अब वह खुद का एक रिसर्च केंद्र खोलने के लिए अनुमति लेने विदेश गया हुआ हैं, इस दौरान उसके घर मे आकाशमत एक दुर्घटना हो जाती है,
इस दुर्घटना मे वह अपने पालतू कुत्ते टॉमी को खो बैठता है, दरअसल बात यह थी की बिना किसी से इजाजत लिए एक ट्रैक्टर रोहित के घर मे जा घुसा, उस समय घर मे उसकी पत्नी और उसका पालतू कुत्ता टॉमी हि था, माता पिता आउट ऑफ़ टाउन थे,
रोहित की पत्नी के सामने ट्रेक्टर घर मे जा घुसा, जिसमे टॉमी बुरी तरह जख़्मी हो गया था, और कुछ दिनों बाद वह नहीँ रहा,
ताज्जुब की बात यह थी की जो ट्रेक्टर दिवाली तोड़ घर के अंदर दाखिल हुआ था, उसमे कोईभी ड्राइवर नहीँ था, रोहित की पत्नी अपने हर्जाना लेती भि ति किस्से, यह एक दुःखद घटना समझ कर सब भूल जाना चाह रहे थे,
कुछ दिनों बाद रोहित वापस आया, और सारी बातें जानकर उसे बहुत दुख हुआ, टॉमी को वह बहुत ख्याल रखता, इसकारण टॉमी उसकेबेह्द करीब था,
एकरात ज़ब रोहित अपने रिसर्च मे लगा हैं था, उसे टॉमी की आवाज सुनाई देने लगा, इससे पहले कभी किसी को ऐसी अनुभूति नहीँ हुई थी,
यह एक अजीब बात थी, उसके द्वारा प्रयोग मे लाये गये एक यंत्र जो की उसके प्रधानमंत्री ने उपहार मे उसे दिया था, उसके इस्तेमाल किये जाने पर हि रोहित टॉमी की आवाज सुन पा रहा था,
उसने तुरंत अपने प्रधान से उस यंत्र के बारे मे पूछा, प्रधान ने बताया की वह एक परानॉर्मल यंत्र है, जिसकी मदद से तुम दूसरी दुनिया की आवाजे सुन सकते हो, इस यंत्र का अविष्कार करने वाले महान बैज्ञानिक..... अब इस संसार मे नहीँ रहे, उन्होंने इस यंत्र का अविष्कार तो कर लिया, लेकिन इस दौरान उनकी मानसिक हालात काफी खराब हो गयी थी, और उनकी पत्नी के देहांत के दो साल बाद हि वे भि चल बसे,
वे कहते थे मैंने एक ऐसे यंत्र का अविष्कार किया जिससे देव, असुर, और भूत पिशाच सब के आवाज सुने जा सकते हैं, और इस यंत्र मे एक और ख़ास तकनीक है,
जो हमारे संसार को कई लोक से जोड़ सकता है, ये सब उनका मानना था, पर मुझे ऐसा कुछ नहीँ लगता, दिखने मे बिल्कुल मामूली सा यह यंत्र भला क्या करेगा,
लेकिन ज़ब मै अकेला था, तो इस यंत्र से अजीब अजीब आवाजे सुनाई दे रही थी, मै उसदिन बड़ा डरर गया, और फिर उसे केंद्र से बाहर निकाल फेका,
तुम्हे यह कहा से मिला......
ये आप क्या केह रहे है.....
इस यंत्र को तो मुझे आपहीने दिया था, ालको याद नहीँ, ज़ब मै आपके कैबिन मे आपसे आखिरी बार मिलने गया था, उस दिन 25 सितम्बर की तारीख थी,
प्रधान सोचने लगे, ये कैसे हो सकता है मै तो यहां था ही नहीँ, मै तो अपनी पत्नी को लाने उसके घर गया था, फिर वे समझ गये की यह सब उस यंत्र द्वारा हो रहा है,
वह धीमे स्वर मे रोहित को बोले उस यंत्र को घर से निकाल देना, मुझे वह कुछ ठीक नहीँ लगता,
रोहित हस पड़ा, और बोला कोई बात नहीँ सर..
मै इस पर अभी थोड़ा और रिसर्च करूंगा...
