उन 25 लोगो मे 7 महिलाये थी, बाकि पुरुष |
संध्या उन 7 मे एक थी, जिसे पुराने किले, पुराने महल, राजावो के रहन सहन कि जानकारी एकट्ठी करनी अच्छी लगती थी,
वह सभी छोटी बड़ी जानकारी को बड़े ध्यान से सुनती और ताल मेल बिठाते हुये, अपने मन मे सारी जानकारी सम्भाल कर रख लेती,
7 दिनों के सफऱ मे आज दूसरा दिन बीत चूका था, गाइड ने उन्हें आज जैसलमेर कि यात्रा करवाई, जिसके बाद सभी अपने कमरे मे आराम कर रहे थे, सिवाय संध्या के वह होटल से आस पास के दृश्यों की तस्वीरें अपने कैमरे मे लेने निकल पड़ी,
उदयपुर बहुत हि सुंदर जगह है, शांत वातावरण मे वह काफी दूर निकल पड़ी, और इसका ख्याल उसे तब आया ज़ब, रास्ते बिल्कुल सुनसान हो गये, उसने समय देखा तो रात के 11.30 हो गये थे,
उसकी मदद के लिए वहा कोई ब्यक्ति नहीँ था, तब वह पीछे चलने लगी, आधे घंटे बीत चुके थे प्र कोई सवारी नहीँ मिली, और जो मिली भी उसने उस होटल तक जाने से मना कर दिया,
फिर सध्या ने मैप देखते हुये अपने होटल कि तरफ आने लगी, तभी अचानक उसे एक हट्टा कट्टा आदमी मिला, वह भी उसी रास्ते जा रहा था, जहाँ से संध्या चल रही थी, थोड़ा डरते हुई संध्या ने पूछ हि लिया, क्या आप.... (उदयपुर होटल ) जा रहे है, तब उस ब्यक्ति ने जवाब दिया.... हाँ वही पास मे मेरा घर है, मेरा नाम मानिक है, मै अपने काम से लौट रहा हु, आप यहॉकी नहीँ लग रही है,,,,,,
हाँ मै उदयपुर घूमने आई हु, मै नाईट वाक के लिए होटल से निकली थी, और घूमते घूमते देर हो गयी,
रास्ते तो 12 बजने के पहले हि सुनसान हो गये,
तब मानिक ने बताया कि यह शहर ऐसा हि हैं, मुंबई के मुकाबले यहां रात पहले हो जाती है, बात करते करते कब होटल आ गये संध्या को पता हि नहीँ चला,
थैंक्यू बोलकर सध्या अपने होटल के अंदर चली गयी, वह मन हि मन ईश्वर को धन्यवाद डे रही थी के शयद उन्होंने हि उस अंजान शक्श को मेरी मदद के लिए भेजा होगा,
फिर वह सो गयी, और सुबह उठकर यात्रा के लिए तैयार होने लगी, गाइड से पूछने प्र बताया कि आज पुष्कर देखने जाने वाले है......
52 घाटों के बिच बसा पुष्कर अपनी सुंदरता और पूर्णमासी के दौरान होने वाले उटो कि दौड़ के लिए बिख्यात है, जिसे देखने दूर डोर से लोग आते है, और इस रेस मे भाग लेते है,
उटो की दौड़ के दौरान संध्या को वही ब्यक्ति नजर आया जो क़ल रात रास्ते मे मिला था,उसने अपना नाम मानिक बताया था, ठीक क़ल कि हि भाती खाकी कुर्ते मे एकटक सध्या को घुरता नजर आया,
संध्या ने पास जाकर पुछा..... " आप यहाँ कैसे?
मानिक ने बताया कि मेरे ऊंट भी इस रेस मे हिस्सा लेते है, फिर संध्या ने अपनी यात्रा और बाकि के सारे सहयात्रियों को दिखाते हुई... कहाँ मै इनके साथ हि आई हुई हो !!!!!!
उसके बाद वह अपने ग्रुप मे उंटो कि रेस देखने मे मशरूफ हो गयी,
संध्या के साथ आई एक लड़की नीलम ने संध्या से पूछा, उधर अकेले मे तु किस्से बाते कर रही थी,
संध्या को अजीब लगा, मै मानिक से बात कर रही थी, और क़ल रात कि सारी बातें बताई, फिर नीलम ने बताया कि वहा तो कोई था हि नहीँ तु तो अपने आप से बातें कर रही थी, और हस्ते हस्ते सबको संध्या कि बातें बताने लगी,
संध्या अपने बात प्र कायम थी, उसे मानिक कैसे नहीँ दिखा? बार बार वह यही सोच रही थी.....
वापस आकर भी संध्या उसी बात को सोच रही थी,फिर रात को सोने से पहले ईश्वर को याद करके वह सो गयी....
