माँ चन्द्र घंटा ( नवरात्री स्पेशल )
माँ चन्द्र घंटा की कहानी
माँ चन्द्र घंटा अपने भक्तो की रक्षा हेतु दैत्य महिषासुर के वध के लिए निकली, जहा महिषासुर माँ के कोमल स्वरूप को देखके अचंभित हो गया, ओर सोचने लगा ये मुलायम देह की नारी मुझसे क्या युद्ध करेगी,
इतने मे माँ ने अपने विकराल रूप को दिखाया, माँ का स्वर्ण रंग आग की तेज के सामान ज्वालित हो गयी,माँ के dasho हाथो मे अस्त्र भरे थे, दोनों भावे तन गयी, ओर घण्टे की बारी नाद सुरु हो गयी , एक ओर माँ के हाथो मे धनुष की टंकार, दूसरी ओर घंटे की नाद, से धरती कापने लगी, यह दृश्य देखने मात्र से महिसासुर ने देह छोड दिया, जिससे प्राणी जगत ने चैन की सास ली, ओर माँ की जीत हुई,
माँ चन्द्र घंटा की पूजन
******************
दुर्गा सतसती के साथ ही अन्य वैदिक ग्रंथो के अनुसार, जो कोई माँ के तिर्तीय स्वरुप चन्द्र घंटा का पूजन या उपासना करता है, उसके सारे दुख, दोष माँ हर लेती है, माँ चन्द्र घंटा माँ दुर्गा का ही स्वरुप है, लेकिन माँ के हर रूप के पूजन क फल विभिन्न है, नवरात्रि मे इन नवो रूपों की पूजन से साधक मोक्ष प्राप्त कर लेता है |
0 टिप्पणियाँ