फिर वह कई दिनों तक उस यंत्र को दिन रात सुनने लगा, इस दौरान उसे कई प्रकार की आवाजे सुनाई पड़ी, जिसके बाद यंत्र की प्रक्रियाये भि उसे मालूम होती गयी, ज़ब वह टॉमी टॉमी कहता तो सिर्फ टॉमी की भोखने की आवाज आति,
फिर उसे अचानक अपने परदादा के बारे मे याद आया, उसने पुरे श्रद्धा से उनका नाम लेकर उन्हें पुकारा, थोड़ी देर बाद उधर से भि आवाज आई....
इस तरह कई रात उसने इस यंत्र को समझने मे लगा दिया.....
अंत मे उसे इतना समझ आ गया की इस यंत्र के मदद से वह किसी से भि बात कर सकता था, लेकिन किस किस्से इसके बारे मे अभी जानना बाकी था,
कई बार उसने अंजान नाम लिए, जिसके बदले मे उसे भि आवाजे सुनाई पड़ते, एक बार अनजान सख्श से उसकी अच्छी दोस्ती भि हो गयी, वह उसे उस दुनिया के बारे मे काफी कुछ बताया .....
उसने कहा जिसे तुम दूसरी दुनिया समझते हो वह दूसरी दुनिया नहीँ बल्कि तुम्हारी हि दुनिया है, जिसमे हमारा कोई अस्तित्व नहीँ लेकिन, रहते हम भि यही है,
मतलब हमारा कोई रूप रंग नहीँ, हम केवल रौशनी की एक अणु है, जिसे तुम नग्नय आँखों से नहीँ देख पावोगे, हमारे जैसा यहां एक बड़ा परिवार है, जो तुम्हे हर पल देख सकता है,
रोहित ने पूछा.... क्या तुमने टॉमी को देखा है, तुम्हारा टॉमी,
हाँ...... वह क्या वही है,
हाँ...
रोहित...... वह अभी क्या कर रहा है,
वही जो यहां की सारी आत्माये करती हैं, लेकिन क्या वो मै नहीँ बता सकता,
वह तुम्हारी दुनिया मे टॉमी था, लेकिन अभी वह एक समान्य आत्मा है,
पर मुझे उसके भौखने की आवाज अति है,
क्युकि तुम उसे वैसे हि जानते हो, इसलिए वह तुम्हे वही रूप मे दिखेगा, जबतक वह दूसरा शरीर नहीँ ले लेता,
रोहित.... अच्छा बताओ वहा क्या है,
आत्मा....... तुम्हे यहां के बारे मे क्यूँ जानना है, यहां सब कुछ वैसा हि है जैसा तुम अपनी दुनिया मे देखते हो,
बस हम अलग है, हमें देख पाना सम्भव नहीँ,
अगर देख पाते तो उतना बड़ा हादसा थोड़ी ना होता,
रोहित तुम किस हादसे की बात कर रहे हो,
आत्मा..... वही जो हाल मे घटना हुई थी,
रोहित..... तुम क्या जानते हो उसके बारे मे,
आत्मा...... कुछ खाश नहीँ
रोहित..... जो जानते हो बताओ,
आत्मा...... ठीक है, तो सुनो, हमारा जो संसार है, उसमे देव, दानव, असुर, सुर सब रहते है, तो जैसे हि किसी जगह किसी देव या देवी की पूजा, वगैरह होती है, वहा वे लोग तो जाते हि है , उनके साथ असुर, और दानव भी चल पड़ते है,
लेकिन उनके ऊपर बहुत सारी शर्ते लागु रहते है, नहीँ तो वे कुछ भी कर जाते है,
असुर रक्त पान करते है, जबकि देव वह सब खाते है, जो प्रसाद मे होता है, जहाँ भक्त की संख्या अधिक होती है, ये लोग उस स्थान से दूर भागते है, लेकिन जहाँ इनकी तरह दुष्ट प्रविर्ति के लोग होते है, ये वही अपना डेरा डाले रहते है,
रोहित..... इन सब का उस घटना से क्या सम्बन्ध है,
आत्मा.... भीड़ देखकर इन्हे भी रक्त पिने की सूझी थी, उन्ही सब मे एक अच्छी पिसाच भी उस स्थान पर थी उसने कई लोगो को वहा से हटाया भी, लेकिन वह उन सब को नहीँ बचा सकी,