अचानक सपने मे कुछ अजीब देखकर चिल्लाते हुये संध्या उठ गयी, कमरे मे उसके बगल के बेड प्र उसकी सहेली नीलम थी, उसने नीलम को बताया कि कोई उसे बुला रहा है, और वह सख्श उसकी खिड़की के सामने खड़ा था,
नीलम को बातें समझ आ रही थी कि संध्या किसी आत्मा के चक्कर मे फस गयी है, फिर उसने संध्या को सोने के लिए कहा और वह पुरी रात उसके पास हि बैठी रही,
सुबह जागते हि संध्या ने मानिक का घर तलाशने कि बात सोची, मानिक वही सख्श है जो उसे अपने पास आने को केह रहा था,
नीलम के साथ वह मानिक के घर का पता लगाने निकल पड़ी, प्र अइसकोई भी ब्यक्ति नहीँ मिला जो मानिक को पहचानता हो, संध्या अबाक थी ये कैसे हो सकता है, उसने तो यही बताया था कि होटल से कुछ दुरी प्र हि उसका घर है,
फिर वह एक खाली रेगिस्तान के पास पहुंची, जहाँ एक वृद्ध महिला अपने झोपडी मे खाना बना रही थी, उससे मानिक के बारे मे पूछने पर बताया कि तुम किस मानिक कि बात कर रही हो, सध्या ने कहा जो खाकी रंग के कपडे पहनता है, लम्बा -चौड़ा सा ब्यक्ति,
हुलिया बताते हि वह महिला समझ जाती है कि संध्या किस मानिक कि बात कर रही है.. फिर उसने बताया कि तुम जिसके बातें कर रही हो वह इंसान नहीँ आत्मा है,
50-60 साल पहले उसे अग़वाह करके कहीं मार दिया गया था, लेकिन कहाँ ये बात किसी को पता नहीँ है, मुक्ति न् मिल पाने के कारण गाँव वालो को अपने पास बुलाता है, शयाद वह उस स्थान को बता सके, जहाँ लोगो ने उसे मारा था, लेकिन साभी डर से उसकी बातें उनसुनी कर देते थे , इसलिए अब उसने अंजान लोगो से मदद मांगनी चालू कर दि, उन्ही मे सि एक तुम भी हो,
संध्या और नीलम ये सारी बातें सुनकर डर से थर थर काँप रहे थे, फिर उसने पूछा माजी ये बातें आपको कैसे पता है, यो उसने बताया कि मै मानिक कि पत्नी हु, वह मुझे भी कई बार उस जगह ले जाने कि कोशिश कि थी पर मैं भी नहीँ पहुंच सकी,
संध्या ने कहा कि क़ल जो डरावना सपना मुझे आया उसमे कोई सुरंग दिखा था, यहां पर कोई सुरंग है क्या? और है भी तो कहाँ पर?
मानिक कि पत्नी ने बताया कि उदयपुर मे एक आलीशान महल है, जिसके आस पास कई कोलोमीटर तक उस समय मे किसी को घर बनाने कि इजाजत नहीँ थी, उसी ज़मीन के भीतर एक सुरंग होने कि बात पता चली थी,
संध्या ने कहा..... क्या आप मुझे वहां तक ले जा सकती है?
सुरंग के पास जाकर संध्या आस पास ऐसे सबूत को ढूंढने लगी जो मानिक तक ले जा सके, लेकिन वह ज़मीन कई कोष तक विरान् और बंजर पड़ी थी, शिवाय उस सुरंग के वहा कुछ और था हि नहीँ,
सुरंग जमीन के अंदर सिधी जा रही थी, और वह इतना छोटा था कि कोई इंसान उसके अंदर नहीँ जा सकता था,
संध्या, नीलम और मानिक कि पत्नी खालि हाथ लौट रहे थे, चलते चलते संध्या के पैर के निचे कि जमीन धंस गयी,
थोड़ी कोशिश करने के बाद वहा कि ज़मीन भरभरा कर निचे जा गिरी..... दरअसल उस सुरंग किए निचे एक तैखाना बनाया हुआ था, तैखाने के मिलने के बाद तीनो हिम्मत करके निचे उतरे, अंदर अंधेरा और सिर्फ अंधेरा हि था, इसलिए तीनो वापस आ गये और संध्या और नीलम ने इस बात कि जानकारी अपने साथियो को दि,
उसके अगले दिन संध्या के साथ साभी उस तैखाने पहुँचे, और छान बिन करने लग गये, तैखाने के अंदर एक गुप्त दरवाजा मिला, जो काठ से बना हुआ था,
काठ का दरवाजा पुरी तरह से ख़राब नहीँ हुआ था, जैसे तैसे उसे खोला गया, दरवाजा खुलते हि अंदर जंजीरो से बंधा एक नरकँकाल सामने दिखा, उसके हाथ मे सोने का कड़ा था, जिसकी पहचान मानिक कि पत्नी ने कर लि, उस तहखने मे ऐसे और भी बंधक हो, इस अंदाजे से उन्होंने पुलिस को इस बात कि खबर कर दी,
और मानिक के ककाल को पुरे नियम से मुक्ति दी गयी,
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कई बार लोग अपनी क्रूरता मे इतने अंधे हो जाते है कि मानवता को भी ताख पर रख देते है,
मानिक इतने साल तक ना जाने किस भूल कि सजा पा रहा था, खुद को बंधन से मुक्त करने के लिए ना जाने कितने प्रयास किये होंगे उसने और अंततः वह सफल रहा,
ईश्वर उसकी आत्मा को शान्ति दे |
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