हैं अगर किसी के अंदर सुपर नेचुरल या गॉड गिफ्ट कोई शक्ति होती है, तो वे लोग उस दुनिया को जान सकते है
पर ऐसे लोग ना के बराबर है,
जितने तरह के अदृश्य शक्ति होते है सब का वास्ता उस दूसरी पैरलेल वर्ल्ड से ही होती है,
उनकी नजर हर इंसान पर हर वक्त रहती है, मगर हम समझते है की हम तो बिल्कुल अकेले है,
इसी तरह अच्छे काम करने वाले अच्छी शक्तियों के नजर में रहते हैं, और समय समय पर उनका सहयोग भी पाते है, और बुरे लोग बुरी शक्तियों के चपेट में फसते चले जाते है,क्युकि जितने बुरे लोग उन्हें वैसी शक्तियों का ही संग मिलेगा,
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पैरल्लेल world में जाने वाले एक ब्यक्ति ने अपनी आपबीती एक कहानी के माध्यम से बताया था की, किस तरह उसके एक मृत परिजन ने अपनी जवाब देहि पर उसे दूसरी दुनिया ले गये,
बात 25 वर्ष पुरानी हैं, ज़ब अभिषेक मात्र 24 वर्ष का था, और वह अपने एक बच्चे का पालन खुद कर रहा होता है, उसे एक प्यारी सी बेटी थी, जो अभी बस 10 महीने की थी, उसकी मा अब इस दुनिया में नहीँ थी, क्यकि डिलीवरी के समय वह घर पर अकेली थी,
उसके सास ससुर और बाकी सारे लोग किसी वजह से बाहर थे, और अकेले और असहाय होने के कारन उसकी जान पर बन आई, हलाकि तबतक लोग आ चुके थे जिसकारण बच्ची तो बच गयी, पर मा ना बच सकी,
जाते जाते उसने पानी पिने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे उसके पड़ोस में रहने वाली महिला ने पूरा किया,
महिला अतृप्त थी, ना तो उसे पति के आखिरी दर्शन हुए, ना ही उसने किसी परिवारवालो से अपनत्व महसूस हुई,
वह जा चुकी थी, आस पास के लोगो ने कुछ दिनों तक तरह तरह की बातें सुनाई, पर धीरे धीरे वे भी भूल गये, बस सबकुछ एक अचानक हुई हादसे में सबके जहन में टिक गयी, बिना मा के बच्चे को पालना मुश्किल हो रहा था,
कुछ उसे बुरा भला भी कहते....... क्युकि उसके पैदा होने के दिन ही उसकी मा चल बसी, सभी का एक ही सुझाव था, दूसरी शादी........
अभिषेक भी अपने सामने लम्बी जिंदगी को देखते हुए बिना कुछ कहे इशारे में ही हामी भर चूका था,
पर उसे भी पता था कहीं ना कहीं उससे भी चूक हुई थी जिसके लिए अंदर ही अंदर वह अशांत रहने लगा,
कहते है ज़ब कोई आत्मा अतृप्त होती है तो उसे जल्द मोक्ष नहीँ मिलता, अथवा वह इसी लोक में अपनों के इर्द गिर्द भटकती रहती है, अभिषेक की पत्नी माला के बारे में भी लोग अफवाह फैलाने लगे, की वह इधर उधर लोगो को सताती रहती हैं,
अभिषेक के कानो में पड़ते ही वह सारी बातें साफ साफ अफवाह बता कर अपने काम में लग जाता, उसने कभी अपनी पत्नी की आत्मा को महसूस नहीँ किया था,
उसे तो बस दिन रात अपनी बच्ची की फ़िक्र सताती, के अगर मै शादी ना करूँ तो इसका क्या होगा, और यदी शादी कर लूं और दूसरी पत्नी मेरी बेटी के साथ बुरा बर्ताव करेगी तो मै बर्दास्त नहीँ कर सकूँगा,
वह इन्ही सब उधेड़ बुन में लगा रहता, अच्छी से अच्छी चीजों में भी अब उसका मन नहीँ लगता, उसके दोस्त उसे पहले की तरह उसके अड्डे पर लेकर जाते, जहाँ से वह थोड़ी देर में ही उलटे पैर चला आता,
वह भूत प्रेत की कहानिया सुना करता थाl, पर उसने कभी ऐसा कुछ अनुभव नहीँ किया plथा इसलिए सब झूटी बातें लगती,
इधर माला की आत्मा अपनी नवजात बेटी के लिए
ब्याकुल थी, उसे अपनी बेटी को एक बार गले से लगाने तक का वक्त नहीँ दिया भगवान ने, जिसकारण वह हर दिन बेटी के इर्द गिर्द ही रहती, वह सबको एहसास दिलाने की कोशिश करती के मै यही पर हु पर उसकी बात सुने कौन?