क्युकि उन दानवो को रक्त पीनी थी, एक इंसान की एक बूँद रक्त भी इन दानवो के लिए अधिक होती है, फ़िरभी उस एक बूँदे रक्त बहाने के लिए इन्होने कईयो की जान ले ली,
और उस घटना को अंजाम दे दिया,
रोहित.... इस दौरान क्या देव सो रहे थे,
आत्मा...... नहीँ वे अपने कार्य पर थे, उस कार्य को रोकना उनके वश मे नहीँ था, पर उसकी सजा उन्हें दि गयी,
और पिसाचो को साथ आने की मनाही की गयी,
रोहित............ ऐसी बुरी घटनाये होती क्यूँ है, इसका कोई बचाव नहीँ है,
आत्मा..... इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीँ, जिसप्रकार किसी यात्रा के दौरान किसी बस मे एक पवित्र चीज पुरे बस की सुरक्षा करती है, ठीक वैसे हि, एक अपवित्र चीज उसी पुरे बस को नष्ट कर सकने की क्षमता रखती है, और यह सब तो मनुष्य भी ठीक से नहीँ समझ पाते,
रोहित...... अच्छा उस शाम को ज़ब मेरे घर मे ट्रेक्टर घुसा था, तो वह ट्रेक्टर खुद कैसे चल रहा था,
आत्मा...... उस ट्रेक्टर को इस यंत्र द्वारा बाहर निकले आत्माये नियंत्रित कर रहे थे, वे बुरे थे इसलिए तुम्हारे घर मे बुरा हुआ, अगर अच्छे होते तो तुम्हारे घर मे अच्छा होता,
रोहित...... मै इस यंत्र की मदद से अच्छा क्या कर सकता हु, और अच्छे लोगो को कैसे मिलूं,
आत्मा........ अच्छी आत्माये किसी ना किसी कार्य पर रहती है, वह अपने नियम का उल्लंघ्न नहीँ करती, फ़िरभी जिस तरह तुम इस यंत्र की मदद से मुझे तक पहुँचे हो, तो सुनो...... मै तुम्हे एक खाश अक्षरमाला देता हु, जिसे दो बार से अधिक पढ़ते हि कोई ना कोई अच्छी (देवपुरुष ) आत्मा आ हि जाएगी, वह तुम्हे गूढ जानकारी भी दे सकती है,
रोहित... गूढ जानकारी क्या है,
आत्मा...... इस संसार के बारे मे, जो कोई नहीँ जनता,
रोहित.... ठीक है,
आत्मा..... अब मै चलता हु दोस्त, कभी किसी तरह क मदद चाहिए तो बस मुझे पुकारना, मै चला आऊंगा,
रोहित... ठीक है, बाई
रोहित..... मंत्र पढ़ रहा होता है, चौथी बार मंत्र पढ़ते हि सामने से आवाज अति है, कैसे हो रोहित?
रोहित... आप कौन?
देवात्मा....... तुम क्या करोगे, मुझे जानकर बस इतना समझ लो, मै तुम्हारे मन की जिज्ञासा शांत कर सकता हु,
रोहित...... जी ठीक कहा आपने, मेरे पास तो सब है, बस मै अपने मन और अतरात्मा की जिज्ञासा से संतुष्ट नहीँ हो पाता,
देवात्मा......... तुम हम जैसे हि हो, बस अभी तक तुम्हे यह नहीँ पता चला की आखिर तुम्हारा कर्म क्या है?
रोहित... जी सही कहा,
देवात्मा...... तुम्हारे पास मेरे लिए क्या प्रश्न है,
रोहित..... मुझे बस जानना था की सभी अक्श की बढ़कर कहा जाते है, आकाश के बाद तो अंतरिक्ष होता है, जहाँ से अनंत मार्ग हैं, लेकिन आपलोग कहा रहते है,
और क्या मरने के बाद मै भी वहा जाऊंगा
देवात्मा........ तुमने सही कहा हम उड़कर आकाश के तरफ जाते तो है, लेकिन बिल्कुल ऊपर नहीँ, हमारा निवास अंतरिक्ष और अक्श के बिच मे हैं, वह दिब्य रास्ता है, जहाँ तुम कभी न कभी अवश्य जाओगे,
रोहित...... मरने के बाद वही जाते है क्या?
