गाँव का रहस्य

काली शक्तियों का मायाजाल

यह कहानी पहाड़ पर बसे एक छोटे से गांव वालो की है, जो किसी ख़ास तरह की शक्ति के मायाजाल मे थे,

संधरा नामक एक गाँव था, जहाँ थोड़े दूर पर एक नदी थी, नदी का पानी का रंग काला था,

सभी ग्रामवासी वहीं से पानी उपयोग में लाते थे गांव वालों ने एक बात ऐसी थी जो समझ से परे थी गांव वाले एक दिनचर्या के हिसाब से अपना काम करते और शाम ढलते ही सभी गहरी नींद में सो जाते है, फिर सुबह उठते बगैर किसी से बात कीये बस उनका जीवन बीते जा रह था,

 कई दशकों से उनकी यही हाल चल रही थी, इतना ही नहीं ज़ब वे सुबह उठते तो उन्हें पिछले दिन से जुडी कोई भी बात याद नहीं रहते, जैसा वे सब किसी शक्ति मे वशीभूत थे,

वे सब जंगल मे मिलने वाले जंगली कंद मूल से अपना पेट भरते, और पास की बहती नदी का पानी पीते,

उस जंगल और वहा बसे गाँव के बारे मे बाहरी कोई नहीं जनता था, शिवाय एक सीधेश्वर बाबाजी के, कुकी ये वही ब्यक्ति थे जिन्होंने गाँव वालो की समस्या कई बार ठीक कर चुके थे,

परन्तु दिन पर दिन गाँव सिमटता जा रहा था, और हर महीने चढ़ावे चढ़ाने वालो की संख्या मे वृद्धि भी नहीं हो रही थी,

इसलिए बाबाजी उस गाँव भ्रमण के लिए निकले, गाँव मे रहरहे गिने चुने लोग ही बाबाजी से साक्षात्कार किये जबकि ज्यादातर लोग अपने काम मे मशरूम थे, 
" जैसा उन्हें किसी बात की खबर ही नहीं " !

बाबाजी एक चमत्कारिक पुरुष थे, इसलिए उन्होंने झट से पता लगा लि की
"आखिर इस गाँव मे दोष क्या है "?
क्यूँ यहाँ के लोग सामान्य नहीं है,

उन्हें गाँव के दूसरी छोड़ पर 
एक रहस्य्मयी द्वार मिला, जहाँ एक विशालकाय जीव के पैरो के छाप थे,

बाबाजी समझ चुके थे हो ना हो सबकुछ इसी दैत्यरूपी दानव का किया धरा है,

उन्होंने रात का इंतजार किया और उस गुफा से थोड़ी दूर जाकर झाड़ियों मे छुप गये,

जब रात के 12 बजे तब वहा से एक असुरी स्वरूप वला दैत्य निकला, जिसके चार हाथ थे,

वह दैत्य काफी बड़ा और भारी भरकम था, जिसके चलने से धरती पर एक समंदन होती, जिसकी आवाज काफी तीव्र थी,

थोड़ी दूर तक बाबाजी उस दैत्य का पीछा करते रहे है, फिर वह दैत्य अचानक पास की नदी मे जाकर अदृश्य हो गया,
वे साधु महराज वही चुपचाप सब देख रहे थे, उसके गायब होने के कई घंटो तक वे प्रतीक्षा करते रहे, लेकिन वह दैत्य नहीं निकला,

फिर उन्होंने नदी के पास जाने का फैसला किया, और वे आगे बढ़ने लगे की अचानक न्दी मे कम्पन होने लगी,
और वह दैत्य एक बड़ी सी सफ़ेद रंग की चट्टान हाथो मे लिए बाहर निकला

बाबाजी उस पर अपनी नजर गड़ाए हुए थे, वाह उस चट्टान ll लेकर गुफा के भीतर प्रवेश कर चूका था, जैसा ही वद भी गुफा के पास पहुँचे तो चट्टान का एक छोटा भाग उनके पैरो से टकरा गया,

पूरी निरीक्षण के बाद ये ज्ञात हुआ की वह चट्टान सोने और हीरो से जड़े है, जो वह नदी से लाया था , लेकिन नदी की सतह और उसका पानी का रंग तो काला है, फिर ये चट्टान कहा से मिली, वे देखने चले गये, और नदी मे उत्तर गये.......

नदी मे उतरते ही उन्हें वे रख विशेषता प्रकार की गंध मे पूरी तरह जकड़ गये और किनारे आकर बेशुद्ध हो गिरे, सुबह होने पर एक गाँव वाले ने उन्हें जगाया, परन्तु उन्हें कुछ भी याद नहीं था,

उस गाँव वाले ने उनके आश्रम पहुंचाया जहाँ, हवन इत्यादि किये जा रहे थे, अपने गुरूजी को अस्वस्थ पाकर एक शिष्य ने बाबाजी पर पवित्र जल का छिड़काव किया, जिसके बाद वे पूर्णतः स्वस्थ्य हुए और उन्हें बीती रात की सभी घटना भी याद आ गयी, इस बात का जिक्र उन्होंने अपने शिष्यों से किया, सभी अचरज मे थे की इतने सालो से एक दैत्य भी इस गाँव मे रहरहा था, पर किसी को भनक भी नहीं पड़ी,

इसबार बाबाजी संध्या होने से पहले पूरी तैयारी के साथ उस नदी के पास पहुँचे, और पवित्र जल का छोड़काव नदी मे किया, धीरेधीरे नदी का कलापन हट गया और वहा का पानी शीशे की तरह साफ हो गया,

अब एक शिष्य नदी के भीतर प्रेवेश कर चूका था, थोड़ी देर बाद हाथ मे सोने और हीरे के चट्टानों के साथ वह वापस आया,

गांववाले यह सब देखकर चकित् रह गये, फिर उस पवित्र जल का छीड़काव गाँव वालो पर भी किया गया था, जिसकारण वे भी पूरी तरह ठीक हो चुके थे,

फिर सभी रात होने का इंतजार करने लगे, रात मे वही दैत्य गुफा से निकला, जिसके लिए पहले से जलन बिछाया जय चूका था, एक बड़े से रस्सी की मदद से उस दैत्य को पकड़ कर पेड़ से बंध दिया गया, और उसके गुफा को भी खांगला गया,

तब पता चला की यह सब एक षड्यंत्र है, कुछ बरस पहले शहर से आये लोगो ने नदी मे खजाने की लोभ मे किया था, वह दैत्य एक बड़ा गोरिल्ला था, जिसे एक कार्य के लिए शिक्षा दी गयी थी, वह गोरीला धीरे धीरे रात को चट्टान जमा करता जिसे वे लोग रात को ही शहर लेकर निक्ल जाते, और नदी मे एक ख़ास तरह की दवाई का छोड़काव कर देते जिससे गांववाले बेशुद्ध रहते,

ताकि उनके इस काम मे किसी तरह की विघ्न ना आती,
गाँव वालो ने उन चोरो की खूब पिटाई की और गाँव ना आने की चेतावनी दएकर शहर छोड़ आये,

इधर गाँव वाले उन सोने और हीरो के भण्डारो से अच्छे पैसे वाले हो गये, जिससे गान के सारे लोग ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे, और बाबाजी का सबने पुरे दिलसे शुक्रिया किया, कुकी उनके कारण ही वे उस मनहूसियत वाली जिंदगी से आजाद हो सके,








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