खजाने का मोह

खजाने का मोह 

खजाने का मोह


एक बड़ा सा परिवार था, जहा कुल मिलाकर 22  लोग एकसाथ रहा करते थे, परिवार मे दो बुजुर्ग दम्पति, उनके चार विवाहित बेटे, उनकी दो छोटी बहने, बेटों के दो दो बच्चे, ओर दो नौकर, उनसब के बिच एकदूसरे के लिए लगाव के साथ बहुत प्यार था, 

बड़ा ओर खानदानी परिवार होने के कारण दूर दूर तक लोग उन्हें जानते थे, पैसे की कोई कमी नही थी, धन दौलत बिखरे पड़े होते, फिर भी मजाल है की क एक रुपया भी इधर का उधर करदे, उनका घर काफी पुराने जमाने मे बना हुआ था, जिसकारण मरम्मत की मांग कर रहा था, 

एक दिन बुजुर्ग दम्पति ने अपने बड़े बेटे को बुलवा कर घर की मरम्मत कराने की बात कही, बेटे ने भी सर् हिलाते हुए हामी भर दी और ठीक अगले दिन से राज मिस्त्री अपने काम मे लग गया, 

उस घर मे कई कमरे ऐसे भी थे जो घर मे ग्रह प्रवेश के दौरान ही खुले थे, 

उन कमरों मे कई राज बंद पड़े थे, बड़े बेटे ने उन कमरों को इस्तेमाल मे लाये जाने की सोचकर वहा का ताला खोलना चाहा, और बगैर माँ पिताजी से पूछे उस कमरे के ताले को मजदूरों से तुड़वा दिया, दरवाजा खुलते ही, अनजान शक्तियों ने उन्हें पीछे की ओर धकेल दिया, पर ईस बात बार ज्यादा गौर ना करते हुए, उनलोगो ने दोबारा भीतर जाने का प्रयास किया, कमरा बिलकुल अँधेरे मे था, आगे बढ़ते ही उन्हें पैरो पे कुछ लिपटने सा अनुभव हुआ, उनमे से एक के पास टोर्च थी, देर ना करते हुए टोर्च जलाकर देखा तो, करैत साँपो का अम्बार बिखरा पड़ा था, 

इस नज़ारे ने सबके होश उड़ा दिए, जैसे तैसे बस वहा से निकल कर सभी चीख पुकार करते हुए इधर उधर भागने लगे, 

इस बात की खबर जब बुजुर्ग दम्पति को हुई, तो उसने बड़े को बुलाया और बताया की, वाह कमरा तब से बंद पड़ा है जब से इस घर का निर्माण हुआ था, उस कमरे को खोलने की साहस कोई नही करता, जितनी बार हमने यह कोशिश की हर बार सर्पो का झुण्ड वहा मौजूद रहता, परन्तु आजतक किसी के काटने की खबर नही मिली, क्युकि उनका मकसद किसी को हानि पहुंचना नही है, वे सब तो हमारे पुरखो द्वारा दबाये खजाने की रक्षा करते है, 

खजाने की बात सुनकर बड़ा बेटा ख़ुशी से अपने पिता की और देखता हुआ केहता है, क्या ये खजाना हम इस्तेमाल नही कर सकते, 

तो उनके पिताजी कहते है की ठीक इसी तरह मै भी खजाने की चाह मे था, लेकिन मेरे सारे प्रयास विफल रहे, लेकिन एक बात की ख़ुशी थी की मेरे काम धंधे मे कभी मंदी नही आयी, और मेरी जायदाद हर साल बढ़ती रही, जिसकारण मैंने फिर खजाने का मोह त्याग दिया, 

पिता के समझाने पर बड़ा बेटा तो समझ गया, लेकिन दोनों की बाते छोटे बेटे ने सुनली, और खजाने को पाने का सपना देखने लगा, 

एक दिन जब घर मे कोई नही था, तो छोटे बेटे ने मौका पाकर दरवाजे को खोल दिया और सपेरे बुलवा रखे थे, जिन्होंने एक करके सारे साँप अपनी बोरियो मे भर ली, फिर पुरे कमरे मे खुदाई का काम चालू करवा दिया, छोटे बेटे को खजाना पाने की लालसा ने अंधा कर दिया था, खुदाई करते करते अंधेरा हो चूका था, जिसकारण सभी अपने घर जा चुके थे, और कल से दोबारा खुदाई होती, रात होते होते छोटे बेटे के लड़के को तेज ज्वर अपने गिरफ्त मे ले चूका था, घर मे बस छोटे बेटे का ही परिवार था, 

बाकि सदस्य किसी रिश्तेदार  की शादी मे गये हुए थे, तभी रात को अचानक काफी जोरदार आवाज आयी, वहा जाकर देखा तो ठीक बगल मे एक और कमरा था, जहा पूर्वजो की तस्वीर और उनसे जुडी सारी पूजा पाठ का सामान था, उस कमरे की सामने वाली दिवार स्वतः गिर चुकी थी, इसके बाद लगातार दोनों कमरे की छत के बीचोबीच का हिस्सा उसके आँखों के सामने गिर गया, यह दृश्य काफी भयानक था, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी अनजान शक्ति ने दीवाल और छत्त का हिस्सा गिराया हो, 

छोटा बेटा डर्र के मारे अपने पूर्वजो की तस्वीर के आगे हाथ जोड़े माफ़ी मांगने लगा, और कहने लगा, मुझे नही चाहिए खजाना, जो जैसा था, मै वैसा ही कर दूंगा, आप क्रोध ना करे, 

उसने महसूस किया की छत और दिवार गिरने का सिलसिला अब थम चूका था, सुबह होते ही उसने दोनों कमरों को जस का तस करके बंद करवा दिया और घर की सभी गिरी पड़ी चीजों की सही से मरम्मत कर खजाने का मोह त्याग दिया, दो दिन बीमार रहने के बाद उसका लड़का भी ठीक हो गया, 

इस कहानी से यहीं सीख मिलती है की, बड़े लोग तजुर्बे दार होते है, उनकी बातो मे ही हमारी भलाई छिपी होती है |

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