग इसे भूत प्रेत से जोड़कर भी देखते,

इस बच्चे का नाम शंकर था, ज़ब भी उसकी माँ उसके बिखरे बाल सवारती तो माँ को उस बच्चे के बाल मे वैसी लटे मिलती जो ज्यादातर साधुवो मे मिलते है,

माँ इन सब बातो से अनजान हर बार बड़ी मुश्किल से बाल सवार पाती,

एक बार शंकर अपने भाई बंधुवो के साथ अपने घर के मिट्टी से बने आँगन मे खेल रहा था, अचानक उसके इर्द गिर्द कई साँप आकर नृत्य करते देखे गये, यह घटना पुरे गाँव मे मशहूर हो गयी,

जिसके बाद शंकर को कई नाम से पुकारा जाने लगा, शंकर के जीवन का हर दिन रोमांच से भरा रहता, ऐसा कोई दिन नहीं जाता जिस दिन कुछ खाश ना हुआ हो,

उस बच्चे की आँखों मे आकर्षण था, जिससे भूत प्रेत से लेकर वन्य प्राणी भी उसकी और आकर्षित हो जाते, और
उस बच्चे के आस पास नृत्य करते नजर आते, इस दौरान कई लोगो ने बच्चे के मुख् से विशेष तरह के मंत्रो का सटीक उच्चारण करते हुए भी पाया, परन्तु महज 5 वर्ष का बालक जो अभी स्कुल भी ना गया था,

वह इतनी सुगमता से ऐसे विशाल मंत्र कैसे बोल सकता है, उसके माता पिता चिंतित रहते, फिर गाँव के किसी योग्यता ब्यक्ति ने शंकर के परिवार वालो को एक तांत्रिक बाबा के पास ले जाने की सलाह दी,

ये बड़े पहुँचे हुए फ़क़ीर थे जो बच्चे को देखने मात्र से उसके अगले पिछले जन्म की कहानी ब्यक्त कर देते,

बालक को देखते ही तांत्रिक ने पहचान लिया, और बताया की यह बालक साधारण बालक नहीं है, दरअसल यह पिछले जन्म मे एक बड़ा ही सिद्ध साधु महराज रह चुके है, जिनकी शक्तियों का कोई अंत नहीं था,

ये महराज मृत आत्माओ को जो दुसरो को बेवजह सताते है, उन्हें कैद कर लेता, और जो सात्विक आत्माये रहती उन्हें मोक्ष प्रदान करता था, पिछले जन्म मे असंख्य मृत आतमावो को मोक्ष दिला चुके थे, जिसकारण इनकी शक्तियों मे अद्भुत तेज देखा गया,

ये बाबाजी ज्यादातर उन आत्माओ को मोक्ष देते जो मन्दिर या उसके आस पास भटकते पाए जाते, क्युकि उन आत्माओ के अंदर विशेषता पायी गयी थी, इसी तरह इस साधु महराज ने असमान्य सिद्धिया प्राप्त कर लि थी, जो इस सांसार मे दुर्लभ है, और समझ से परे भी,

परन्तु शरीर छोड़ने के बाद भी उन शक्तियों ने इनका साथ नहीं छोड़ा, और यह बालक आज भी उसी रूप मे विद्द्यामान है, जिस रूप मे वह जन्म से पूर्व था,

जैसे जैसे यह बड़ा होगा, इसकी शक्तिया वापस इसपर हावी होती जाएगी, जिससे इसका जीवन असमान्य बना रहेगा,
इसमें सब अब प्रकीर्ति के हाथ मे है, क्युकि इसने जन्म ही लिया है किसी विशेषता उद्देश्य से, हम और आप इसे बाधित ना करे,

हो सकता है पिछले जन्म मे इसके कार्य कुछ अधूरे रहे हो, इसलिए इसबार वह उसे पूरा करने लौटे है,

बालक का ख्याल रखे, और ज्यादा देर एकांत मे ना रहने दे, अब आप जा सकते है,

सभी बाते सुनकर सभी अपने ग्राम को वापस आये, और बच्चे की अच्छी तरह से देखभाल करने लगे, वह बालक को ग्राम वासी एक सिद्ध साधु के रूप मे ही जानते, और ग्राम की भलाई के लिए समय समय पर शंकर से सलाह भी लि जाती,

युवा वस्था मे शंकर की शक्तिया चरम पर थी, वह आकाश मे उड़ते उन जि को भी देख सकता जो सूक्ष्म शरीर धारण किये रहते, शंकर कई बार उस जंगल मे भी पहुंचा जहाँ वह पूर्व जन्म मे तपस्या इत्यादि किया करता,

जहाँ से खुदाई कर कुछ हथियार भी निकाले, जो उसकी रक्षा के लिए बनाये गये थे, अब वह किसी तरह की खाश तैयारी मे जुट गया, जैसे कोई बड़ा युद्ध लड़ना हो, ग्राम निवासी उसकी सभी तरह से उसकी मदद करते, धीरे धीरे पहले की तरह तंत्र विधा भी सीख लि,

ग्राम वासी उसके जीवन के उद्देश्य को लेकर असमंजस मे थे, की आखिर ऐसा कौन सा उद्देश्य बाकि रहा था, जिसके लिए दोबारा जन्म लिया बाबाजी ने,










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