उसके पिठ पीछे कई लोग कई तरह की बातें करते, कुछ लोग उसके मरने पर ख़ुशी भी जाहर कर रहे थे, जैसे उसके सास ससुर की अब बेटे की दूसरी शादी करूंगा और फिर से अच्छे खासे दहेज की शर्त रखूंगा, आखिर मेरे बेटे में क्या कमी है,
मर चुकी माला सबकी बातें सुनकर आश्चर्य में थी, किसी को उसके बारे में कोई फर्क नहीँ पड़ा,, किसी ने गलती नहीँ मानी, उसकी जान चली गयी और सब अपने फायदे में लगे हुए है,
धीरे धीरे माला अपने आस पास के बाकी प्रेतों के दल में रहने लगी, सभी उसे कई तरह के सुझाव देते जिसकारण उसने अपने घरवालों को सिर्फ ये यकीन दिलाने के लिए छोटी मोटी जादू करने लगती है,
जिसके कारन घर वाले अब डरने लग रहे थे, माला अपनी बेटी से बातें करती जसपर उसकी बच्ची खेलती मुस्कुराती रहती, और ये सब देखप्
कर घरवालों ने माला के साया से पीछा छुड़वाने के लिए सोचा,
"जिसपर खपा माला ने अब दूसरा रास्ता निकलने को सोचा"......
एकदिन रात को ज़ब सभी सो रहे थे, तो माला ने अभीशेक के कमरे में गयी और उसे नींद की अवस्था में उस लोक ले गयी जहाँ वह खुद रहती थी,
अभिशेख ने कभी सपने में भी नहीँ सोचा होगा जिस गली और घर को वह हर रोज़ आते जाते देखता था, वहां से किसी और दुनिया में जाने का रास्ता हो सकता है,
रात में आधे नींद में वह अपना पूरा शरीर लिए रास्ते पर अकेला चल रहा था, रास्ता पूरा सुनसान था, इसलिए उसे किसी ने भी नहीँ टोSका.......
थोड़ी देर बाद ही वह उस घर में पहुंच गया जो उसके घर से मात्र 5 मिनट की दुरी पर था,
ये अभिषेक के घर के पीछे तरफ था, और यह सतीश दादा जी का घर था, लेकिन 10 दिन पहले ही उनकी मिर्त्यु हो गयी थी, और बीते दिन उनकी शोक सभा रखी गयी थी, शोक सभा के साह ही उस घर में अन्नदान के लिए सभी परिवार जनो का खिलान पिलान किया गया था,
परन्तु अत्यधिक देर हो जाने के कारण सभी कुछ अस्त ब्यस्त पड़ा था, और रात को सारे पकवान यु ही बड़े बड़े पतिलो में रखे हुए थे, घर के लोग थके हारे सो चुके थे, सभी क़ल वहां की साफ सफाई और बाकी के जरुरी काम निपटाने को सोच रात को आराम करने जा चुके थे,
इधर माला और अभिशेख धीरे धीरे घर में दायीं तरफ रखी सतीश राम की फोटो को नमस्कार कर ऊपर चले गये, अभिषेक भले निंद्रा की अवस्था में था मगर उसके दिमाग़ में वह सब स्वप्न की तरह रिकॉर्ड हो रहा था,
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वे दोनों सीढ़ियों से होते हुए ऊपर उस स्थान पर पहुंच गये, जहाँ सभी पकवान रखे हुए थे, हलाकि वह यो से बना बिल्कुल नया माला था, जहाँ प्लास्टर वगैरह के काम अभी तक नहीँ हुए थे, बस ईट खडे थे.....
