पुराना खंडहर वाला मन्दिर


संजय हाल मे ही अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने शहर वापस आने वाला है, वह लगभग 10 सालो तक विदेश मे रहकर लौट रहा है इसलिए घर के सभी लोग बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार कर रहे थे,

एयरपोर्ट पर उससे मिलने घर के आधे लोग पहुँचे हुए थे, आखिर कई वर्षो बाद संजय वापस आ रहा था,

पुराना खंडहर वाला भूतिया मन्दिर


संजय plan से लैंड होते ही अपने परिवार के पा भागा भागा आया, सायद जिस बेसब्री से सभी उसका इंतजार कर रहे थे, उतनी ही बेसब्री संजय को भी थी,

अपनों से मिलने के बाद गाड़ी मे बैठकर घर आया, जहाँ उसके स्वागत मे भब्य आयोजन होने को था,

समारोह मे सभी सगे सम्बन्धियों से मिलने के बाद संजय की माँ ,उमा ने उसके लिए ईष्ट देवी के मन्दिर दर्शन और दो शादी के रिश्ते भी देखने जाने का plan बना कर रखी थी,

जिसके लिए संजय को किसी तरह से मनाया गया, क्युकि वह पूजा पाठ मे ज्यादा यकीन नहीँ रखता था, बस अपनी माँ का दिल रखने के लिए वह देवी दर्शन के लिए तैयार हो गया,

मन्दिर एक सुरंग नुमा गुफा के अंदर थी, जहाँ जाने मे थोड़ी मुश्किल हो रही थी,

वहा जाकर उमा माता के दर्शन व पूजन करने लगी, जबकि
संजय अपने सामने कुछ लोगो को देखकर अचरज मे पड़ गया, ये इतनी छोटी सी जगह मे इतने आराम से कैसे बैठे है,
उनलोगो मे एक पिता पुत्री भी थी,

जिसे देखकर संजय को रहा नहीँ गया और, वह बोल बैठा की, अगर आपलोगो ने दर्शन कर लिए हो तो बाहर जा सकते है, परन्तु किसी ने संजय की बातो का उत्तर नहीँ दिया, और वे सब वही भगवान की भक्ति मे लीन थे, उस बच्ची पर संजय को दया आ रही थी, साथ मे उसे गुस्सा भी आ रहा था, परन्तु बगैर किसी के इच्छा के वह किसी को बाहर नहीँ निकाल सकता था,

घर आकर वह अपनी माँ को कहता है की, मन्दिर मे बाकि जो लोग थे, उनकी भाषाएँ अलग थी क्या? फिर इतनी बार कहने के बाद भी वे बाहर क्यूँ नहीँ निकले, बच्ची भी अंदर परेशान हो रही थी,

माँ ने संजय के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा,... तुम किन लोगो की बात कर रहे हो वहा हमारे अलावा तो और कोई नहीँ था,

संजय हसने लगा.. क्या माँ आप भी मज़ाक कर रही है,
इसपर माँ ने कहा नहीँ मै मज़ाक नहीँ कर रही हु, वहा हमलोगो के अलावा और कोई भी नहीँ था, तुम्हे कुछ भ्र्म हुआ होगा,

संजय ने कई बार कहा की मैंने उन्हें देखा है, ये कैसे हो सकता है, इसके बावजूद किसी ने भी उसकी बातो पर विस्वास नहीं किया,

जिसके बाद वह अगली सुबह फिर किसी तरह उसी मन्दिर मे जय पहुंचा, जहाँ उसने वही सब लोगो को देखा, वे भी उसे देख रहे थे, परन्तु संजय के सभी प्रश्न खाली गये, किसीने उसके प्रश्नों का जवाब नहीँ दिया,

देवी के मूर्ति के ठीक बगल मे वे सभी भक्ति कर रहे थे, संजय परेशान हो गया यह क्या हो रहा है उसके साथ


इसके बाद वह वहा से थोड़ी दूर आगे जाकर आस पास के लोगो से मन्दिर के बारे मे जानकारी इकठा करने की कोशिश करने लगा,

किसी ने मंदिर के अंदर मौजूद उन लोगो को नी देखा था, इसलिए संजय की बातो पर यकीन करना सबके लिए मुश्किल था,

फ़िरभी संजय ने हार नहीँ मानी, वह लगातार उस मन्दिर के आस पास लोगो से मन्दिर के बारे मे जानकारी इकठा करने लगा,

एकदिन वह मन्दिर से 5 किलोमीटर दूर एक गाँव मे पहुंचा, जहाँ मन्दिर के बारे मे पूछने पर पता चला की उसी गाँव से 5 लोग मन्दिर दर्शन करने निकले थे, लेकिन वापस नहीँ लौटे,

संजय को उनकी बाते शी नहीँ लगे, क्युकि उसने तो सभी को जीवित अवस्था मे देखा था, तभी एक परिवार ने अपने खोये सदस्यो की तस्वीरें लायी, जिसपर संजय एक पल के लिए निशब्द हो गया, क्युकि यह तस्वीर उसी पिता और पुत्री के थे, इसके बाद वह सारा मंजरा समझ चूका था, और भयभीत हुआ अपने घर को चल दिया, घर जाकर उसने सारी बाते परिवार वालो को कही,

पहले तो उनके लिए विस्वास करना मुश्किल था, लेकिन संजय की गंभीरता के कारण उन्हें भी विस्वास करना पड़ा,
परन्तु सबके मन मे एक बस्ट अचरज वाली थी, के मन्दिर तो मुक्ति का द्वार होता है फ़िरभी वे क्यूँ मुक्त ना हो सके, जिफके लिए उन्होंने अपने पुरोहित को बुलाया, और सारी बाते बताकर उपाय निकलने को कहा गया,

जिसके बाद पुरोहित ने उन्हें मुक्त करने का मार्ग बताया, जब यह बात उनसब के गाँव पहुंची, तो इस खबर ने सभी को चौका दिया,

सभी उस मन्दिर मे दर्शन करने गये, लेकिन शिवाय संजय के उन्हें और कोई भी देख नहीँ सकता था,

पुरोहित के साथ और कई सारे पंडितो ने खाश मंत्रो से उन्हें मुक्त करने के लिए प्रयत्न करने लगे,

संजय जानना चाहता था की आखिर उनके साथ क्या हुआ था, मंत्रो के उच्चारण सुरु होते ही, संजय बच्ची की तरफ देखकर पूछ बैठा?

जिसपर उड़ने बताया की माता की पूजा के उदेश्य से वे मन्दिर पहुँचे थे, नवरात्री के अवसर पर भीड़ थी, और अंदर सिर्फ एक ही बल्ब जलती थी, लेकिन ज़ब वे 5 लोग भीतर पहुँचे तभी बिजली चली गयी और वहा भगदड़ मच गयी, ऑक्सीजन ना मिल पाने के कारण उन 5 लोगो की मिर्त्यु हो गयी थी,

जिसके बाद किसी ने उनके लिए श्राद्ध कर्म नहीँ किये थे,और ना ही मन्दिर को शुद्ध किया गया था, इसलिए वे आज भी वही मन्दिर मे ही थे,

उन सबकी कहानी सुनने के बाद उनके लिए सभी तरह के कर्म किये गये, जिसके बाद उन्हें मुक्ति मिला गयी,

फिर मन्दिर को भी स्वच्छ किया गया |

शिक्षा : हर इंसान मे कोई ना कोई खाशियत होती है, जिसे भगवान किसी ना किसी उद्देश्य के लिए देते है, जैसा संजय के पास थी,

















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