ganpati bappa : गणपती बाप्पा


गणपत्ति बाप्पा की कहानी : 
देवो  मे  जिसकी  पूजा  सबसे  पहले  होती  है  उनका  नाम है  गणपति  महाराज,  ये तो लगभग लोग  जानते  है  के  कैसे भगवान  ने  जन्मदिन  लिया  कैसे  इंहोने  देवताओं  मे अपना  स्थान  पाया.... चलिए  आज  जानते  है  इनकी अद्भुत  कहानी 

माता  पार्वती  चाहती  थी  के  उन्हें  एक  और  पुत्र  प्राप्त हो  जो  उनकी  रखवाली  कर  सके,  इस  कारण  उन्होंने  निश्चय  किया  की  वो  एक योग्य  पुत्र  प्राप्ति  का आह्वाहन  करेगी,  जिसके  लिए  उन्होंने  बहुत  तरह  की  सुगन्धित  पदार्थो  से एक  लेप  तैयार  किया  उस  लेप  को  उन्होंने  अपने  शरीर  पर  लगाया  और  फिर  उस  लेप  को  उतरा , उस लेप  मे  थोड़ी  मिट्टी  मिलाकर  अपने  हाथो  से  एक  छोटे  बच्चे  की  मूर्ति  बनाई , उस  मूर्ति  पर  माता  पार्वती  ने  प्राण  मन्त्र  पढ़  जिसके  फलस्वरूप  उनके  सामने  तत्काल  एक सुन्दर  पुत्र आ  गया,  माता  उस पुत्र की  प्राप्ति  करकर  मा  आनंदित  हो  गयी , इसी ख़ुशी  मे  जब  यह  शुभ  समाचार  सबने  सुना तो अपनी अपनी   शुबकामनाएं  देने  सारे  देव  गण पधारे !

 जीनमे  शनी  राजा  भी  शामिल  हुए , अब  सब  लोग आशीर्वाद  देने  के  लिए  बच्चे को  गोद  मे  लेते  है, किन्तु  शनि  महाराज  ने  नहीं  लिया  क्योंकि  वो  जानते  है,  की  उनकी  कुदृष्टि  बालक  के  लिए  ख़तरनाक  हो  सकती है, परन्तु  जब  माता  पार्वती  को  पता  होता  है,  के  शनी महाराज  ने  बालक  को  नहीं  देखा  है,   तो  वो  उन्हें  खुद दर्शन  करवाती  है, दर्शन  करके  जब  सब  अपने होने लोक को  प्रस्थान  करते  है  ।  उसके  बाद  माता  पार्वती बालक  को  गणेश  नाम  से  सम्बोधित  करती  है । और उसे आज्ञा  देती  है  के  जाओ  द्वार  पर  खड़े  हो  जाओ  और जो  व  अंदर  आना  चाहे  उसे  रोकना,  परन्तु  इन  सब  मे  वो  ये  बताना  भूल  जाती  है  की  स्वं  महादेव  जो  उनके पिता  है  वो  आये  तो  उन्हें  अंदर  आने  देना  होगा  ।  बालक  बड़ी  धार्यता  से  मा  का  कहना  मान  लेता  है  और  द्वारा  की  रक्षः  हेतु  प्रस्तुत  हो  जाता  है , इतने मे भगवान  संकर  अपनी तपश्या  समाप्त कर लौटे थे, वो अंदर  जाना  चाह  रहे  थे  पारंगु  उस  बालक  ने  अवरोध उत्पन्न  कर ते    देख  भगवान  क्रोधित  हो  गए, अनेक बार  अंदर  जाने  की  आगया  मांगी  किन्तु  बालक  को  लगा  के  वो  उनकी  माता  को  नुकसान  पंहुचा  सकते है, इसलिए  उन्हें  आज्ञा  नहीं  दी  अंततः भगवान  शिव  शंकर अत्यधिक क्रोधित हो गए और बालक का सर धड़  से अलग कर  सिया, इतने  मे  माता  पार्वती  आयी  और  ये  मंजर देख  कर  विलाप  करने  लगी,  ।  तब  जाकर  भगवान  शंकर शांत   हुए  और  पार्वती  से  कहा  संत  हो  जाओ  तुम्हारा बालक  जीवित  होगा  तत्पश्चात भगवान  विष्णु  को आदेश दिया के जंबल से  किसी  जानवर  के  बालक  का सर  लेके  आए ,  प्रथम  बार   मे  गज  का  सर  लेकर  आये भगवान  विष्णु  जिसे  गणेश  जी  के  सर  से  जोड़ा  गया इसके  बाद  उन्हें  नाम  मिला  गजानन  का |
 
