दोषी कौन
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Source: File photo Edited by s.pandey ----------------------------------------------------------------------------- |
गाय का दूध वरदान है, जिसकी जरूरत हर उम्र के इंसान को पडती है, आपको पता है हम हर दिन जो डेरी प्रोडक्ट ( दूध, दही, घी, मक्खन ) अपने परिवार के रोज़ाना जरूरतों के लिए इस्तेमाल मिलते है,
उसकी कीमत क्या होती है, बिल्कुल नही पता होगा, हमें तो अपने सामान से मतलब होता है, पैसे देकर ले आते है, इसके अलावा कुछ भी जानने की जेहमत नही उठाते, आज की कहानी गाँव माता के निजी जीवन से जुडी है,
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मै संध्या, मेरा एक खुशहाल परिवार है,और दो छोटे बच्चे है, जिन सबकी देखभाल के लिए मुझे गाय माता की दूध की अव्सय्कता पड़ती है,
उस दूध का इस्तेमाल मै अनेक प्रकार के मिठाइयो, सूखे मेवे, स्वादिस्ट मीठे ब्यंजनो को बनाने मे करती हूँ, इतना ही नही उस दूध द्वारा मुझे मक्खन और घी दोनों प्राप्त होता है,
बात दो माह पहले की है, मेरे घर एक ग्वालिन हर शाम दूध दे जाती, और अपने पैसे ले जाती थी,
वाह ग्वालिन गाय के दूध मे जरा भी मिलावट नही करती, जिस कारण कई बरसो वही ग्वालिन दूध दे जाया करती थी,
एक दिन ग्वालिन की तबियत ख़राब हो गयी, जिसकारण मुझे उसके गौशाले से दूध लाने जाना पड़ा,
वहा जाकर मैंने ग्वालिन की बहु को दूध के लिए कहा,और थोड़ी देर वही रुक के पास खड़े गाय के बछड़े को निहारने लगी,
मैंने देखा जितनी देर गौशाले मे दूध दुहने का कार्य चल रहा था, उस बछड़े को दो लोग मजबूती से पकडे हुई थे, गाय के बछडे का ब्यवहार चौकाने वाला था, अंत तक बछड़े को माँ के पास जाने नही दिया गया,
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थोड़ी देर बाद भीतर से ग्वालिन एक छोटे से बोतल मे गाय के बछड़े के लिए दूध लेकर आयी और उसे पिलाने लगी, बच्चा पलक झपकते ही उस बोतल को खाली कर चूका था,
मुझे उस बछड़े पर दया आप गयी, मैंने ग्वालिन को कहा, बछड़े को थोड़ी देर के लिए माँ के पास क्यूँ नही जाने डे रहे है आपसब, तो उधर से जवाब आया, सारा दूध बछड़ा पि जायेगा तो हम बेचेंगे क्या?
उनकी बाते सुनकर पहली बार मे जो ख्याल आया वो ये था की, आजकल लोगो के अंदर मानवता मर चुकी है, थोड़ी देर बाद घर आने तक दिमाग़ मे सारी बाते घूमती रही, फिर घर के कामों मे ऐसी ब्यस्त हुई की सब बाते भूल गयी,
अगली सुबह भी मुझे ही दूध लाने जाना पड़ा, वहा पहुंचकर पता चला, कला जिस बछड़े से मै मिलकर आयी थी, वाह बछड़ा भूख के कारण मर गया,
दो प्लीज के लिए मै बिल्कुल अचेत हो गयी, ग्वालिन पर गुस्सा आया, मन ही मन उसे कोसती रही, गाय की हत्या पाप है, इनलोगो ने थोड़े पैसे अधिक कमाने के लिए बच्चे को भूखा रखकर मार डाला,
फिर एहसास हुआ के हम भी तो क़म दोषी नही है,
ग्वालिन के अंदर पैसे का लालच तो हमने मिलकर ही जगाया है, एक छोटा सा गाय का बछड़ा माँ के दूध के लिए तरसता रहा, जिसका अपनी माँ के दूध पर सबसे अधिक अधिकार था, उसे ही नही दिया गया , और हम थोड़े पैसे देकर आराम से दूध का भोग कर रहे थे,
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