दैवीय शक्ति का दंड

दैवीय शक्ति का दंड 

ये कहानी एक सच्ची घटना का रूपांतरन है, 
करीब 50 वर्ष पहले उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले मे एक परिवार हाल मे ही अपने बेटे पिंटू की शादी बड़े धूम धाम से करता है, परिवार के सबसे बड़े बेटे की शादी थी, इसलिए सभी सगे संबंधी भी अधिक मात्रा मे आये हुए थे, 

 शादी के अगली सुबह जब बहू (रचना ) घर आती है, तभी द्वार पर एक अशुभ घटना घटती है, फिर भी परिवार वाले उस घटना को नजरअंदाज करते हुए, बाकि की रश्मे निभाने मे ब्यस्त हो जाते है, 

बहु के ग्रहप्रवेश से सभी हर्षित थे, लेकिन द्वार पर हुई उस घटना से कुछ गिने चुने अधिक वर्षीय मेहमानों के मन मे एक शंका घर कर गयी, उन्हें कुछ सही नही लगा, 

बहु लक्ष्मी का स्वरूप होती है, उसके आते आते ऐसी घटना, से वे डरे हुए और अशांत थे, 

अगली सुबह बहु स्नान कर अपने कमरे मे वापस चली गयी, तभी कुछ लोगो ने ध्यान दिया की बहु के पैरो की छाप काली पड़ी हुई थी, ये देखकर सभी मन ही मन परेशान हो गये, 

धीरे धीरे हर दिन उस घर मे ऐसी घटनाये घटती जो सोच से परे थी, जिसका अंदाजा किसी को नही था, 

पिंटू को पीने की बुरी लत थी, वह शादी के कुछ दिन बाद से ही हरदिन पिने लगा, पिंटू को रातभर अजीब अजीब चीजे दिखती, कई रातो से वह सो नहीं पाया था, रात को घटी घटनाओ को वह सुबह याद करने की कोशिश करता, लेकिन उसे कुछ भी याद नही आता, 

एक रात की बात है, गर्मी के कारन पिंटू छत पर सोने चला गया, छत पर आधी रात को उसे छत हिलता हुवा प्रतीत हुआ, इससे पहले की नशे की हालात मे पिंटू कुछ समझ पाता, वह निचे चला गया, और उसी समय सभी को अपने साथ घट रही घटनाओ के बारे मे बताता है, 

घरवालो को उसकी बातो पर यकीन नही हुआ, क्युकि उसने पि रखी थी, अगली सुबह भी पिंटू वही बाते कहने लगा, लेकिन उसकी बातो पर किसी ने विस्वास नही किया, 

पिंटू की हालत पागलो जैसी हो गयी, वाह अपनी पत्नी को कोश्ते फिरता, उसे लगता उसके साथ जो भी हो रहा है, उसके पीछे उसकी पत्नी ही है, वह उसे चुड़ैल कहने लगा, 

रचना इन बातो से अनजान थी, पिंटू की बाते उसे भी समझ नही आती, 

घटनाये अब बिशाल रूप लेने लगी, पिंटू के अलावा घर मे बाकि सदस्य भी अपनी आँखों से बर्तन वगैरह हवा मे उड़ते देखने लगे, जिसके बाद उन्हें पिंटू की बातो पर वास्तविक लगने लगी, 

रचना इस बिच दो महीनों के लिए मायके जाती है, रचना के जाते ही उसघर का वातावरण पुनः पहले जैसे हो जाता है, घर मे हो रही उथल पुथल अचानक शांत हो जाती है, उन्हें लगता है की अब सब ठीक हो गया है, 

दो महीनों बाद रचना के वापस आते ही पुनः घर मे अशांति का वाश हो जाता है, इसबार वे सारी अजीब अजीब घटनाये पहले से अधिक हो गयी, तब पिंटू के पिताजी घर मे एक सुप्रसिद्ध फ़क़ीर को लाते है, 

फ़क़ीर घर मे प्रवेश लेते ही बताता है की किसी से अपराध हुआ है, कोई शक्ति ऐसी है जो आपसब पर खपा है, और वे कोई मामूली भूत प्रेत नही है, वह एक देव आत्मा है, 

सभी ड़र जाते है, भला देव आत्मा से हमारा कैसा बैर हमने तो कोई अपराध नही किया है, तभी रचना फ़क़ीर के सामने से गुजरती है, फ़क़ीर समझ जाता है, अपराध इस कन्या द्वारा हुआ है, 

वह रचना से पूछता है, बताओ तुमने कभी ऐसा कोई बुरा  काम किया है, जो किसी देवात्मा से सम्बन्ध रखता है, जिसका जवाब रचना नही मे देती है, 

बहुत पूछने पर भी रचना किसी से कुछ नही कहती, पिंटू समझ चूका था हो ना हो, गलत रचना ही है,
क्यूँकी इसके आने से पहले सब ठीक था, 

उसी संध्या को रसोई के सारे बर्तन बाहर गलियारे मे गिरे पड़े मिले, जैसे किसी ने फेक दिए हो, और छत मे लम्बी दरार पड़ चुकी थी, ऐसा नजारा देखकर कोई भी देहल उठे, 

रात होते होते घर के आसपास की छप्पर गिर चुकी थी, सिर्फ छत गिरने से बाकि का मकान भी ढेह जाता, 

ये सब देखकर रचना ने अंत मे कबूल कर ही लिया.....
दरअसल चार साल पहले रचना के पिताजी सपरिवार अपने पुस्तैनी मकान की मरम्मत के लिए गये हुए थे,

 वही उनके कुलदेवी का मदिर था, जहाँ कई वर्षो से सोना चढ़ाने की प्रथा थी, रचना मंदिर के आभूषण देखकर आकर्षित हो गयी और वही रखी एक जेवर आते वक्त अपने थैले मे लेकर चली आयी , 

जिसके बाद उसके मायके मे भी उथल पुथल मच गयी, वहा भी कई साल सभी को परेशानी उठानी पड़ी, लेकिन लोग कुछ समझ पाते, रचना की शादी हो गयी, 

जिसके बाद उनके घर की अशांति बहु बनकर रचना ससुराल ले आयी थी, 

सोना एक पवित्र वस्तु है, इसमें आत्माओ का वास होता है, पिघल जाने के बाद भी आत्माओ का मोह अपने सोने से नही हटता, यही कारण है की सोना पाना, सोना खोना, सोना चोरी करना मुसीबत को आमंत्रित करती है, क्युकि सोने के साथ आत्माये भी प्रवेश करती है, जो गलत सही सब कुछ जानती है, 

 इंसान मरने के बाद भी अपने सोने की रक्षा करते है, वो तो स्वम् कुलदेवी थी, 

रचना ने अपराध किया था जिसकारण उसकी जिंदगी मे उथल पुछल मची हुई थी, वो जहा जाती, अपशगुन भी साथ जाते, 

सारी बाते जानने के बाद सपरिवार रचना कुलदेवी के पास जाकर दुगना सोना वापस कर आयी, जिससे उसकी जिंदगी मे फिलहाल सब कुशल मंगल है |

















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