अधूरी कहानियाँ 2020 : गानों का सौदागर
मै भी 12-14 साल की थी, पढ़ाई और सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस करती, थोड़ी दूर पर मेरी सहेली का घर था, जहा से मेरा काफी गहरा वास्ता था, घर के सारे सदस्यों से मेरा लगाव था, सिर्फ एक को छोड़कर, और वो बदनसीब मेरी सहेली का भाई था, बदनसीब इसलिए क्युकि उसने आजतक सिर्फ दर्दभरे गाने ही सुने थे, जिसका कारण कोई जान ना सका, उसके गाने सुन सुन कर हम भी उसके गम मे शामिल हो चुके थे,
वैसे हम सहेलियां जब भी पढ़ने बैठते तो, गाने बिलकुल बंद होते थे,
गाने भी इतनी तेज आवाज मे जैसे नगरपालिका तक आवाज पहुचानी हो, वो लड़का भी छोटा मोटा इंजीनियर ही था, क्युकि गाने बजाने की सारी चीजे अपने हाथ से तैयार करता , ये बात मुझे तब पता चली जब मै उसघर पढ़ने जाती,
मोहल्ले मे उसका नाम काफी ख़राब लड़को मे शामिल था, सिर्फ इसलिए क्युकि उसके गाने ज्यादातर, शराब और दिल से जुड़े होते थे,
जैसे ही उसके गाने बजते, मोहल्ले के बूढ़े बुजुर्गो की हार्ट बीट तेज हो जाती, कितनो को तो उसने अपने गाने से दिल का मरीज भी बना दिया था,
मेरी तो डेली का आना जाना था, पढ़ाई के कारण सारादिन वही रहती,
एकदिन मैंने अपनी सहेली से पूछ ही लिया के आखिर तुम्हारा भाई इतने दर्दीले गाने क्यू सुनता है, तो उसने कहा पता नहीं,
हर दिन की बात है, एक टाइम टेबल के साथ उसके गाने सुरु हो जाते, कभी फूल और काटे की.......... रुकजाना....... से स्टार्ट होते तो कभी रंग की....... दिल चिर के देख........ उफ्फ्फ्फ़ उसके गाने जानेवालो को रुकने पर मजबूर कर देते, तो अचानक से तेज आवाज आने के कारण बच्चे काफी डर जाते,
पर उसने तो वहा के रहने वाले लोगो को सारे गाने याद कराने की कसम खा रखी थी,
कुछ लोगो का कहना था की वो बोलता कम है ना इसलिए अपने गानों से अपने दर्द को बताता है,
कई गाने उसके काफी पसंदीदा भी थे जिसे वो बार बार - बार बार बजाता था, जिसमे.. क्या मौसम आया है, जानेजां, कुदरत ने बनाया होगा, और साजन फ़िल्म के गाने,
कुछ दिनों बाद दिवाली का समय था, उसके गाने काफी ज्यादा ही बजने लगे थे, वो भी ऐसे जैसे किसी से कुछ कहना चाहता हो,
मोहल्ले के लोग उसके गानों से समझ चुके थे, जरुर इसे किसी से दोबारा प्यार हो गया है,.....
मै भी पढ़ने गयी वहा तो, एकबार पूछ लिया के आजकल दर्दभरे गाने नहीं बज रहे, अच्छे अच्छे प्यारे प्यारे गाने बज रहे है क्या कारण है इसका, उनलोगो ने बस हसकर बात टाल दी,
बसंत पंचमी का दिन आया, हमारे कोचिंग सेंटर मे काफी धूम धाम थी, जो की हमारे मोहल्ले बिलकुल थोड़ी ही दूर पर थी, जिसकारण वहा बजने वाले सारे गाने बिलकुल साफ साफ सुनाई दे रहे थे,
गाने मे सिर्फ लाल रंग का जिक्र हो रहा था, जबकि लाल रंग की ड्रेस दो लोगो ने पहन रखे थे, एक मै और दूसरी उसकी बहन,
सभी सहेलियां आपस मे बाते कर रही थी, लगता है इसबार भैया का दिल इस्पे आया है,,, और ये बात मेरे लिए एक सदमे की तरह थी,
उसके गानों की पसंद ने पहले से ही मेरे होशो हवाश उड़ा के रखे हुए थे,
मैंने बात सँभालते हुए कहा नहीं वाह तो सिर्फ गाना है, गाने से ये सारी बाते समझने वाला पागल ही होगा,
धीरे धीरे मैंने महसूस किया की उसके गाने से सायद मेरा ही वास्ता जान पड़ता है, सारी बाते उसके गाने ही केह जाते, जो वो खुद आजतक ना केह सका,
फिर मेरे एग्जाम हो गये, और मै दिनभर घर मे ही रहा करती, और उसके गानों ने मोहल्ले वालो की नाक मे दम कर रखा था, इतने दर्दभरे और सदमे वाले गानों से हर कोई तंग आ चूका था,
कुछलोग तो उसके गानों के गम मे इसकदर डूब चुके थे की, उन्हें वो गम अपना लगने लगा था, और कुछ ही दिनों मे सभी को सारे गाने याद हो चुके थे,
बूढ़े बुजुर्गो की गालिया भी उसके गानों पर असर ना डाल पायी, सबको उस लड़की से नफरत हो चुकी थी जिसके कारण वो लड़का ऐसे गाने सुनता और दुसरो को सुनाता,
मेरी तो जान अटकी पड़ी थी, घर से निकलने के लिए भी दो बार सोचती,
एकदिन मेरी सहेली खुद मेरे घर आयी, और पूछने लगी कहा गायब रहती हो?
कितने दिनों से आयी नहीं तुम,
मैंने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही,
उसने खुद से उस लड़की का जिक्र किया, जिसे उसका भाई पसंद करता था, और किस्मत से वो मै नहीं थी, इसबात की मुझे काफी ख़ुशी हुई,
बाद मे अफ़सोस हुआ मै तो खामखा ही डर्र गयी,
पर मेरे डर का असली कारण तो उसके प्राण लेने वाले गाने थे,
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