अधूरी कहाँनिया 2020 : आत्माओ की पुकार
आदिवासीयों की बस्ती जगमोहन नाम के शख्श का घर था, जो अपने नाते रिश्तेदारों के साथ उसी गाँव मे रहता था , जगमोहन का सिर्फ एक ही बेटा था, जिसका नाम माबाप ने बड़े प्यार से बिनोद रखा था, माता पिता के लाड प्यार ने बिनोद को बिगाड़ दिया , पहले तो सिर्फ झूठ बोलकर पढ़ने के बहाने मटर गस्ततीया करता फिरता था, लेकिन
माता पिता की ओर से हो रही लापरवाही के कारण बिनोद शराबी और जुवारी भी बन गया,
" शादी के बाद बेटा सुधर जायेगा " ये सोचकर माँ बाप ने उसकी शादी एक अच्छे और भले घर की लड़की से कर दिया, शादी के बाद सुधार तो नही आया, लेकिन उस लड़की का जीवन नर्क बन गया, शादी के बाद काम धंदे पर हप्ते मे तीन दिन ही जाता बाकि दिनों मे शराब पीकर जहा तहा पड़ा रहता, शराब के नशे मे पत्नी पर भी अत्याचार करता,
जैसे तैसे बस दिन बीत रहे थे, बिनोद अब 2 बच्चो का पिता पिता बन चूका था, लेकिन उसके पिने का लत छुट ही नही रहा था,
एकदिन रोज़ की तरह शराब पीकर बेसुध सडक के बीचोबीच पड़ा था, अचानक उसे एहसास हुआ की कोई उसे उठा रहा है, कोई जोर जोर से उसका नाम पुकार रहा है, होश मे आने के बाद उसने देखा तो देखा उसके सामने 25 वर्षीय एक युवक था, बिनोद को आवाज जाना पहचाना लगा, इसलिए युवक को ठीक से देखने के लिए बार बार अपनी आंखे मीचे जा रहा था,
उस युवक ने बिनोद को घर जाने को कहाँ साथ ही शराब ना पिने की सलाह दी, और ये भी कहाँ की आपकी पत्नी ओर बच्चे आपका इंतज़ार कर रहे है,,,, घर आकर बिनोद बार बार याद करने की कोशिश कर रहा था की वो जाना पहचाना सा चेहरा कौन था, तभी पास के घर की तरफ उसकी नजर पड़ी, उस घर के माबाप ने अपने बेटे मितुल को खोया था, अब बिनोद को पूरी तरह से याद आ चूका था की वो ओर कोई नहीं मितुल ही था, बिनोद ने पुरे होशो ह्वास मे मितुल से बाते की थी इसलिए वो सेहम गया, और पुरे 5 महीने तक उसने शराब को हाथ नही लगाया,
5 महीने तक पुरे मन ध्यान से काम करता रहा, लेकिन एकदिन फिर से उसने अपनी पुरानी आदत अपना ली, जिससे घरवाले पुनः परेशान रहने लगे,
मरने से पहले मितुल बिनोद से जुडा हुआ था, दोनों के बिच अच्छे रिश्ते थे, मितुल बिनोद को हमेशा शराब ना पिने के लिए प्रेरित करता था, इसलिए मरने के बाद भी मितुल बिनोद को सही रास्ते पर लाने की कोशिश कर रहा था,
इसके बाद मितुल ने बिनोद की कई बार रक्षा की, अपने परिवार पर ध्यान देने को कहता रहा, लेकिन दो चार महीने के अंतराल मे फिर से शराब पिने लग जाता,
इसी तरह 20 साल बीत गये, बिनोद के बच्चे अब अपने पैरो पर खड़े हो चूके थे, बच्चो की तरक्की पर बिनोद और उसका परिवार खुश था,
उम्र बिनोद अब बीमार रहने लगा था, उसे लग रहा था की अब वाह ज्यादा दिन जी नही सकेगा, इसलिए मन ही मन दिन रात भगवान की भक्ति किया करता था,
एक रोज़ बिनोद की सुबह 4 बजे ही नींद खुल गयी, दोबारा नींद ना आने के कारण उसने घर के पीछे बरामदे मे टहलने की सोची, बिनोद के बरामदे के ठीक सामने एक बड़ा सा तालाब था, जिस और उसकी नजर पड़ी तो उसने देखा की लगभग 50- 100 लोगो का हुजूम खड़ा उसकी ओर ताके जा रहा थे, थोड़ी देर नजर अंदाज करते हुए दोबारा उसका ध्यान उस भीड़ पर चली गयी,
थोड़ा गौर से देखने पर उस भीड़ मे उसे उसके मृत माता - पिता, दिखे, मातापिता को देखते ही बिनोद उस ओर बढ़ चला, थोड़ा ओर करीब जाने पर उसे मितुल भी दिखाई दिया, साथ ही आदिवासी वस्त्रो मे वो सारे लोग दिखे जो करीब 100 - 200 साल पहले ही मर चुके थे,
बिनोद यह दृश्य देखकर काँप उठा, और तेजी से घर के अंदर आ गया, घर के सभी सदस्यों को जगा कर अपनी आँखों देखि बाते बताने लगा, जिनमे कुछ लोग विस्वास कर रहे थे, तो कुछ लोग नही भी |
बिनोद ने ये भी बताया की वे लोग मुझे अपने पास बुला रहे थे, लगता है मै जल्द ही देह त्याग दूंगा,
और ठीक दो दिन बाद बिनोद सोया का सोया ही रह गया, जिसके बाद उसकी बताई बाते उस गाँव मे आग की तरह फ़ैल गयी, और लोगो को ना चाहते हुए भी उसकी बातो पर विस्वास करना पड़ा |
***************************
0 टिप्पणियाँ