देवात्मा..... नहीँ, सीधा वहा कोई नहीँ जा सकता, मरने के बाद आत्माओ को कई लोको के चक्क्ऱ काटने पड़ते है, अपने कर्म भोगने के बाद यदी जरूरत हि तब हि वहा जाना होता है,
रोहित...... मेरा पिछला दोस्त केह रहा था, आप मेरे जीवन को अच्छा कर सकते है, कैसे?
देवात्मा........ तुम्हारा मन क्या चाहता है?
रोहित....... जी मुझे तो किसी खाश चीज की चाहत नहीँ है, मगर टॉमी के जाने के बाद हमारे घर मे सुनापन है, मेरी पत्नी मा नहीँ बन सकती, अगर कुछ देना हि हैं तो मेरें घर मे रौनक दे जाना,
देवात्मा..... हाँ जरूर, हमारी यही कोशिश रहती है,
वैसे तुम्हे याद है एक किस्सा........
रोहित....... कौन सा
देवात्मा......... ज़ब तुम सिर्फ दस साल के थे, और अपने पिता के साथ कभी कभी मन्दिर आया करते थे, उस मन्दिर का एक पुजारी था, बिल्कुल वृद्ध, जो सिधे खडे भी नहीँ हो सकता था,
ज़ब तुम मन्दिर जाते तो वह तुम्हारे हाथो मे सफ़ेद फूल देता और पूजा के बाद तुम्हे मुस्कुरा कर आशीर्वाद देता था, और बदले मे तुम उन्हें एक दस का नोट देकर चले जाते,
रोहीत.......... हाँ याद हैं
देवात्मा..... वे भेंट मे मिले पैसो को भी मन्दिर निर्माण के लिए दान कर देते थे, जिसकारण उनका परिवार हमेशा उनसे खपा भी रहता, और यदी कोई धन राशि उनके हाथो मे आ जाती तो वह पुरोहित को कभी नहीँ देते,
रोहित मेरे बच्चे मै वही पुरोहित हु, मेरे द्वारा अनजाने मे किये गये सारे दान से मै आज एक शुद्ध आत्मा मे परिनत हो गया हु, लेकिन मै अपने घर के सदस्यों के लिए कुछ नहीँ कर सका, क्युकि उन्होंने अपराध किया था, इसलिए वे मेरे जैसा अंत नहीँ पा सके,
रोहित... आपको इस तरह पाकर बहुत ख़ुशी हुई,मै आपके लिए क्या कर सकता हु,
देवात्मा...... बस मेरे परिवार के किसी एक सदस्य को भी जाकर यह केहना की..... मेरे बक्से के सारे धन मन्दिर मे दे देने के लिए मैंने कहा है, वह नहीँ माने तो उन्हें मेरे ये अंतिम शब्द केह देना,
अंतिम शब्द....... जाको जैसी नीति, वैसी हि उसकी नियति,
वे जान जायेंगे,
अगली सुबह रोहित पुरोहित के घर जाकर सारी कहानी बताई, फिर भी उन्हें यकीन नहीँ आ रहा था की कोई स्वर्ग से भी संदेश भेज सकता है,
रोहित ने देखा की पुरोहित का परिवार अब पहले की तरह नहीँ रहे, वे सब गरीब हो चुके है, घर से लक्ष्मीनारायण भी जा चुके है,
तब रोहित ने पुरोहित के द्वारा कहे गये आखिरी शब्द का जिक्र किया जिसके बाद सभी रोहित की बात मान चुके थे,
पुरोहित के आखिरी बक्से को किसी ने खोलना जरुरी नहीँ समझा, और ना हि उसकी चाभी किसी सदस्य के हाथ लगी थी, जिसकारण उसमे मन्दिर का दान सुरक्षित था,
रोहित के आग्रह पर उसे मन्दिर मे दान कर दिया गया, जिसकेबाद वे पुरोहित के श्राप से मुक्त हो गये,
और एक वर्ष के भीतर हि रोहित भी प्यारी सि संतान का पिता बन चूका था,
अब रोहित को ज़ब भी किसी चीज मे दुविधा सि प्रतित होती, वह अपने मित्रो से बात कर लेता
lp
0 टिप्पणियाँ