वहां माpला और अभिषेक थे, पर देखते ही देखते ना जाने कहा से लोग आने लगे, इदर उधर जहाँ देखो लोग आ रहे है, निंद्रा की अवस्था में भी अभिषेक जागृत था....... इसलिए वह सब देख और समझ रहा था, उसने एक चेहरे को करीब से देखा तों वह बगल वाली चाची थी जो पांच वर्ष पहले मर चुकी थी,
इस तरह उसने ऐसे कई चेहरे देखे जो अब जीवित नहीँ थे, सभी उन पकवानो के लिए आये हुए थे, जो सतीश राम के सजक सभा में बने थे,
पर किसी को हाथो में खाना लेकर खाते नहीँ देखा अभिशेख ने, सब इधर उधर घूम रहे थे, वहां एक पत्तल रखी थी जिसमे सारे पकवान थे,
जो की सतीश राम के पसंद के अनुसार बनाये गये थे, जैसे... मटर पनीर, आलू गोभि, परवल का कोपता, टमाटर की लाल सब्जी, बेसन का हलवा, बूँदी के लड्डू और पुरी वगैरह, लगभग पुरी थाली भरी हुई थी, और ठीक उस पत्तल के बगल में खीर की एक छोटी कटोरी थी साथ ही पानी रखा हुआ था, देखते देखते वहां पर सतीश राम उपस्थित हो गये और जहाँ उनकी लिए उनकी परिवार वाले उनका खाना रख गये थे, वही थाली के सामने बैठ गये, और उसी थाली से खींचकर ठीक उसी की तरह एक अन्य थाली अपने सामने ले आते है, और उस पहली थाली को बिना हाथ लगाए सतीश राम ने दूसरी थाली का खाना पूरा खा लिया, जबकि उन्हें दिया गया वह थाली पुरी तरह भरा हुआ था,
अभिशेख सब देख रहा था, उसी तरह से वहां पर आये सभी मृत आत्माये पकवान का आनद ले चुके थे मगर पकवान में रखा पतिला पूरा जस का तस था,
अभिशेख को ये समझने में समय लग गया की जिसतरह पैरलेल वर्ल्ड में इंसान होते है, उसी तरह से वहां पकवान या अन्य पदार्थ भी होते है, इसलिए आत्माओ ने जम कर भोजन का लुप्त उठाया और घरवालों को पता भी नहीँ चला,
अभिषेक जिस स्थान पर था, वहां कई सारे छोटे बच्चे भी थे.... जो इधर उधर भाग रहे थे, थोड़ा ध्यान से देखने पर पता चला की यह तों संजीव है जो कुछ ही दिन पहले डायन द्वारा मारा गया था,
इसी तरह पास में वो मनीहारण ( सजावट की समान बेचने वाली ) भी थी जो रास्ते पर कुचले जाने के कारन मर गयी थी, गिनती करनर पर करीब 100 से अधिक आत्माये वहां मौजूद थे, और मोगरे फूल की भीनी भीनी खुसबू पुरे समय अभिषेक की नाक में जा रहा था,
इस तरह अभिषेक ने गाँव के अधिकतर मृत आत्माओ से मुलाक़ात की, सभी अपने आप में मग्न दिख रहे थे, वे दुखी थे पर अपने बचे हुये कार्य को करने वापस आ चुके थे,
इस बिच वह माला को देखने लगा... माला उसके ठीक आगे आगे चल रही थी, वह वही पोशाक पहनी थी जो उसने आखिरी बार पहने हुए थे,
शांत ख़डी माला अभिषेक को घूरति हुई इशारो ही इशारो में दिखाती है देखो मेरी दुनिया..... यहां लोगो की कोई कमी नहीँ है पर मै उस बच्चे की मा हु और मुझे पूरा अधिकार है उसपर तुमलोग होते कौन हो मुझे मेरे बच्चे से अलग करने वाले......
यहां देखो जितने भी लोग है..... भले प्रेत हो पर आज भी सब अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है, हर छोटा बड़ा इंसान अपने घर आंगन में घूमता फिरता है, अगर परिवार में किसी को मदद की जरूरत हो तों वे कहीं ना कहीं से उनकी मदद भी करते है,
अभिषेक यह सब देख मन ही मन माला के नजरों में दोषी था, मगर वह कुछ केह सके माला ने उसको इतनी इजाजत ही नहीँ दि थी,
फिर वह अपने घर आ गया और अपने स्थान पर पहले की भाती लेट गया, थोड़ी देर बाद आँख खुली,, वह डरा सहमा पानी की तलाश में घर में इधर उधर झांकने लगा,रसोई में भी पानी का एक बूँदे नहीँ था, और पानी कुवें से निकालना था पर इतनी रात को वो भी इस हालात में........ ना बाबा "अभिषेक मन में सोचने लगा "
अंततः थकान और प्यास से अभिषेक परेशान होकर अपनी बेटी के पास पहुंचा तों वहां पानी रखा था, उसे आभास हुआ की सायद माला ने ये पानी मेरे लिए रखा है , क्युकि वह हर पल यही रहती है, और मेरी बेटी का ध्यान रखती है,
उसे धीरे धीरे एहसास हुआ की वह किसी गलत मकसद से नहीँ बल्कि हमारे अच्छे के लिए इस घर में रहती है,
उसने ये बात घरवालों से भी कहा, जिसके बाद कोई उसे परेशान नहीँ करते, उसे पहले की भाती ही सम्मान दिया जाता,
कुछ दिनों में अभिषेक ने दूसरी शादी कर ली, और सबको लगा अब माला यहां से चली जाएगी, धीरे धीरे माला का आभास होना बंद भी हो गया, पर ज़ब माला की बेटी के साथ उसकी सौतेली मा गलत करती तों माला वापस आ जाती और उसे सबक सिखाती,
जिसके बाद उसकी बेटी के साथ कोई भी बुरा करने से पहले सौ बार सोचता |
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