फिर  एक  दिन  भगवान  शिव  शंकर  ने  दोनों  बालक विस्वकर्मा  और  गणेश  को  पृथ्वी  की  परिक्रमा  का  कार्य दिया  और  कहा  जो  जल्द  पूर्ण  करेगा  उसे  इनाम  दिया जायेगा  विस्वकर्मा  जी  अपने  वहां  मोर  से  परिक्रमा  के लिए  निकल  पड़े 
जबकि  भगवान  गणेश  अपने  माता  पिता  की  परिक्रमा करनर  लगे  ज़ब  भगवान  शिव  ने  पूछा  के  गणेश  तुम ये क्या  कर  रहे  हो  हो  उन्होंने  उत्तर  दिया  के  मै  मेरी  पूरी दुनिया  जो  आप  मे  बस्ती  है  उसकी  परिक्रमा  कर  रहा हु, ऐसा  सुन  दोनों  आनंदित  हो जाते  है  और  भगवान गणेश  को  प्रथम  पुजय्नीय  का आशीर्वाद देते है |
भगवान  गणेश  बहुत  जी  प्रभावशाली  है  इनकी  दया से दाम्पत्य  सुख  सुन्दर  मुख  घर  मकान  सभी  की  जरूरत पूर्ण  होती  है  इसलिए  हमेशा  इनकी पूजा बड़े आदर से करनी  चाहिए और  ये  मन  के  बड़े  भोले  है  इन्हे गो सिर्फ मोदक की  भोग  तथा  दूर्वा से  खुश किया  जा  सकता है |

~~~~~~~~~~धन्यवाद ~~~~~~~~~~~~~~~
इंग्लिश अनुवाद 

 Story of Ganpatti Bappa :

 The name of the first person who is worshiped in the gods is Ganapati Maharaj, these people almost know how God took his birthday, how he found his place among the gods .... Let us know today his amazing story


 Mother Parvati wanted to get another son who could take care of her, so she decided that she would call for a worthy son, for which she prepared a paste from a variety of fragrant substances, which she used for her.  Applied on the body and then landed that paste, mixed some mud in that paste and made a small child's idol with his hands, on that idol, Mata Parvati read the Pran Mantra, as a result of which a beautiful son came immediately in front of her, mother of that son.  Ma was delighted after receiving, when everyone heard this auspicious news, all the gods came to offer their good wishes!


 Shani Raja also joined, now everyone adopts the child for blessing, but Shani Maharaj did not take it because he knows that his ill-temper may be dangerous for the child, but when mother Parvati knew  Is, Shani Maharaj has not seen the child, then she gets him darshan himself, when everyone departs for his being.  After that Mata Parvati addresses the child by the name Ganesh.  And commands him to go and stand at the door and stop anyone who wants to come in, but in all this, he forgets to tell himself that if Mahadev, who is his father, comes, he will have to come inside.  The child accepts Maa with great impetus and is presented for the protection of the god, so Lord Sankar had returned his penance and returned, he wanted to go inside.  , Asked to go inside many times, but the child felt that he could harm his mother, so did not give him permission, eventually Lord Shiva Shankar became very angry and took the child's head out of his trunk, so mother Parvati came.  And seeing this scene, she started mourning.  Then Lord Shankar calmed down and said to Parvati, "Be a saint, your child will be alive. After that, I ordered Lord Vishnu to bring the head of the child of an animal from Jambal, for the first time, Lord Vishnu brought the head of the yard, which Lord Ganesh's head  After this he got the name of Gajanan.

 Then one day Lord Shiva Shankar gave the task of revolving the earth to both the boy Viswakarma and Ganesha and said that the one who completes soon will be rewarded.

 While Lord Ganesha started circling his parents, Lord Shiva asked what Ganesha is doing, he replied that I am revolving around my whole world which is inhabited by you.  And Lord Ganesha blesses the first holy man.

 Lord Ganesha is very influential, due to his kindness, the happiness of the couple is beautiful, the house is full of all the needs of the house, therefore, they should always be worshiped with great respect and they are very innocent in mind, they can be happy only with the enjoyment of the modak and the durva.


 ~~~~~~~~~~ THANK YOU~~~~~~~~~~~




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